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आगरा में गठबंधन प्रत्याशियों के लिए आसान नहीं है खोई जमीन पर फिर से जड़ें जमाना

UP Assembly Election 2022 आगरा की नौ विधानसभाओं में इस बार चुनाव बहुत दिलचस्‍प होने जा रहा है। हालांकि इस बार एकतरफा लहर किसी सीट पर नजर नहीं आ रही है लेकिन भाजपा और बसपा के कब्‍जे में रहीं सीटों पर गठबंधन प्रत्‍याशियों को चुनौती तगड़ी ही मिल रही है।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 11:46 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 11:46 AM (IST)
आगरा में गठबंधन प्रत्याशियों के लिए आसान नहीं है खोई जमीन पर फिर से जड़ें जमाना
आगरा में सपा और रालोद गठबंधन प्रत्‍याशियों के सामने चुनौती कड़ी है।

आगरा, राजीव शर्मा। 2022 के रण में समाजवादी पार्टी (सपा)-राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के प्रत्याशियों के लिए भाजपा और बसपा की जमीन पर जड़ें जमाना आसान नहीं होगा। 2017 के चुनाव में जहां जिले की सभी नौ सीटों पर भाजपा का कब्जा था वहीं, इससे पहले 2012 और 2007 के चुनाव में बसपा छह-छह सीटों पर अपना झंडा बुलंद कर चुकी है। इन पार्टियों के प्रत्याशियों से मुकाबला करने के साथ ही टिकट की दौड़ में पिछड़े अपनी पार्टी के दावेदारों को साथ लेकर चलना बड़ी चुनौती होगी। किस विधानसभा क्षेत्र में सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशियों के सामने क्या है चुनौती, प्रकाश डालती रिपोर्ट...

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एत्मादपुर: इस सीट से सपा प्रत्याशी डा. वीरेंद्र चौहान चुनावी मैदान में हैं। वह भाजपा से आए हैं। अभी संगठन से पूरी तरह से परिचित नहीं हैं। भाजपा प्रत्याशी के रूप में डा. धर्मपाल सिंह और बसपा के प्रबल प्रताप सिंह उर्फ राकेश बघेल प्रमुख रूप से उनके सामने हैं।

छावनी: बसपा से आए कुंवर चंद वकील इस सीट से सपा प्रत्याशी हैं। प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री डा. जीएस धर्मेश और बसपा से भारतेंदु अरुण भी यहां से ताल ठोक रहे हैं। 2017 में सपा से चुनाव लड़ चुकीं ममता टपलू यहां से प्रबल उम्मीदवार मानी जा रही थीं।

दक्षिण: सपा ने मुस्लिम प्रत्याशी रिजवान रईसउद्दीन कुरैशी का टिकट काट कर विनय अग्रवाल को यहां से प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में मुस्लिम वोटबैंक को साधे रखना बड़ी चुनौती होगा। भाजपा के दो बार के विधायक योगेंद्र उपाध्याय और बसपा के रवि भारद्वाज भी उनके सामने हैं।

उत्तर: बसपा से आए ज्ञानेंद्र गौतम को सपा ने प्रत्याशी बनाया है। संगठन के लिए वह नये हैं। पार्टी के सचिन चतुर्वेदी और प्रसपा लोहिया वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष नितिन कोहली भी यहां से टिकट की दावेदारी कर रहे थे। इनके साथ को बनाए रखने के साथ ही वैश्य वोट बैंक में सेंधमारी चुनौती होगी।

ग्रामीण: बसपा से महेश जाटव को रालोद ने प्रत्याशी बनाया है। बसपा से ही आए पूर्व विधायक कालीचरन सुमन यहां से टिकट की दावेदारी कर रहे थे। टिकट न मिलने के बाद वह भाजपा में शामिल हो गए हैं। भीतरघात को लेकर उन्हें सावधान रहना होगा।

फतेहपुर सीकरी: पार्टी के पुराने कार्यकर्ता बृजेश चाहर को रालोद ने प्रत्याशी बनाया है। दो बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके भाजपा के चौधरी बाबूलाल और बसपा के मुकेश कुमार राजपूत उनके सामने हैं। जाट वोट बैंक को साधे रखना बड़ी चुनौती है।

खेरागढ़: बसपा से रौतान सिंह को रालोद ने प्रत्याशी बनाया है। बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधायक भगवान सिंह कुशवाह और बसपा के पुराने कार्यकर्ता गंगाधर सिंह कुशवाह भी चुनावी मैदान में हैं। क्षत्रिय वोट बैंक के साथ पिछड़ों का वोट हासिल करने की चुनौती होगी।

फतेहाबाद: सपा ने इस सीट पर बड़ी उठापट की। पहले राजेश शर्मा को प्रत्याशी बनाया। मगर, नामांकन से ऐन पहले पार्टी ने उनका टिकट काट कर रूपाली दीक्षित को प्रत्याशी बनाया। तीन बार विधायक रहे छोटेलाल वर्मा भाजपा प्रत्याशी और शैलेंद्र प्रताप सिंह बसपा प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। पिछड़े और क्षत्रीय मतदाताओं को रिझाना बड़ी चुनौती होगी।

बाह: पार्टी ने अपने जिलाध्यक्ष पूर्व विधायक मधुसूदन शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा प्रत्याशी के तौर पर विधायक पक्षालिका सिंह, बसपा के नितिन वर्मा व कांग्रेस की मनोज दीक्षित भी चुनावी मैदान में हैं। दूसरी जातियों के वोटबैंक में सेंधमारी बड़ी चुनौती है।

अब तक एक साथ नहीं

जिले की नौ विधानसभा सीटों पर सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं। सपा छह और रालोद तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। मगर, इन दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के बीच अब तक तालमेल नहीं बैठ सका है। दोनों दल के कार्यकर्ता अभी सिर्फ उन्हीं क्षेत्रों में सक्रिय हैं, जिनमें उनकी पार्टी का प्रत्याशी चुनावी मैदान में है। 


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