Chemical Testing: सोडियम हाईपोक्लोराइट से ताजमहल को कोई नुकसान तो नहीं, परख लिया ये पहले
Chemical Testing सैनिटाइजेशन से पूर्व एएसआइ की रसायन शाखा ने किया अध्ययन। सफेद धब्बे पड़ने की स्थिति में पानी से धोकर कर सकते हैं साफ। ताजमहल को खोलने के साथ ही ये भी रखा गया ध्यान कि कोरोना वायरस के मद्देनजर सेनेटाइजेेेेशन होता रहा।
आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना काल में सैनिटाइजेशन में इस्तेमाल किए जा रहे सोडियम हाईपोक्लोराइट से ताजमहल को कोई नुकसान नहीं है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की रसायन शाखा संगमरमर पर इसके दुष्प्रभाव का अध्ययन कर चुकी है। संगमरमर पर अधिक से अधिक सफेद धब्बे पड़ेंगे, जिन्हें पानी से धोकर साफ किया जा सकता है। संगमरमर की मजबूती पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
लंबे अरसे बाद ताजमहल 21 सितंबर को खोला गया है। कोरोना काल में स्मारक का क्रेज पर्यटकों में बरकरार है। एएसआइ द्वारा पर्यटकों को सुरक्षित महसूस कराने को स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्राेसीजर और गृह व स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है। स्मारक को कोरोना के संक्रमण से मुक्त रखने को सैनिटाइजेशन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पर्यटकों के हाथों व पैरों के साथ स्मारक को दिन में दो बार सैनिटाइज किया जा रहा है। इसमें सोडियम हाईपोक्लोराइट का इस्तेमाल हो रहा है। सोडियम हाईपोक्लोराइट से घरों में सैनिटाइज करने वालों के अनुभव अच्छे नहीं रहे हैं। संगमरमर पर धब्बे पड़ गए हैं। ताजमहल में इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि सोडियम हाईपोक्लोराइट का संगमरमर पर कोई दुष्प्रभाव न हो। इसके लिए मई-जून में ही रसायन शाखा से संगमरमर पर उसके दुष्प्रभाव जानने को अध्ययन करा लिया गया था। रसायन शाखा द्वारा सुरक्षित बताने के बाद उचित मात्रा में ही सोडियम हाईपोक्लोराइट का प्रयोग ताजमहल को सैनिटाइज करने में किया जा रहा है।
कपड़े खराब न हों, इसलिए बेंच को किया कवर
सेंट्रल टैंक स्थित संगमरमर की बेंच को एएसआइ द्वारा प्लास्टिक शीट से कवर किया गया है। बेंच को दिन में 20 से अधिक बार सैनिटाइज करना पड़ रहा है। सैनिटाइजेशन के बाद बेंच को सूखे कपड़े से पोंछ दिया जाता है। बेंच गीली रहेगी पर्यटकों के कपड़े खराब हो सकते हैं। सोडियम हाईपोक्लोराइट के संपर्क में आने से कपड़ों का रंग उड़ रहा है। एएसअाइ के कुछ कर्मचारियों के कपड़े खराब हो चुके हैं।
'लोगों ने घरों में निर्धारित मात्रा से अधिक सोडियम हाईपोक्लोराइट का प्रयोग सैनिटाइजेशन में किया होगा, जिससे धब्बे पड़े होंगे। ताजमहल को प्रोफेशनल तरीके से सैनिटाइज किया जा रहा है। मुख्य मकबरे पर सैनिटाइजेशन की अधिक जरूरत नहीं है, क्योंकि दो बार पर्यटकों के पैरों को सैनिटाइज कराया जा रहा है। मुख्य मकबरे पर शू-कवर पहनकर पर्यटक जाते हैं, जिससे वहां संक्रमण पहुंचने की संभावना भी नहीं है। ताजमहल बंद होने के बाद संगमरमर वाले हिस्से को सोडियम हाईपोक्लोराइट की कम मात्रा वाले मिश्रण से सैनिटाइज किया जा रहा है।'
-वसन्त कुमार स्वर्णकार, अधीक्षण पुरातत्वविद