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हरियाली यूं ही नहीं हो रही खत्‍म, पेड़-पौधों पर जमी धूल ही बनी संकट

पत्तियों पर जम रही धूल बंद हो रहे छिद्र। डाॅ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के बाॅटनी विभाग द्वारा कराया गया सर्वे। छिद्र (स्टोमेटा) पर धूल की परत जमने से पौधों में भोजन बनने की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।

By Nirlosh KumarEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 03:09 PM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 03:09 PM (IST)
हरियाली यूं ही नहीं हो रही खत्‍म, पेड़-पौधों पर जमी धूल ही बनी संकट
धूल व रेत के कण मानव स्वास्थ्य के साथ ही पेड़-पौधों पर असर डाल रहे हैं।

आगरा, जागरण संवाददाता। धूल और रेत के कण लोगों को तो बीमार कर ही रहे हैं, इसके साथ यह पेड़-पौधों की सेहत पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं। सड़कों पर उड़ती धूल, सड़क किनारे लगे पेड़ों की पत्तियों पर जम रही है और इसके कारण इनके छिद्र बंद होते जा रहे हैं। जिन स्थानों पर निर्माण कार्य चल रहे हैंं, वहां धूल की परतें पौधों के पत्तों पर जम रही हैं, जिसके कारण इनके छिद्र (स्टोमेटा) पर यह धूल की परत जम रही है, इसके चलते पौधों में भोजन बनने की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। डाॅ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के बाॅटनी विभाग द्वारा कराए गए सर्वे में यह तथ्य सामने आया है।

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क्या है स्टोमेटा

पत्तियों की सतह पर वायु, जल एवं वाष्प के आदान-प्रदान के लिये विशेष प्रकार के अति सूक्ष्म छिद्र पाए जाते हैं जिन्हें स्टोमेटा कहते हैं। स्टोमेटा के जरिये ही पत्तियों के माध्यम से पेड़ के द्वारा खुद को जीवित रखने के लिये भोजन का प्रबंध किया जाता है। इन्हीं स्टोमेटा के जरिए पेड़ कार्बन डाइ-आॅक्साइड को ग्रहण करते हैं और आॅक्सीजन को छोड़ते हैं।

एक्यूआइ भी है जिम्मेदार

धूल के कणों के द्वारा विभिन्न प्रकार के गैसीय कणों और हानिकारक गैसों के साथ मिलकर एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) बनाया जाता है। एक्यूआइ की मात्रा जितनी ज्यादा होगी उस क्षेत्र की हवा उतनी ही प्रदूषित मानी जाती है।

कहां कराया सर्वे

विभाग द्वारा आगरा-मथुरा हाईवे, आगरा-ग्वालियर हाईवे व ताजगंज क्षेत्र में सर्वे कराया गया। एक महीने तक चले इस सर्वे में पेड़ों और पौधों की पत्तियों पर जमी काली परत की जांच की गई। वाटर वर्क्स व भगवान टाकीज क्षेत्र में भी वर्षों पुराने पेड़ जहां प्रदूषण के शिकार हो रहे हैं, वहीं चौड़ी सड़कों के बीच बने डिवाइडर पर लगाए गए पौधे भी इसकी चपेट में आकर सूख रहे हैं।

धूल जमने से धीमी पड़ जाती है फोटोसिंथिसिस की प्रक्रिया

डाॅ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के बॉटनी विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. आरके अग्निहोत्री ने बताया कि पत्तियों पर धूल जमने से फोटोसिंथिसिस की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है, जिससे वो अपना भोजन नहीं बना पाते हैं। इसलिए सूख जाते हैं। पत्तियों पर जमी धूल को पानी से धोना पड़ता है। शहर में इस समय स्थानीय प्रशासन को निर्माणाधीन स्थलों के आसपास पानी की बौछार पौधों पर डालनी होगी, तभी वो पनप पाएंगे।


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