ट्रांसफर के बाद भी आगरा में 'जुगाड़' से जमे हैं 683 सिपाही
बॉर्डर स्कीम के तहत ट्रांसफर होने के बाद भी आगरा से नहीं हुए कार्यमुक्त आइजी ने रेंज के सभी एसएसपी को पत्र भेज मांगा कार्यमुक्ति का प्रमाण पत्र
आगरा,जागरण संवाददाता। आगरा रेंज से ट्रांसफर होने के बाद भी वर्षो से सिपाही जुगाड़ से यहां जमे हुए हैं। ये संख्या 683 है, जबकि अन्य जिलों में यह संख्या नाममात्र की है। इनमें से बहुत से हेड कांस्टेबल भी हो चुके हैं। अब आइजी ए सतीश गणेश ने सभी को रिलीव करने को पत्र भेजा है। इससे खलबली मच गई है।
रेंज स्तर पर बार्डर स्कीम के तहत वर्ष 2014 में सिपाहियों के तबादले किए गए। इसके बाद भी समय-समय पर तत्कालीन डीआइजी और आइजी ट्रांसफर करते रहे। इनमें से अधिकांश जुगाड़ लगाकर रिलीव नहीं हुए। आइजी ए सतीश गणेश ने ऐसे सभी पुलिसकर्मियों की सूची तैयार कराई तो आगरा की संख्या चौंकाने वाली निकली। यहां 680 ऐसे सिपाही हैं, जिनके ट्रांसफर हो चुके हैं। ट्रांसफर आदेश वर्ष 2014 तक के हैं। इसके बाद भी यहीं नौकरी कर रहे हैं। इनमें से 30 से 40 सिपाही से हेड कांस्टेबल भी बन गए हैं।
मथुरा में ऐसे दो, फीरोजाबाद में 8 सिपाही हैं। जबकि मैनपुरी में ऐसा कोई सिपाही नहीं है। आइजी ने रेंज के सभी पुलिस कप्तानों को पत्र भेजकर ट्रांसफर के बाद भी जमे पुलिसकर्मियों को तत्काल जिले से कार्यमुक्त करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कार्यमुक्त करने के बाद कप्तानों से प्रमाण पत्र भी मांगे हैं। आखिर आगरा से क्यों नहीं जाना चाहते सिपाही
आगरा में एक बार आने के बाद तमाम सिपाही ऐसे हैं जो यहां से नहीं जाना चाहते हैं। पहले तो अपने बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने की मजबूरी बताकर रुकते हैं। बाद में कोई अधिकारी से तो कोई नेता से जुगाड़ लगाकर जम जाते हैं। विशेष टीमों में अधिकतर ऐसे सिपाही देखे जा सकते हैं।