UP Chunav 2022: मैनपुरी में जानिए कौन होगा अखिलेश के सामने केसरिया सिपहसालार?
UP Assembly Election 2022 मैनुपरी की करहल सीट पर किसी बड़े शाक्य चेहरे की तलाश में जुटी है भाजपा। मजबूत दावेदार उतारने की योजना बाहरियों पर भी नजर। किशनी सुरक्षित सीट है। यहां अनुसूजित जाति का ही प्रत्याशी उतरना है
आगरा, दिलीप शर्मा। सपा मुखिया अखिलेश यादव के सामने करहल सीट पर भाजपा का प्रत्याशियों कौन होगा? यह सवाल पूरे जिले से लेकर पूरे सूबे के लोगों के दिमाग में तैर रहा है। भाजपा भी अखिलेश यादव से जंग को मजबूत सिपहसालार उतारने पर मंथन में जुटी है। जिले की दो सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए गए हैं, लेकिन करहल के साथ किशनी सीट को भी होल्ड पर डाला हुआ है। वजह, करहल सीट का चुनाव ही है। केसरिया खेमे की पहली कोशिश किसी शाक्य चेहरे को मैदान में उतारने की है। मजबूत प्रत्याशियों के लिए सैफई परिवार के अपने पाले वाले सदस्यों से लेकर बाहरी नेताओं पर भी मंथन हो रहा है।
करहल सीट समेत मैनपुरी जिले की चार सीटों पर तीसरे चरण में मतदान होना है। पिछले दिनों भाजपा द्वारा प्रत्याशियों की घोषणा की एक कथित सूची भी वायरल हुई थी, जिसमें मैनपुरी सीट से पूर्व मंत्री जयवीर सिंह, भोगांव सीट से कैबिनेट मंत्री रामनरेश अग्निहोत्री, किशनी से आशु दिवाकर और करहल से संजीव यादव के नाम दर्शाए गए। बाद में भाजपा द्वारा अधिकृत रूप से जारी सूची में भोगांव और मैनपुरी सीट पर तो प्रत्याशी वही घोषित हुए, परंतु शेष दो सीटों पर नाम की घोषणा नहीं हुई। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव के मैनपुरी सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद करहल पर भाजपा का गणित गड़बड़ा गया है। भाजपा अब अखिलेश के सामने कोई कमजोर प्रत्याशी नहीं उतारना चाहती।
पार्टी के रणनीतिकार तीन विकल्पों पर मंथन में जुटे हैं। एक विकल्प यह है कि करहल सीट के जातीय समीकरणों के हिसाब से किसी स्थानीय शाक्य चेहरे को उतारा जाए। हालांकि भाजपा के शाक्य समाज के दो नेता करहल पर चुनाव लड़ने से इंकार कर चुके हैं। इनमें से एक नेता मैनपुरी सीट से टिकट के दावेदार थे, जबकि दूसरे पूर्व में भाजपा में प्रत्याशी रह चुके हैं। दूसरे विकल्प के तौर किसी बाहरी बड़े चेहरे को उतारने पर विचार हो रहा है। पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक औरेया की रहने वाली राज्यसभा सदस्य गीता शाक्य करहल विधानसभा सीट की प्रभारी हैं। ऐसे में उनके नाम भी चर्चाएं चल रही है। रणनीतिकारों का मंथन तीसरे विकल्प के तौर भाजपा के साथ आ चुके सैफई परिवार के किसी सदस्य को लड़ाने पर भी चला रहा है।
मुलायम सिंह के दामाद अनुजेश यादव (मुलायम की भतीजी संध्या यादव के पति) बीते लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए हैं। उन्होंने इस टिकट के लिए दावेदारी भी की थी। रणनीतकारों का तर्क है कि अखिलेश यादव के सामने यदि उनके परिवार का कोई सदस्य-संबंधी चुनाव लड़ता है तो एक बिखराव का एक संदेश भी जाएगा।
किशनी पर इसलिए मंथन
किशनी सुरक्षित सीट है। यहां अनुसूजित जाति का ही प्रत्याशी उतरना है, परंतु भाजपा अब यहां उतरने वाले प्रत्याशी के सहारे करहल के जातीय समीकरण भी साधना चाहती है। इस लिहाज से हर दावेदार को फिर परखा जा रहा है।