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Monuments in Agra: जगनेर का किला, प्रसिद्ध है यहां का ग्वाल बाबा मंदिर, दूर-दूर से दर्शन को आते हैं लोग

जगनेर में स्थित किला है उपेक्षित। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का संरक्षण पर नहीं है ध्यान। पहाड़ी पर बना हुआ किला आगरा से करीब 50 किमी दूर स्थित है। 16वीं शताब्दी में हुआ था किले का निर्माण। ग्वाल बाबा के मंदिर में उमड़ती है भीड़।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Mon, 21 Dec 2020 05:16 PM (IST)Updated: Mon, 21 Dec 2020 05:16 PM (IST)
Monuments in Agra: जगनेर का किला, प्रसिद्ध है यहां का ग्वाल बाबा मंदिर, दूर-दूर से दर्शन को आते हैं लोग
पहाड़ी पर बना जगनेर का प्राचीन किला।

आगरा, निर्लोष कुमार। अागरा में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा संरक्षित स्मारकों में जगनेर का किला भी है। यहां का ग्वाल बाबा मंदिर प्रसिद्ध है। पहाड़ी पर बने किले के संरक्षण पर एएसआइ द्वारा उचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिससे यह पहचान खोता जा रहा है।

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आगरा की दक्षिण-पश्चिम दिशा में करीब 50 किमी दूर पहाड़ी पर जगनेर का किला, ग्वाल बाबा मंदिर और बाबली एएसआइ द्वारा संरक्षित हैं। इसकी दूरी खेरागढ़ से 21 किमी है। यह किला खंडहर हालत में है। एएसआइ के मोबाइल एप पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार किले का निर्माण जगवल राव द्वारा कराया गया था। वर्ष 1572 में वो एक सरदार थे। किले का निर्माण स्थानीय पत्थरों से किया गया था। किले की उत्तर दिशा में स्थित मुख्य प्रवेश द्वार आयताकार बाड़े की ओर जाता है। इसके प्रत्येक किनारे पर बुर्ज बना हुआ है। किले के अंदर के सभी परिसर प्रवेश द्वार के द्वारा जुड़े हुए हैं। यहां दीवान-ए-आम कांप्लेक्स संरक्षित स्थिति में है। एक आवासीय परिसर के अवशेष भी यहां हैं। इस परिसर में स्थित रानी पैलेस कभी सात मंजिला हुआ करता था, जो कि अब केवल एक मंजिला बचा हुआ है। किले के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में ग्वाल बाबा का मंदिर स्थित है, जिसमें एक कमरा बना हुआ है। इस मंदिर की काफी मान्यता है और यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन को आते हैं। एएसआइ द्वारा कई वर्षों से जगनेर के किले में संरक्षण कार्य नहीं कराया गया है, जिससे इसकी स्थिति जीर्ण-शीर्ण है।

जगन सिंह के नाम पर है जगनेर, अलग-अलग हैं मत

13वीं सदी के शासक जगन सिंह के नाम पर क्षेत्र का नाम जगनेर पड़ा है। आगरा गजेटियर के अनुसार जगनेर को पहले ऊंचाखेड़ा कहते थे। कर्नल टाड के अनुसार 'नेर' का अर्थ चारों ओर से प्राचीर से घिरा नगर होता हैै। किले में लगे शिलालेख के अनुसार इसे राजा जगन पंवार ने बनवाया था। कनिंघम की पुस्तक पूर्वी राजस्थान के यात्रावृत्त से भी इसकी तस्दीक होती है। स्थापत्य कला के हिसाब से इसे महोबा नरेश आल्हा-ऊदल के मामा राजा राव जयपाल द्वारा बनवाने की बात सामने आती है।

लागू नहीं है टिकट

स्मारक पर प्रवेश शुल्क लागू नहीं है। सूर्याेदय से सूर्यास्त तक पर्यटक किले का दीदार कर सकते हैं।


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