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जागरण विमर्श: विवि को न बनाएं अखाड़ा, युवाओं को समझाएं उन्नति का पहाड़ा Agra News

युवाओं की बढ़ती जनसंख्या ले लेगी अभिशाप का रूप। शिक्षक बंट गया राजनीतिक दलों के बीच यह ठीक नहीं।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 12:41 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 12:41 PM (IST)
जागरण विमर्श: विवि को न बनाएं अखाड़ा, युवाओं को समझाएं उन्नति का पहाड़ा Agra News
जागरण विमर्श: विवि को न बनाएं अखाड़ा, युवाओं को समझाएं उन्नति का पहाड़ा Agra News

आगरा, रवि भारद्वाज। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय हो या फिर जामिया मिलिया इस्लामिया इनको विवाद का अखाड़ा न बनाया जाए। आज के समय में युवा भटके हुए हैं। इनको रोजगार दिलाने की जिम्मेदारी निभाने के साथ इनकी अपनी व देश की उन्नति का पहाड़ा जरूर पढ़ायें अन्यथा युवाओं की तेजी से बढ़ती जनसंख्या अभिशाप का रूप ले लेगी।

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सोमवार को दैनिक जागरण के विमर्श कार्यक्रम में सेंट जोन्स कॉलेज के जंतु विज्ञान के विभागाध्यक्ष गिरीश महेश्वरी ने यह विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि इसमें सभी स्तर पर प्रयास करने होंगे। हमारी सरकार के अलावा शिक्षण संस्थान के प्रभारी, शिक्षक और अभिभावक को इसमें मिलकर भागीदारी निभानी होगी। सरकार को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने होंगे। अभिभावक और शिक्षकों को बच्चे के उच्च प्राथमिक स्तर से ही उसकी रुचि के विषय को प्राथमिकता देते हुए विकास के मार्ग बताने होंगे। युवाओं के पास लक्ष्य होगा तो किसी के बहकावे में नहीं आएंगे। विश्वविद्यालय में विवाद की स्थिति में छात्र बड़ी संख्या में भाग लेते हैं, लेकिन उनको विरोध का तरीका नहीं मालूम होता, लिहाजा आंदोलन ¨हसक रूप ले लेता है। जेल और कोर्ट के चक्कर में फंसकर भविष्य को दांव पर लगा देते हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि छात्र संघ न हो। छात्र संघ हो। विद्यार्थियों की समस्याओं को उठाएं, लेकिन राजनीतिक दलों के हाथों में न खेलें। शिक्षक भी राजनीतिक दलों के बीच में बंट गए हैं, यह ठीक नहीं है।

विवाद की स्थिति में छात्रों को समझाने के लिए वर्कशॉप जरूरी: यदि छात्र भटक जाएं तो उनको वर्कशॉप के जरिए समझाना चाहिए। इसमें शिक्षण संस्थान के प्रमुख और अभिभावकों को ही महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।

छात्रों के विकास को इन बातों का रखें ध्यान

- पढ़ाई की गुणवत्ता पर ध्यान दें। यदि फीस बढ़ानी पड़े तो बढ़ाएं।

- इंटर के बाद पढ़ाई हर किसी के लिए आवश्यक न हो।

- स्नातक स्तर से पढ़ाई उनके लिए हो जो वाकई इसके काबिल हैं।

- जॉब की सुरक्षा तय हो, ताकि छात्र निश्चिंत होकर गुणवत्ता पर ध्यान दें।

- अभिभावक अपने बच्चे से लगातार संपर्क बनाएं रखे ताकि भटकाव की स्थिति में मार्गदर्शन कर सकें।


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