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फाइव स्‍टार फेसिलिटी का लालच देने पर ही पकड़ में आ रहा टीबी बैक्‍टीरिया Agra News

दवाओं के असरहीन होने पर मरीजों के बलगम का कराया जा रहा कल्चर। बैक्टीरिया ग्रो करने को एलजे मीडिया में अंडा आलू हो रहा इस्तेमाल।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 12:03 PM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 12:03 PM (IST)
फाइव स्‍टार फेसिलिटी का लालच देने पर ही पकड़ में आ रहा टीबी बैक्‍टीरिया Agra News
फाइव स्‍टार फेसिलिटी का लालच देने पर ही पकड़ में आ रहा टीबी बैक्‍टीरिया Agra News

आगरा, अजय दुबे। टीबी मुक्त भारत के लिए माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस (टीबी बैक्टीरिया) से जंग शुरू हो चुकी है। यह बैक्टीरिया घातक हो रहा है और दवाएं असरहीन होने लगी हैं। टीबी के मरीज में कौन सी दवा काम करेगी? इसपर जालमा कुष्ठ एवं अन्य माइकोबैक्टीरियम रोग संस्थान में शोध शुरू हो गया है। माइक्रोबायोलॉजी लैब में मरीज के बलगम (थूक) के कल्चर टेस्ट के लिए टीबी बैक्टीरिया को ग्रो करने के लिए फाइव स्टार फैसिलिटी दी जा रही है।

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टीबी मरीजों के बीच में इलाज छोडऩे, गलत दवाएं लेने से मल्टी ड्रग रजिस्टेंट (एमडीआर टीबी) और एक्सटेंसिवली ड्रग रजिस्टेंट टीबी (एक्सडीआर) के केस बढ़ रहे हैं। एमडीआर और एक्सडीआर टीबी के मरीजों में टीबी की सामान्य दवा रिफांपसिन और एंटीबायोटिक काम नहीं करती हैं। इससे मरीजों की जान तक जा रही है। ऐसे में टीबी के सभी मरीजों में दवाएं देने से पहले बलगम का कल्चर कराया जा रहा है, जिससे यह पता चल सके कि कौन सी दवा असर करेगी। इसके बाद ही इलाज शुरू हो रहा है। कल्चर के लिए मरीजों का बलगम जालमा कुष्ठ एवं अन्य माइकोबैक्टीरियम रोग संस्थान में भेजा जा रहा है। यहां माइक्रोबायोलॉजी लैब में मरीज के बलगम से बैक्टीरिया ग्रो कराए जा रहे हैं। यह बैक्टीरिया बहुत धीमी गति से ग्रो करता है, इसे एलजे मीडिया में ग्रो कराया जाता है। इस बैक्टीरिया को फाइव स्टार फैसिलिटी (माइक्रोबायोलॉजिस्ट की आम बोलचाल) दी जाती हैं। इसे ग्रो करने के लिए प्रोटीन चाहिए, इसके लिए अंडा, कार्बन स्रोत के लिए ग्लिसरॉल, कार्बोहाइड्रेड के लिए आलू से निकलने वाला स्टार्च इस्तेमाल किया जाता है। कुछ केमिकल भी इस्तेमाल किए जाते हैं। इसमें से किसी एक की भी मात्रा कम होने पर बैक्टीरिया ग्रो नहीं करता है।

दो सप्ताह से दो महीने में ग्रो कर रहा बैक्टीरिया

एलजे मीडिया में यह बैक्टीरिया दो सप्ताह से दो महीने में ग्रो करता है। इसके बाद बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक का असर देखा जाता है। कल्चर रिपोर्ट में तमाम मरीजों में टीबी की दवा रिफांपसिन, क्यूनोलॉन और इंजेक्टेबल एंटीबायोटिक असरहीन हो रही हैं। कुछ ही दवाएं काम कर रही हैं, ये दवाएं ही मरीज को दी जाती हैं।

दवाएं असरहीन

- 20 फीसद एक बार दवा छोड़ चुके मरीजों में

- दो से पांच फीसद नए मरीज

क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ

बलगम के कल्चर के लिए एलजे मीडिया में बैक्टीरिया ग्रो करने के लिए फाइव स्टार फैसिलिटी दी जाती है। इसमें कमी होने पर बैक्टीरिया ग्रो नहीं करता है। ऐसे में दोबारा बलगम के सैंपल लेने पड़ रहे हैं।

-डॉ. डीएस चौहान, वरिष्ठ वैज्ञानिक विभागाध्यक्ष माइक्रोबायोलॉजी विभाग, जालमा कुष्ठ एवं अन्य माइकोबैक्टीरिम रोग संस्थान  


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