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जीवनशैली की दुश्‍वारियाेें ने बना दी टाइप ए पर्सेनेलिटी और बढ़ गई ये समस्‍या Agra News

दैनिक जागरण के हेलो डॉक्टर कार्यक्रम में गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. प्रतुल सक्सेना ने सवालों के जवाब दिए।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 06 Sep 2019 01:08 PM (IST)Updated: Fri, 06 Sep 2019 01:08 PM (IST)
जीवनशैली की दुश्‍वारियाेें ने बना दी टाइप ए पर्सेनेलिटी और बढ़ गई ये समस्‍या Agra News
जीवनशैली की दुश्‍वारियाेें ने बना दी टाइप ए पर्सेनेलिटी और बढ़ गई ये समस्‍या Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। भागमभाग की जिंदगी में खाने से लेकर पानी पीने तक के लिए समय नहीं है, यही टाइप ए पर्सेनेलिटी है, इससे पेट संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। जीवनशैली में बदलाव और पौष्टिक आहार से पेट की बीमारियों से बच सकते हैं। दैनिक जागरण के हेलो डॉक्टर कार्यक्रम में गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. प्रतुल सक्सेना ने सवालों के जवाब दिए।

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सवाल : फैटी लिवर की समस्या है, इसका क्या इलाज है।
जवाब : मोटापा और जंक फूड खाने से फैटी लिवर की समस्या हो रही है, तीसरे ग्रेड में पहुंचने पर यह घातक हो जाता है, जीवनशैली में बदलाव, पौष्टिक खाने के साथ कुछ दवाएं लेनी होती हैं।
सवाल : एक सप्ताह पहले वायरल हुआ था, पेट में दर्द रहता है।
जवाब : वायरल के बाद गेस्ट्रोएंट्राइटिस की समस्या रहती है, वायरस गेस्ट्रिक फ्लोरा को डिस्टर्ब कर देता है, यह कुछ दिन बाद ठीक हो जाता है। इसके बाद भी पेट में दर्द रहता है तो डॉक्टर से परामर्श ले लें।
सवाल : हेपेटाइटिस बी है, इसका क्या इलाज है?
जवाब : हेपेटाइटिस बी खून के संक्रमण और शारीरिक संबंध बनाने से फैलता है, संक्रमण होने के पांच से 10 साल तक लक्षण नहीं आते हैं, इसके बाद भूख ना लगना, पूरे शरीर में खुजली होना, आंखों का रंग पीला हो जाता है। प्रारंभिक अवस्था में इलाज संभव है, हेपेटाइटिस बी से पीडि़त मरीजों को अपने परिजनों की भी जांच करा लेनी चाहिए।
सवाल : प्रोस्टेट का ऑपरेशन कराया था, अब एसिडिटी की शिकायत रहती है।
जवाब : प्रोस्टेट के ऑपरेशन का एसिडिटी की शिकायत से कोई संबंध नहीं है, ऑपरेशन के बाद कुछ लोगों को स्ट्रेस के कारण यह समस्या हो सकती है।
सवाल : आठ साल पहले आंतों में इन्फेक्शन हो गया था, अभी भी समस्या है।
जवाब : इस तरह के केस में कॉलोनोस्कॉपी से इन्फेक्शन का सही पता चल सकता है, इसके बाद इलाज किया जाता है।
सवाल : पेट फूला रहता है।
जवाब : यह फंक्शनल डिस्पेप्सिया की समस्या हो सकती है, एंडोस्कॉपी सहित अन्य जांच में कोई कमी नहीं आती है, इलाज से यह ठीक हो जाता है।

जो भी मिला वह फटाफट खा लिया
बदली जीवनशैली में टाइप ए पर्सेनेलिटी हो गई है, लोग जल्दी में रहते हैं और पहुंचते देर से हैं। इसके लिए वे जो मिलता है उसे फटाफट खाते हैं और पानी कम पी रहे हैं। इससे पेट संबंधी बीमारियां तेजी से बढ़ी हैं, इसमें लोगों में एसिडिटी से लेकर लिवर में सूजन की समस्या बढ़ गई है।

मधुमेह रोगियों को हो रही गेस्ट्रोपेरेसिस
मधुमेह रोगियों में आंतों का मूवमेंट धीमा हो जाता है, इससे कब्ज, पेट दर्द सहित अन्य समस्या होने लगती हैं, इस तरह के केस में कुछ दवाएं लेनी होती हैं।

बचने के लिए ये करें
-फास्ट फूड का सेवन ना करें
-फाइबर डाइट लें, फल और सलाद का सेवन अधिक करें
-सब्जियों में पेस्टीसाइड और केमिकल का इस्तेमाल हो रहा है, 30 मिनट तक सब्जियों को गुनगुने पानी में डाल कर रखे, इससे ऊपरी सतह के केमिकल नष्ट हो जाएंगे।
-एक दिन में तीन लीटर से अधिक पानी का सेवन करें

इन्होंने पूछे सवाल
एसपी सिंह, केशव सिंह, मनोज कुमार, जितेंद्र सिकरवार, रोहित वर्मा, सोनपाल सिंह, राधिका, वरुण शर्मा, प्रतीक सिंह, ओमपाल सिंह, राहुल उपाध्याय, पूनम, अभय कुमार सभी आगरा
 


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