Leather Industry: फुटवियर इंडस्ट्री का कारोबार फिर पकड़ेगा रफ्तार, दुनिया से हट रहा कोरोना वायरस का धीरे-धीरे साया
आगरा के लेदर फुटवियर निर्यात से छंट रहा कोरोना का ग्रहण। कोरोना काल के संकट से उबरता नजर आ रहा है लेदर फुटिवयर निर्यात कारोबार। काउंसिल फार लेदर एक्सपोर्ट ने जारी किए अप्रैल से जुलाई तक हुए निर्यात के आंकड़े।
आगरा, निर्लोष कुमार। वर्ष 2020 में कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते पाबंदियों से सिसकते रहे आगरा के लेदर फुटवियर निर्यात कारोबार की गाड़ी पटरी पर लौटती नजर आ रही है। काउंसिल फार लेदर एक्सपोर्ट (सीएलई) द्वारा जारी आंकड़ों को देखें तो अप्रैल से जुलाई की अवधि में 995 करोड़ रुपये का जूता निर्यात हुआ। पिछले वर्ष इस अवधि में 627 करोड़ रुपये का ही जूता निर्यात हुआ था। लेदर फुटवियर निर्यात से कोरोना का ग्रहण छंट रहा है। लेदर फुटवियर के लिए दुनियाभर में जाना जाने वाला आगरा अब नान-लेदर फुटवियर का भी निर्यात कर रहा है। 2019 की अपेक्षा 2021 में नान-लेदर फुटवियर का निर्यात कई गुना बढ़ा है।
सीएलई द्वारा अप्रैल से जुलाई तक की अवधि के जारी किए गए आंकड़ों को देखें तो वर्ष 2020 की अपेक्षा 2021 में लेदर फुटवियर, नान-लेदर फुटवियर, फुटवियर कंपोनेंट्स और लेदर गुड्स का निर्यात आगरा से बढ़ा है। लेदर फुटवियर का निर्यात कारोबार वर्ष 2019 की अपेक्षा कम है, लेकिन नान-लेदर फुटवियर, फुटवियर कंपोनेंट्स और लेदर गुड्स का निर्यात बढ़ा है। इससे कारोबारियों को अब काेरोना वायरस के संक्रमण से उबरने की उम्मीद नजर आ रही है। सीएलई के नोर्दर्न रीजन के चेयरमैन पूरन डावर ने बताया कि वर्ष 2020 की अपेक्षा वर्ष 2021 में प्रतिबंध कम रहने से लेदर फुटवियर का निर्यात बढ़ा है। सब कुछ ठीक रहा तो अगले वर्ष तक लेदर इंडस्ट्री कोरोना के संकट से पूरी तरह उबर जाएगी।
एक ही कैटेगरी में रखे जाएं लेदर और टेक्सटाइल
सीएलई के प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से दिल्ली में मुलाकात की। वित्त मंत्री से लेदर निर्यात की स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा की गई। इसके साथ ही लेदर और टैक्सटाइल को एक ही कैटेगरी में रखने की मांग की गई, जिससे कि टैक्सटाइल इंडस्ट्री के समान लेदर इंडस्ट्री को भी योजनाओं का लाभ मिल सके। इससे दोनों इंडस्ट्री एक साथ ग्रो कर सकेंगी। प्रतिनिधिमंडल में सीएलई के चेयरमैन संजय लीखा, उपाध्यक्ष आरके जालान और नोर्दर्न रीजन के चेयरमैन पूरन डावर शामिल थे।
यह झेले संकट
-वर्ष 2020 में मार्च से मई तक जूता फैक्ट्रियां पूरी तरह बंद रहीं।
-फैक्ट्रियों में कर्मचारियों के काम करने की जगह पर कोरोना गाइडलाइन के चलते जरूरी इंतजाम करने पड़े।
-कोरोना काल में यूरोपीय देशों में बंदी के चलते वर्ष 2020 में आर्डर घटकर 40-50 फीसद तक रह गया।
-एमईआइएस के तहत जूते की गुणवत्ता बढ़ाने वाले सामान के आयात पर मिलने वाले पांच फीसद इंसेंटिव्स को सरकार ने बंद कर दिया।
-कच्चे चमड़े के आयात पर बजट में सरकार ने 10 फीसद कर लगा दिया।
-कंटेनर की अनुपलब्धता से निर्यात पर असर पड़ा। कंटेनर महंगे मिलने से निर्यात करने की लागत बढ़ी।
-इस वर्ष भी कारोबारियों को कम आर्डर मिले हैं।
जूता कारोबार: एक नजर
-कोरोना काल से पूर्व वर्ष 2019 तक आगरा से करीब पांच हजार करोड़ रुपये का जूता निर्यात प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से होता था।
-देश के जूता निर्यात में आगरा की करीब 28 फीसद भागीदारी है।
-आगरा में करीब 150 जूता निर्यातक फैक्ट्रियां हैं।
-जूता कारोबार पर करीब पांच लाख लोग प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से आश्रित हैं।
-वर्ष 2022 तक कोरोना के संकट से उबरने की है जूता कारोबारियों को उम्मीद।
अप्रैल से जुलाई तक आगरा से हुए निर्यात की स्थिति (मिलियन रुपये में)
प्रोडक्ट्स, 2019, 2020, 2021
लेदर फुटवियर, 11671.63, 6270.90, 9951.20
फुटवियर कंपोनेंट्स, 57.19, 39.52, 61.03
नान-लेदर फुटवियर, 14.79, 18.24, 99.51
गुड्स, 23.64, 9.77, 31.86
टोटल, 11767.25, 6338.43, 10143.60