सरकारी बेरुखी कुरेद रही तूफान के जख्म
11 अप्रैल और दो मई को आए तूफान के निशान आज तक बाकी हैं। तूफान प्रभावित खेरागढ़ के बुरहरा और आगरा- ग्वालियर हाईवे पर स्थित कुकुावर की वर्तमान स्थिति पर जागरण ने देखी यथास्थिति।
आगरा(यशपाल चौहान): खेरागढ़ तहसील के कुकावर गांव में तूफान से मची तबाही के निशान भले ही वक्त और मौसम ने मिटा दिए, लेकिन कलेजे के जख्म अभी हरे हैं। एक साथ तीन बच्चों की मौत को माया देवी ताजिंदगी भुला नहीं पाएंगी लेकिन अब आश्वासन के बाद सरकारी बेरुखी उनके जख्मों को कुरेद रही है।
आगरा-ग्वालियर हाईवे से पांच किमी अंदर बसे गांव कुकावर में दो मई की रात तबाही लेकर आई थी। यहां माया अपने पति राजवीर और बच्चों के साथ खाना खाने के बाद छत पर पड़े टिनशेड में बैठी थीं। पास में उनकी देवरानी उर्मिला भी अपने बच्चों के साथ थी। अचानक आए तूफान में टिनशेड छत पर गिरा और सभी मलबे में दब गए। हादसे में माया के 9 वर्षीय बेटे अंकित, 8 वर्षीय भोला, 6 वर्षीय बेटी तन्नू और उर्मिला के बेटे अनंत की मौत हो गई। परिवार के अन्य सभी सदस्य घायल हो गए। घटना के तीसरे दिन डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा गांव में पहुंचे। तमाम प्रशासनिक अधिकारी पहले से ही गांव में डेरा डाले थे। माया का कहना है कि वह घायल थी, फिर भी बेटों की मौत होने पर वह उनके शव के साथ घर आ गईं। डिप्टी सीएम ने उनको चार बच्चों की मौत पर 16 लाख रुपये की आर्थिक मदद की। इसके साथ ही उन्हें घर के बर्तन, राशन और राशन कार्ड दूसरे दिन तक उपलब्ध कराने का वादा किया था। मगर, डिप्टी सीएम के जाने के बाद न तो कोई उनके घर राशन पहुंचा और न ही राशन कार्ड देने। बर्तन खरीदकर पहुंचाना तो दूर की बात है। माया पढ़ी लिखी नहीं हैं। वह कहती हैं कि अपने बच्चों को खोने का दर्द रुपयों से कम नहीं हो सकता। मगर, अधिकारियों ने उनसे वादाखिलाफी की है। घर में राशन नहीं था और पति और देवर के दो बच्चे घायल थे। ऐसे में परिवार के कुछ लोगों ने उनकी मदद की।
यही हाल खेरागढ़ के बुरहरा गांव में अपने पांच वर्षीय बेटे देव को तूफान में गंवाने वाली सुधा का है। सुधा के पति मजदूरी कर परिवार का पेट पालते हैं। दो मई को आए तूफान में सुधा अपनी दस माह की बेटी, पांच वर्षीय बेटे देव और देवर सुरेंद्र के सात वर्षीय बेटे विवेक के साथ कमरे में थी। तूफान में छत गिर पड़ी और वे मलबे में दब गए। देव और विवेक की मौत हो गई। जबकि सुधा और उनकी दस माह की बेटी बाल-बाल बच गई। उनका कहना है कि सांत्वना देने गांव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आए थे। उन्होंने चार-चार लाख रुपये मुआवजे के चेक दे दिए। मंच से उन्होंने गैस कनैक्शन, राशन कार्ड, राशन और बर्तन देने के लिए भी कहा था। मगर, किसी अधिकारी ने न तो राशन की व्यवस्था की और न ही राशन दिलाया। ढाई माह से उनका परिवार पड़ोसी के घर में रह रहा है और उन्हीं के घर खाना खा रहे हैं।
खेरागढ़ के गांव महुआ खेड़ा में भी दो मई को आए तूफान में कमरे की छत गिरने से रामभरोसी के 25 वर्षीय इकलौते बेटे सुनील की मौत हो गई थी। तीसरे दिन उनके घर डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने पहुंचकर चार लाख रुपये मुआवजे का चेक दिया। उन्हें राशन कार्ड, राशन, गैस कनैक्शन दिलाने का वादा किया था। अधिकारियों से मौके पर ही उनके सामने निर्देश भी दिए। अब जो मिला उसके बारे में पूछने पर रामभरोसी की आंखों से आंसू निकलने लगते हैं। कहते हैं कि तब तो नेता लोग आ रहे थे तो अधिकारी भी वादे कर रहे थे। अब कोई नहीं आ रहा और उन्हें चेक के बाद कुछ नहीं मिला।
प्राइवेट में करा रहे इलाज:
एक ही घर के चार बच्चों की मौत के बाद एसएन मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों ने परिवारों के साथ हमदर्दी दिखाई थी। मगर, बाद में उनका रुख बदल गया। कुकावर निवासी माया और उनके देवर प्रेमपाल का कहना है कि कुछ दिन बाद डॉक्टर कहने लगे थे कि अब नेता तुम्हें देखने नहीं आने वाले। उनका रुख देखकर वहां से छुट्टी करा ली। अब प्राइवेट डॉक्टर के यहां इलाज करा रहे हैं।
मलबा तक नहीं हटा:
खेरागढ़ के महुआ खेड़ा निवासी रामभरोसी के जिस कमरे की छत के मलबे में दबकर उनके बेटे की मौत हुई थी। अभी तक वह भी नहीं हटा है। उसे देखकर वे और उनकी पत्नी विमला आंसू बहाते रहते हैं।
दो माह तक नहीं जला चूल्हा:
माया के घर में चार बच्चों के खोने के गम में दो माह तक चूल्हा नहीं जला। मुहल्ले और परिवार के लोग उनके यहां खाना लाते, लेकिन उन्हें खाना नहीं भाता था। अब किसी तरह वे अकेलेपन में परिवार जी रहा है।