आगरा में वैदिक मंत्रोचार के साथ हुआ पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी का त्रयोदशी संस्कार
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 16 अगस्त को हुआ था निधन। विधायक जगन प्रसाद ने पूर्व प्रधानमंत्री को पिता तुल्य मानते हुए कराया था मुंडन तो अब कर रहे त्रयोदशी संस्कार।
आगरा(जेएनएन) मै जी भर जिया, मैं मन से मरूं, लौटकर आऊंगा कूच से क्यों डरूं..अटल इरादों के अटल जी कूच तो कर गए एक अनदेखी दुनिया की ओर लेकिन उनकी मौजूदगी का अहसास उनके बताए आदर्श आज भी करा रहे हैं। धर्म, धरती और धैर्य से उनका जुड़ाव हर देशवासी के लिए मिसाल है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की इन्हीं यादों को मन में संजोकर हवन वेदी पर बैठे थे उनके अनुयायी। अटल जी के त्रियोदशी संस्कार में विधायक जगन प्रसाद गर्ग ने की आगरा में पूर्व प्रधानमंत्री की आदमकद प्रतिमा लगाने की घोषणा।
राजनीति के अजातशत्रु का देहावसान हुए बुधवार को 13 दिन हो गए। उनकी आत्मा की शांति के लिए उनके अनुयायी हर संभव प्रयास कर रहे हैं। एक ओर देश की सौ नदियों में उनकी अस्थियों का विसर्जन किया जा रहा है, वहीं त्रयोदशी संस्कार देश में विभिन्न जगह किया जा रहा है। आगरा के विधायक जगन प्रसाद गर्ग पुत्रधर्म निभाते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का त्रयोदशी संस्कार करना आरंभ किया।
मदिया कटरा स्थित होटल वैभव पैलेस में सुबह दस बजे 28 पुरोहितों ने हवन के साथ संस्कार की प्रक्रिया आरंभ कराई। भाजपा नेता मुरारीलाल फतेहपुरिया, महानगर उपाध्यक्ष नवल तिवारी, युवा मोर्चा महामंत्री मनोज गर्ग, हिंदू जागरण मंच के अनंत उपाध्याय, सांसद प्रतिनिधि प्रमोद गुप्ता, प्रकाश शर्मा आदि ने हवन में आहुति दी। 12 बजे के बाद त्रयोदशी संस्कार के अंतर्गत ब्राह्माण भोज होगा। 28 पुरोहितों को विधायक भोजन कराएंगे।
भोजन व्यवस्था में अटल जी की रुचि और भारतीय परंपरा का पूरा ध्यान रखा जाएगा। करीब 500 लोगों के त्रयोदशी का प्रसाद ग्रहण करने की संभावना है, जिसमें भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ सामाजिक संगठनों के लोग भी शामिल होंगे। ब्राह्माण भोज के बाद सभी पुरोहितों को अटल जी जिन वस्तुओं का दैनिक जीवन में प्रयोग करते थे, वे वस्तुएं दान की जाएंगी। धोती कुर्ता, छाता, जूते, पलंग, किताब, पैन आदि वस्तुएं दान की जाएंगी।
अटल जी की पसंद का बना है भोज: अटल जी के त्रयोदशी संस्कार की तैयारी करीब दस दिनों से चल रही है। पूर्व प्रधानमंत्री खाने के विशेष शौकिन थे। ब्रज का स्वाद उन्हें बेहद प्रिय थे। उनकी पसंद को ध्यान में रखते हुए ही ब्राह्माण भोज के लिए पकवान बनवाए गए हैं। मालपुए, खीर, दाल बाटी, इमरती, आलू की सब्जी, कचौड़ी और गोल गप्पे बनवाए गए हैं।