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शहर की सरकार का दो साल बाद हाल, 'नवीन आगरा' में टीस वही पुरानी Agra News

नगरीय सरकार के दो साल हो रहे हैं 12 दिसंबर को पूरे। शहर में लोग आज भी जूझ रहे टूटी सड़कों बजबजाती नालियों और गंदगी के ढेरों से।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 09:07 AM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 09:07 AM (IST)
शहर की सरकार का दो साल बाद हाल, 'नवीन आगरा' में टीस वही पुरानी Agra News
शहर की सरकार का दो साल बाद हाल, 'नवीन आगरा' में टीस वही पुरानी Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। दो साल पहले 12 दिसंबर को शहर की नई सरकार चुनी गई थी। इसके मुखिया चुने गए थे महापौर नवीन जैन। जनता ने इस उम्मीद के साथ यह बदलाव किया था कि शहर के हालात बदलेंगे। एक नवीन आगरा बनाने की पहल हुई थी और सबने इसका संकल्प लिया था। उम्मीद थी कि नवीन आगरा एक मॉडल के रूप में सबके सामने आएगा, लेकिन हालात जस के तस हैं। गंदगी से रिश्ते के कारण रिसते जख्म से शहर कराह रहा है। जनता कूड़े के ढेर, बीमारी, जलभराव, सिल्ट से भरे खुले नाले, पेयजल संकट, अतिक्रमण, पथप्रकाश, बेसहारा गोवंश के आतंक से तब भी परेशान थी और आज भी है। शहर की सीवेज के ट्रीटमेंट के लिए 400 करोड़ खर्च होने के बावजूद अभी तक कोई लाभ नहीं मिल सका है। अवैध होर्डिंग, अवैध पार्किंग, अतिक्रमण यहां बेरोकटोक जारी है। आइए शहर की समस्याओं और उनके समाधान के लिए हुए प्रयासों पर एक नजर डालते हैं।

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गंदगी पर न चढ़ी स्वच्छता की चादर

शहर में कूड़ा निस्तारण की योजनाएं तो बहुत चलीं लेकिन जमीनी हालात में बहुत बदलाव नहीं दिखा। यहां रोजाना 750 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। निगम के पास लगभग 3200 सफाई कर्मचारियों की फौज और 500 से ज्यादा कूड़ा वाहन उपलब्ध हैं। फिर भी शहर गंदा रहता है। नालों से गंदगी निकालकर सड़क पर ढेर कर दिया जाता है। हर साल स्वच्छता सर्वेक्षण में शहर को हार का मुंह देखना पड़ता है।

कूड़े में निकला भ्रष्टाचार का कीड़ा

सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना भी यहां मंजूर हुई। इसके तहत शहर में घर-घर और चप्पे-चप्पे से कूड़ा उठाकर उसका निस्तारण किया जाना था, लेकिन भ्रष्टाचार के चलते एक कार्यदायी एजेंसी काम छोड़कर भाग गई जबकि चार कंपनियों की जांच जारी है। इन कंपनियों पर बिना डोर टू डोर कूडा कलेक्शन के ही भुगतान लेने का आरोप है।

हाथ ठेलों को हाथ भी न लगाया

कॉलोनियों से कूडा उठाने के लिए एक हजार हाथ ठेले छह माह पूर्व क्रय किए गए पर आज तक वह रोड पर नहीं दिखाई दिए। सरकारी धन से खरीदा सामान गोदाम की शोभा बढ़ा रहा है।

खुले नाले बने हैं काल

शहर में नाले वैसे ही टीस देते हैं, जैसे जख्मों से रिसता मवाद। छोटे-बड़े नालों की संख्या 250 से ज्यादा है, लेकिन 90 नाले प्रमुख हैं। ये नाले पूरे 12 महीने गंदगी से लबालब रहते हैं। इनकी सफाई के नाम पर हर साल कई करोड़ रुपया निगम के खजाने से खर्च होता है, लेकिन नालों की हालत जस की तस रहती है।

विष पी रही यमुना

यमुना एक्शन प्लान की शुरुआत हुए तकरीबन 19 साल हो गए, लेकिन आगरा के 62 नाले अब भी यमुना नदी की कलुषता बढ़ा रहे हैं। यमुना कार्य योजना की शुरुआत 1998 में हुई थी। इसके बाद गंदे पानी की सफाई के लिए सात सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनवाए गए और नालों का प्रवाह यमुना में थामने के लिए नालों को टैप करने की शुरुआत हुई। लेकिन, 90 नालों में से केवल 32 ही अब तक टैप हो पाए। मंटोला, वाटर वक्र्स, बूढ़ी का नगला दयालबाग, अनुराग नगर नाला समेत बाकी नाले गंदगी यमुना में ही उड़ेल रहे हैं।

ठीक से नहीं साफ होते हैं नाले

सिल्ट से लबालब नालों में छोटे नाले और नालियों का पानी जाने की जगह नहीं होती। लिहाजा, यह पानी सड़कों पर भरा रहता है।

यमदूत बने हैं खुले नाले

शहर के खुले नाले यमराज के दूत बने हैं। हर साल 12 से 18 तक मासूम बच्चे, वाहन चालक व अन्य लोग गिरकर घायल होते हैं। लोगों की जान बचाने के लिए नालों को ढकने की बातें भी लंबे समय से की जा रही हैं। कई बार प्रोजेक्ट भी बने लेकिन एक भी परवान नहीं चढ़ सका।

लोग परेशान, जर्जर हैं रोड

बारिश के चलते अधिकतर सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गई हैं। इससे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 30 नवंबर तक इन सड़कों के गड्ढे भरने की बात हुई पर अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है।

अतिक्रमण का नहीं हुआ इलाज

शहर का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं, जहां जाम न लगा रहता हो। जगह-जगह अतिक्रमण, अनियोजित विकास के कारण यह स्थिति उत्पन्न हो रही है। एमजी रोड, भगवान टाकीज चौराहा, शाहगंज, नाई की मंडी, संजय पैलेस आदि स्थानों पर हर समय जाम रहता है।

बढ़ रहा पेयजल संकट

तमाम दावों के बावजूद शहर के अर्जुन नगर क्षेत्र, टेड़ी बगिया समेत 100 से अधिक ऐसे इलाके हैं, जहां लोगों को निजी टैंकरों से पानी खरीदना पड़ रहा है। इन इलाकों में दस साल पहले पाइप लाइन बिछ चुकी है, लेकिन आज तक पानी की आपूर्ति नहीं हुई।

नया नारा 'मेरा घर मेरा आगरा'

दो साल पूर्ण होने के अवसर पर मेयर नवीन जैन ने शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने का प्रयास करने का वादा किया। इसके लिए नया नारा दिया गया है-मेरा घर, मेरा आगरा। इस विचार पर काम की शुरुआत की जा रही है। न गंदगी करेंगे और न ही करने देंगे। जो करेगा उसे टोका जाएगा। उन्होंने बताया कि स्वच्छता सर्वेक्षण में आगरा 85वें पायदान पर आ गया है। आगामी साल में देश में यह टॉप टेन शहरों में रहे। इस पर ध्यान दिया जा रहा है। एमजी रोड और आसपास के क्षेत्रों को अच्छी तरीके से सजाया जाएगा। स्वच्छता गीत भी लांच किया जाएगा।

मेयर ने गिनाईं उपलब्धियां

- हाउस टैक्स का सरलीकरण और ऑनलाइन जमा करने की व्यवस्था

- 1374 सीसीटीवी कैमरे लगवाकर सुरक्षा और ट्रैफिक संचालन में मदद।

- एक साल के भीतर शहर को डलावघर मुक्त करना

- नागरिकों की सुविधा के लिए अंडरग्राउंड डस्टबिन लगाना

- वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की स्थापना कर कूड़े की समस्या का समाधान

- तीन सौ एमएलडी का खाद का प्लांट लगवाकर कूड़ा निस्तारण में मदद

- रात्रिकालीन सफाई व्यवस्था की शुरुआत की गई

भाजपा को दिख रही चमक, सपा-बसपा निराश

दो साल में निगम प्रशासन ने नए रिकॉर्ड कायम किए हैं। एमजी रोड पर तिरंगी लाइट लगाई गई हैं। हाउस टैक्स की वसूली का लक्ष्य 60 करोड़ तक पहुंच गया है। ढेरों विकास कार्य हुए हैं।

-मोहन सिंह लोधी, भाजपा पार्षद दल के नेता

दो साल में नगर निगम ने कितना रिकॉर्ड कायम किया है, उसकी पोल खोलने वाली बानगी देखनी है तो वार्ड नंबर 83 ढेडी बगिया, वार्ड नंबर 65 में ट्रांस यमुना प्रकाश नगर, वार्ड नंबर 28 नाई की सराय में जाकर देखिए, इन क्षेत्रों में आज भी गलियां कच्ची है। बसपा पार्षदों के 26 वार्डो का कुछ ऐसा ही हाल है। अधिकांश स्थानों पर सीवर लाइन व गंगाजल प्रोजेक्ट के लिए लाइन नही बिछी है।

-धर्मवीर सिंह, बसपा पार्षद दल के नेता

केवल खोखले दावे किए जा रहे हैं। जल भराव आज भी अधिकांश स्थानों पर हो रहा है। पेयजल संकट 30 प्रतिशत क्षेत्र में बना है। सपा कोटे के चार पार्षंदों के क्षेत्र विकास कार्य के मामले में उपेक्षित है।

-विकलेश यादव, सपा पार्षद  


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