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चुनाव मुद्दा: कहीं दिल्ली की राह में रोड़ा न बन जाए शहर की ये समस्‍या

पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण शहर में जाम बना लोगों के लिए मुसीबत। चुनावी एजेंडे में नहीं मिली जाम से निजात के उपायों को जगह।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 03:22 PM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 03:22 PM (IST)
चुनाव मुद्दा: कहीं दिल्ली की राह में रोड़ा न बन जाए शहर की ये समस्‍या
चुनाव मुद्दा: कहीं दिल्ली की राह में रोड़ा न बन जाए शहर की ये समस्‍या

आगरा, जागरण संवाददाता। लोकसभा चुनाव के लिए सभी दल मैदान में हैं। अपने-अपने दावे हैं और वादे भी। मगर, शहर में लगने वाला ट्रैफिक जाम और इंतजाम किसी की प्राथमिकता में नहीं हैं। खराब रोड इंजीनियरिंग, हाईवे निर्माण की सुस्त चाल के साथ ही शहर में पार्किंग न होने के कारण समस्या बढ़ रही है। न चुनावी एजेंडे में इस पर बात होती है और न ही मंच से इससे निजात के उपायों के वादे। पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण शहर में हर शख्स इससे रूबरू है। तमाम छोटी- बड़ी समस्याओं के बीच जाम लोगों के लिए चुनावी मुद्दा बन रहा है।

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ताजनगरी में अब तक शुरू की गई ट्रैफिक सुधार की मुहिम में पार्किंग ने रोड़ा डाल दिया। शहर की लाइफ लाइन एमजी रोड समेत शहर के प्रमुख चौराहों और पुराने व्यस्त बाजारों में वाहन पार्किंग की व्यवस्था न होने से यातायात सुधार की गति पटरी से उतर गई। शहर की प्रमुख सड़कों, बाजारों में पार्किंग बनाने को योजनाएं तो बनीं, लेकिन अधिकारियों की इच्छा शक्ति के अभाव में अमलीजामा नहीं पहन सकीं। कभी बजट नहीं स्वीकृत हो सका तो कहीं पार्किंग को चुनी जगह क्षेत्रीय लोगों के विरोध की भेंट चढ़ गई।

शहर की लाइफ लाइन एमजी रोड पर बड़े-बड़े शोरूम और कांप्लेक्स बन गए। इनके सामने पार्किंग की सुविधा न होने से सड़क पर खड़े होने वाले वाहनों से एमजी रोड को जाम से जूझना पड़ता है। एतिहासिक स्मारकों किला और एत्माद्दौला आने वाले विदेशी पर्यटकों के वाहनों के लिए भी पार्किंग का निर्धारित स्थान नहीं है।

रोड़ा एक- पैदल के लिए फुटपाथ न होना

एमजी रोड के विकल्प के रूप में बनी एमजी रोड-दो पर भी फुटपाथ नहीं बनाया गया है। जिससे पैदल राहगीर सड़क पर चलते हैं, सड़क पर ही खड़े हो वाहनों का इंतजार करते हैं। उनके द्वारा आधी सड़क घेरने से जाम की स्थिति पैदा होती है।

रोड़ा दो- वन वे व्यवस्था का पालन न होना

इसके लिए एक तरफ ट्रैफिक पुलिस की लापरवाही तो दूसरी ओर लोगों की ट्रैफिक सेंस का अभाव देखने को मिल रहा है। शहर में कई स्थानों पर वनवे ट्रैफिक व्यवस्था है। पुलिस ने पथ प्रदर्शक के साथ बैरियर भी रखवा दिए। इसके बाद भी लोग गलत दिशा में वाहन चलाते हैं। ये लोग हादसे का कारण बनते हैं।

रोड़ा तीन- बसों के गलत स्टॉपेज

ट्रैफिक सुधार में तीसरा रोड़ा रोडवेज बसों का स्टॉपेज भी है। जाम से सबसे ज्यादा जूझने वाले भगवान टॉकीज चौराहे और श्री टॉकीज बाइपास पर खड़ी होने वाली रोडवेज बसें भी जाम का प्रमुख कारण बनती हैं। ओवरब्रिज से उतरते ही बसें सवारियों को उतारने और बैठाने के लिए खड़ी हो जाती हैं। वाटर वक्र्स चौराहे पर भी रोडवेज बसों के स्टॉपेज की यही स्थिति है। एसएसपी अमित पाठक ने सख्ती दिखाई। तमाम रोडवेज चालक और परिचालकों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराए। कुछ दिन सुधार दिखने के बाद अब फिर वही स्थिति हो गई।

रोड़ा चार- अंडरपाथ न बनना

ट्रैफिक सुधार में चौथा रोड़ा प्रमुख चौराहों और सड़कों पर अंडरपाथ नहीं होना भी है। मगर, अभी तक ये नहीं बन सके। ये भी जाम का प्रमुख कारण बनते हैं।

रोड़ा पांच- चौराहों और सड़क पर अतिक्रमण

शहर में अतिक्रमण भी एक बड़ी समस्या है। एसएसपी अमित पाठक ने खुद चौराहों पर खड़े होकर अतिक्रमण हटवाया। प्रमुख बाजारों से भी नगर निगम की मदद से अभियान चलाकर साफ करा दिया। मगर, अभी इसमें और सुधार की गुंजाइश है।

जनता को भी सुधरना होगा

ट्रैफिक सुधार की राह में सबसे बड़ा रोड़ा खुद जनता है, जो यातायात नियमों का पालन कर सहयोग नहीं करती। कुछ हद तक जन प्रतिनिधि भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। पुलिस कंट्रोल रूम की तरह ट्रैफिक कंट्रोल रूम होना चाहिए। जिसमें त्वरित कार्रवाई हो, जो एमजी रोड पर चल रहे ट्रैफिक पर सीसीटीवी कैमरों की मदद से लगातार नजर रखे। जहां पर जाम की स्थिति दिखाई दे वहां तत्काल जाकर कार्रवाई करे। इससे भी ट्रैफिक में सुधार होगा।

स्मार्ट इंटेलीजेंस के काम में भी रोड़ा

स्मार्ट सिटी के तहत शहर के 12 चौराहों पर स्मार्ट इंटेलीजेंस सिस्टम विकसित करने का काम भी अधर में लटक गया है। इसमें पीडब्ल्यूडी ने शर्तों का रोड़ा लगाया है। इसमें नौ शर्त रखी गई हैं। इसके कारण अभी कार्य कराने वाले बेंडर बच रहे हैं।

जागरण सुझाव

- शहर में पार्किंग के लिए स्थान तय किए जाएं। निर्धारित पार्किंग स्थलों में ही वाहनों को पार्क करें।

- अतिक्रमण हटाने के बाद संबंधित विभागों द्वारा सतत उसकी निगरानी की जाए।

- यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए सामाजिक संस्थाओं और जनप्रतिनिधियों को भी जिम्मेदारी उठानी होगी।

- नए मॉल और कांप्लेक्स तथा अपार्टमेंट में पार्किंग होने पर ही मानचित्र स्वीकृत कर निर्माण की अनुमति दी जाए। 


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