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Deaf Day: होंठों को पढ़कर समझ लेते हैं ग्राहकों की पसंद, भाषा भी नहीं आती आड़े यहां

आगरा में पालीवाल पार्क चौराहा पर पिछले 29 सालों से पान की दुकान चला रहे हैं मूक-बधिर भाई। जन्म से ही थे मूक-बधिर ग्राहकों को सामान देने में नहीं करते गलती। ग्राहक भी समझने लगे उनके इशारों को।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sun, 26 Sep 2021 11:01 AM (IST)Updated: Sun, 26 Sep 2021 11:01 AM (IST)
Deaf Day: होंठों को पढ़कर समझ लेते हैं ग्राहकों की पसंद, भाषा भी नहीं आती आड़े यहां
पालीवाल पार्क चौराहा पर पान बनाते ओमप्रकाश सैनी।

आगरा, जागरण संवाददाता। दो भाई, जो जन्म से ही मूक-बधिर हैं। लेकिन अपनी इस कमजोरी को उन्होंने अपनी ताकत बनाया और पिछले 29 सालों से पान की दुकान पर अपने ग्राहकों के चलते होठों को पढ़कर ही उनकी मांग पूरी कर देते हैं। दुकान पर आने वाले नए ग्राहकों को तो पता ही नहीं चलता कि जिससे उन्होंने पान मांगा है, उसने सुन कर नहीं बल्कि उनके होठों को पढ़कर पान बनाया है। यह कला उन्हें किसी स्कूल में नहीं बल्कि दुकान पर ग्राहकों को देख-देख कर ही आ गई है।

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पालीवाल पार्क से विजय नगर की तरफ जाते ही जवाहर और ओमप्रकाश सैनी की पान की दुकान है। यह दुकान इनके पिता बहुरीलाल ने लगभग 54 साल पहले खोली थी। बहुरीलाल ने अपने दोनों बेटों को मूक बधिर विद्यालय में पढ़ाने के साथ ही दुकान पर भी बिठाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे जवाहर और ओमप्रकाश ग्राहकों की मांग को उनके होंठों से पढ़कर समझने लगे। अब तो दोनों भाई मोबाइल भी इस्तेमाल करते हैं। फोन की आवाज सुनाई नहीं देती, इसलिए टेबल पर वाइब्रेट पर रखते हैं, जिससे उसके हिलने से उन्हें पता चल जाए कि फोन बज रहा है। अपने स्वजनों से वीडियो कॉल पर इशारों में बात भी करते हैं।

इशारों में ओमप्रकाश ने बताया कि अब तो उन्हें ग्राहकों की आंखों से ही पता चल जाता है कि वो क्या मांग रहा है। जवाहर सैनी के तीन लड़के हैं और एक लड़की है। ओमप्रकाश का एक बेटा है। सभी बच्चे सामान्य हैं। पड़ोसी दुकानदार राधेश्याम ने बताया कि हर ग्राहक को वही देते हैं, जो वो मांगता है। आज तक गलती नहीं की। पिता बहुरीलाल के जमाने से लोग इस दुकान से पान खाते आ रहे हैं और अब हाल ये है कि ग्राहक भी ओमप्रकाश और जवाहर सैनी के इशारों को समझने लगे हैं। भाषा या बोलने-सुनने में अड़चन इनके व्‍यवसाय में बाधा नहीं बन रही। 


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