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Tribute to Martyr: शहीदों काेे सलाम, अब आगरा में दो सड़कों का नामकरण होगा इन अमर सपूतों के नाम

शहीद कौशल कुमार रावत और कांस्‍टेबल बबलू कुमार के नाम पर होंगी आगरा की दो सड़कें। ताजगंज के गांव कहरई निवासी कौशल कुमार रावत19 फरवरी को पुलवामा हमले में हुए थे शहीद। कानपुर के बिकरू में मुठभेड़ में शहीद बबलू कुमार के नाम पर भी रखा जाएगा सड़क का नाम।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 04 Nov 2020 12:30 PM (IST)Updated: Wed, 04 Nov 2020 12:30 PM (IST)
Tribute to Martyr: शहीदों काेे सलाम, अब आगरा में दो सड़कों का नामकरण होगा इन अमर सपूतों के नाम
पुलवामा हमले में शहीद हुए कौशल कुमार रावत। फाइल फोटो

आगरा, जागरण संवाददाता। अागरा की दो सड़कों का नाम पुलवामा हमले में शहीद कौशल कुमार रावत और कानपुर के बिकरू में शहीद बबलू कुमार के नाम पर होगा। लोक निर्माण विभाग लखनऊ मुख्यालय से इन दोनों शहीदों के नाम पर सड़क का नाम रखने का प्रस्ताव भेजा था। इस पर राज्यपाल की मुहर लगने के बाद दोनों शहीदों के नाम पर सड़काें का होगा।    

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शहीद कौशल कुमार रावत के नाम पर कहरई कौलक्खा होकर एडीआइ मार्ग पर 3.90 किलोमीटर लंबी सड़क पर बनाई जाएगी। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को आतंकियों ने सीआरपीएफ के वाहन पर हमला बोल दिया था। इसमें 40 जवान शहीद हाे गए थे। इस हमले में शहीद होने वाले जवानों में ताजगंज के कहरई गांव निवासी कौशल कुमार रावत भी थे। पुलवामा में शहीद हुए कौशल का पार्थिव शरीर गांव पहुंचने पर पूरा शहर उनकी अंतिम यात्रा में उमड़ पड़ा था।  

वहीं फतेहाबाद के गांव पोखर पांडेय निवासी बबलू कुमार कानपुर में तैनात थे। वह जुलाई में कुख्यात विकास दुबे के घर पर दबिश देने वाली पुलिस टीम में शामिल थे। विकास और उसके साथियों ने सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों पर हमला बोलकर उन्हें शहीद कर दिया था। शहीद होने वालों में फतेहाबाद के बबलू कुमार भी थे। उनके नाम पर भी सड़क का नाम रखा जाएगा। फतेहाबाद-रिहावली की लगभग 15 किलोमीटर लंबी सड़क का नाम शहीद बबलू कुमार मार्ग किया जाएगा। लोक निर्माण विभाग लखनऊ मुख्यालय द्वारा इस संबंध में राज्यपाल के पास प्रस्ताव भेजा गया था।

शहीद होने से चार दिन पहले ही श्रीनगर पहुंचे थे कौशल

कौशल कुमार रावत सिलीगुड़ी में तैनात थे। वह पुलवामा में जवानों के वाहन पर आतंकी हमले से चार दिन पहले ही ट्रांसफर होकर श्रीनगर पहुंचे थे।  

गांव वालों की जुबां पर हैं कौशल की बहादुरी के किस्से

ताजनगरी के कौशल कुमार रावत की बहादुरी के किस्से गांव वालों की जुबां पर आज भी है। वह 1990 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। वह 115 बटालियन में तैनात थे। उनकी शादी 1992 में हुई थी। वह ज्यादातर समय श्रीनगर में तैनात रहे थे। कई बार आतंकियों का डटकर मुकाबला किया था। शहीद के परिवार में उनकी पत्नी ममता रावत, बेटी अपूर्वा और दो बेटे हैं।

स्वजन ने अपनी जमीन पर किया स्मारक का निर्माण

शहीद कौशल कुमार रावत के स्मारक का निर्माण परिवार के लोगों ने अपनी जमीन पर कराया है। हालांकि प्रशासन ने और अंतिम यात्रा में पहुंचे नेताओं ने शहीद के स्मारक के लिए जमीन उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया था। मगर, एक साल बाद भी जब जमीन नहीं मिली तो स्वजन ने अपनी जमीन पर ही स्मारक के निर्माण कराने का फैसला किया।  


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