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आगरा में बांग्लादेशी घुसपैठियों की भरमार, पुलिस है बेखबर

इनके पास आधार कार्ड, राशन कार्ड और बैंक पासबुक सबकुछ है, बस्ती की करीब 40 फीसद महिलाओं के पास अब आधार कार्ड हैं।

By amal chowdhuryEdited By: Published: Thu, 10 Aug 2017 12:53 PM (IST)Updated: Thu, 10 Aug 2017 12:53 PM (IST)
आगरा में बांग्लादेशी घुसपैठियों की भरमार, पुलिस है बेखबर
आगरा में बांग्लादेशी घुसपैठियों की भरमार, पुलिस है बेखबर

आगरा (जागरण संवाददाता)। आगरा में बांग्लादेशी घुसपैठियों की भरमार है। कई दशक पहले से झोपड़ियों में रहने वाले इन परिवारों ने स्थानीय बोली सीखकर अब आधार कार्ड और राशन कार्ड बनवाकर यहीं की नागरिकता भी हासिल कर ली है। मुजफ्फरनगर से बांग्लादेशी आतंकी अब्दुल्लाह के गिरफ्तार होने के बाद इन बस्तियों से उसका कनेक्शन होने की आशंका जताई जा रही है।

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आतंकी अब्दुल्लाह के पास मिले एक पेपर पर बांग्ला भाषा में आठ लोगों के नाम लिखे हुए मिले हैं। इसमें आगरा को दहलाने की साजिश के बारे में भी लिखा है। इन आठ लोगों में आगरा के भी कुछ नाम हो सकते हैं। एटीएस अब आतंकी से उसकी साजिश और पेपर से मिले नामों के बारे में जानकारी कर रही है।

एत्माद्दौला के यमुना ब्रिज के पास पांच दशक से इसी तरह की बस्ती बसी हुई है। 150 झोपड़ियों में रहने वाले इन लोगों का रहन-सहन बरसों पुराना है, लेकिन भाषा बदल गई है। गोपी झोंपड़ी, मारवाड़ी इंद्रा नगर के नाम से इस बस्ती को आधार कार्ड में पहचान मिल चुकी है। इनमें दो हजार से अधिक लोग रहते हैं। मगर, इनकी हकीकत कोई नहीं जानता। इसके बाद भी पुलिस और खुफिया एजेंसियों को इन पर कोई शक नहीं है।

जागरण टीम ने पिछले दिनों इस बस्ती की पड़ताल कर हकीकत उजागर की। इसके बाद भी पुलिस और खुफिया एजेंसी हरकत में नहीं आईं। इनके पास आधार कार्ड, राशन कार्ड और बैंक पासबुक सबकुछ है। बस्ती की करीब 40 फीसद महिलाओं के पास अब आधार कार्ड हैं। गोपी झोंपड़ी की तरह सिकंदरा, सदर और रकाबगंज के बिजलीघर में बस्तियां हैं। इनमें हजारों लोग रहते हैं, जिनका पुलिस ने अभी तक वेरीफिकेशन नहीं किया है।

फेरी लगाकर बेचते हैं सामान: इन बस्तियों में रहने वाले महिला और पुरुषों के साथ बच्चे कबाड़ बीनने में लगे रहते हैं। इससे ऊपर उठ चुके कुछ लोग अब फेरी लगाकर शहर के अलग-अलग इलाकों में सामान बेचते हैं।

थाने में नहीं रहता कोई रिकार्ड: शहर के एत्माद्दौला, सदर, सिकंदरा और रकाबगंज थानों में घुसपैठियों की बस्ती हैं। मगर, पुलिस के रिकार्ड में कुछ नहीं है। न तो बीट सिपाही इनको देखता है न ही दारोगा। इनकी गतिविधियों पर भी कोई नजर नहीं रखी जा रही है। पुलिस की ढिलाई के चलते वे अब यहां के नागरिक बनते जा रहे हैं, जिससे उन्हें बांग्लादेशी प्रमाणित करना ही मुश्किल हो रहा है।

होटल में ठहरकर गए थे आइएम के आतंकी: इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी बरकत और साकिब डीआइजी आवास के पास स्थित एक होटल में वर्ष 2014 में ठहरे थे। 7 मार्च को वे यहां आए थे। इसके बाद उन्होंने पूरे शहर की रेकी की। दिल्ली में पकड़े जाने के बाद आतंकियों ने खुफिया एजेंसियों को इसकी जानकारी तब यहां खलबली मच गई। होटल का रिकार्ड चेक किया गया तो उनके पहचान पत्र भी मिले थे।

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आगरा में पढ़ा था आतंकी सलीम: एटीएस द्वारा मुंबई से गिरफ्तार किया गया आतंकी सलीम आगरा में पढ़ा था। उसके पिता यहां नौकरी करते थे। प्राइमरी की पढ़ाई उसने मोती लाल नेहरू रोड स्थित मुफीद ए आम इंटर कॉलेज की मांटेशरी में की थी। एटीएस को पूछताछ में उसने यह जानकारी दी थी।

एजाज भी कई बार आया था आगरा: आइएसआइ एजेंट एजाज भी कई बार आगरा आया था। ताजमहल समेत अन्य एतिहासिक इमारतों की रेकी करने के बाद वह यहीं रुका। जानकारी होने के बाद खुफिया एजेंसियों ने उसके ठिकानों को खंगाला था।

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