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हालात से लड़ाई कर बनी चैंपियन, कर रहीं गांव का नाम रौशन

तेहरा की बघेल बहनों का कुश्ती के प्रति जुनून बना हजारों के लिए प्रेरणा, आर्थिक तंगी, समाज के ताने को हर मोड़ पर किया चित

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 09:00 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 09:00 AM (IST)
हालात से लड़ाई कर बनी चैंपियन, कर रहीं गांव का नाम रौशन
हालात से लड़ाई कर बनी चैंपियन, कर रहीं गांव का नाम रौशन

आगरा, जागरण संवाददाता। एक तरफ समाज के ताने, दूसरी तरफ अभावों की भरमार, फिर भी इस घर में एक दो नहीं बल्कि तीन बेटियां हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती में स्वर्ण जीत कर नाम रौशन किया। सफर अभी यहीं थमा नहीं है, मंजिलें अभी और भी हैं।

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शहर से करीब नौ किलोमीटर दूर ग्वालियर रोड पर एक छोटा सा गांव है तेहरा। यहां के निवासी खेम सिंह एक छोटे से किसान हैं पर बेटियों ने पिता का सर इतना ऊंचा किया है कि गांव ही नहीं क्षेत्र के लोग भी यह सोचते हैं कि उनके घर भी पूजा, भारती और सुधा जैसी बेटी हों। बेटियों के जीते हुए राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर की बड़ी से बड़ी कुश्ती प्रतियोगिता के स्वर्ण पदक खेम सिंह के छोटे से घर की चमक चार गुनी कर रहे हैं। बड़ी बेटी सुधा अब राजस्थान में जवाहर नवोदय विद्यालय में क्रीड़ा प्रशिक्षक हैं। वहीं दोनों छोटी बहन भारती और सुधा कुश्ती में लगातार राष्ट्रीय पदक जीत रहीं हैं। इनके प्रशिक्षण से लेकर परिवार का खर्च पूजा ही उठा रही हैं। परिवार में पूजा सहित चार बहनें और दो छोटे भाई हैं। मां मायादेवी गृहिणी हैं। संघर्षो से भरा है पूजा का जीवन :

खेम सिंह की बड़ी बेटी पूजा बताती हैं कि जब 2008 में उन्होंने कुश्ती करियर की शुरुआत की तो आस-पड़ोस के लोगों से मम्मी-पापा को ताने सुनने पड़े। घर की माली हालत तो ठीक थी ही नहीं। फिर भी पापा ने हिम्मत नहीं हारी। 2014 में जब हरियाणा में पूजा ने नेशनल कुश्ती प्रतियोगिता में स्वर्ण जीता तो गांव के लोगों की फिजूल की बातें तो कुछ कम हुई पर परिवार की माली हालत को सुधारने को पूजा अब नवोदय विद्यालय में शिक्षक के पद पर हैं। बाधाओं को दी मात :

पूजा बताती है कि जब वह अपने करियर से ज्यादा भारती के करियर पर ध्यान देने लगी तो इस दौरान दिल्ली में एक ट्रायल में भारती को रीढ़ की हड्डी में चोट लगी। भारती को ठीक कराने के लिए उन्होंने देश के बड़े से बड़े हास्पीटल का भी खर्च उठाया। अंतत भारती को ठीक कराकर ही दम लिया। वहीं एक बार जब भारती को एशियाड खिलाने के लिए विदेश ले जाना था किसी ने पासपोर्ट छुपा दिया पर वह लोग पूजा और भारती के हौसले को कम नहीं कर सके। भारती ने कर दिया कमाल : पूजा की मेहनत रंग ले आई है। छोटी बहन भारती ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स में कुश्ती की अंडर-21 मुकाबले में स्वर्ण पदक जीत आगरा का मान बढ़ाया। भारती आगरा से ऐसी पहली महिला खिलाड़ी हैं जिसने खेलो इंडिया में स्वर्ण पदक जीता है। भारती इन दिनों गोंडा में एक उच्चस्तरीय कुश्ती प्रशिक्षण केंद्र में ट्रेनिंग ले रही हैं। पूजा का सपना है कि भारती जल्द ही देश के लिए गोल्ड मेडल जीते। भारती से छोटी बहन सुधा भी मेरठ में हुई राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता के अंडर-14 मुकाबले में रजत पदक जीत चुकी हैं।


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