साइबर अपराधियों के खातों और ई-वाॅॅलेट पर हल्ला बोल, पीड़ितों के खाते में लौट रही गंवाई हुई रकम, रखेंगे ध्यान तो आप रहेंगे बचे
पीड़ितों और साइबर सेल का तत्पर तालमेल और कार्रवाई से मात खा रहे शातिर। तीन महीने में एक दर्जन से ज्यादा लाेगों के खाते में वापस लौटी साइबर शातिरों द्वारा ट्रांसफर की गई रकम। कुछ बातों का ध्यान रखकर साइबर ठगी का शिकार होने से बच सकते हैं।
आगरा, अली अब्बास। खेरागढ़ के रिठौरी गांव निवासी मंजू देवी के पति विश्वेंद्र सीमा सुरक्षा बल में जवान हैं। मंजू देवी के पास 14 मार्च को साइबर शातिरों ने फोन किया। उन्हें अपनी बातों के जाल में फंसा लिया। शातिराें ने मंजू को बताया कि उनका सिम कार्ड ब्लाक होने वाला है। उसकी सर्विस चालू रखने के लिए मैसेज भेज रहे हैं।शातिरों ने ओटीपी उनसे हासिल करके खाते से एक लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। मोबाइल पर खाते से रकम ट्रांसफर होने का मैसेज देख मंजू देवी ने इसकी सूचना तत्काल थाने को दी। वहां से रेंज साइबर थाने को इसकी जानकारी दी गई।साइबर रेंज थाने ने जिस खाते में रकम ट्रांसफर की गई थी। उसे होल्ड करा दिया, इसके अगले दिन ही यह रकम पीड़िता मंजू देवी के खाते में दोबारा ट्रांसफर हाे गई। साेमवार को रेंज साइबर थाने पहुंची मंजू देवी ने टीम को धन्यवाद दिया।
केस दो: साइबर शातिर योगेश ने एप की मदद से अलग-अलग नाम व पते से अपना आधार व पैन कार्ड बना लिया। इसके बाद एक फाइनेंस कंपनी से इन दस्तावेजों की मदद से आगरा, अलीगढ़, मथुरा, गाजियाबाद, नोएडा व दिल्ली में इलेक्ट्रानिक उपकरण फाइनेंस कराए। जिन्हें खरीदफरोख्त वाली आनलाइन वेबसाइट पर बेच दिया। शातिर कई महीने से यह काम कर रहा था। दिए गए पते पर जब वह नहीं मिला, उसके आधार व पैन कार्ड फर्जी पाए गए। कंपनी के मैनेजर ने इसकी शिकायत रेंज साइबर थाने में की। उसने पिछले महीने फरवरी में आरोपित का पता लगा लिया।शातिर द्वारा ठगी किए गए पांच लाख रुपये कंपनी के खाते में वापस लौटाए आरोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया।
आगरा पुलिस ने साइबर शातिरों के खातों और उनके ई-वालेट पर हल्ला बोल रखा है। इस वर्ष करीब तीन महीन के दौरान रेंज साइबर थाना और आगरा पुलिस की साइबर सेल शातिरों पर भारी पड़ी है। दोनों ने एक दर्जन पीड़ितों की रकम उनके खातों में वापस जमा कराई। साइबर शातिरों को मात देने की मुख्य वजह पीड़ित आैर पुलिस की तत्परता है। साइबर शातिरों का शिकार हुआ पीड़ित खाते से रकम निकलते ही पुलिस को सूचना देता है। इससे साइबर सेल और रेंज थाने की पुलिस सक्रिय हो जाते हैं। साइबर शातिर ने यदि रकम किसी के खाते में ट्रांसफर कर दी है तो उसे होल्ड कर दिया जाता है। वहीं यदि रकम ई-वालेट में ट्रांसफर की गई है तो संबंधित कंपनी से संपर्क करके उसे होल्ड कर देते हैं। इस साल रेंज साइबर सेल और आगरा पुलिस साइबर सेल एक दर्जन लोगों की रकम उनके खातों में दोबारा जमा करवा चुके हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
रेंज साइबर सेल के प्रभारी राजेश कुमार शर्मा के अनुसार कुछ बातों का ध्यान रखकर साइबर ठगी का शिकार होने से बच सकते हैं। प्रमुख सावधानी निम्न हैं-
- हमेशा ध्यान रखें आपका डेबिट या क्रेडिट कार्ड केवल आपकी उपस्थिति में स्वाइप हो।
- पिन या किसी भी गोपनीय जानकारी को किसी के साथ शेयर न करें।
- बिल प्राप्त होने के बाद हमेशा अपने क्रेडिट कार्ड की जांच करें।
- खरीददारी के बाद बिल लेना कभी न भूलें
- ओटीपी, पिन, सीवीवी, यूपीआइ पिन किसी से शेयर न करें।
- फोन में कभी भी बैंकिंग जानकारी शेयर न करें।
- बैंक कभी कोई जानकारी नहीं मांगता।
- आॅॅनलाइन पेमेंट में सावधानी बरतें।
- बैंक आपके डेबिट व क्रेडिट कार्ड से संबंधित जानकारी नहीं मांगता है।
- आॅॅनलाइन पेमेंट में सावधानी बरतें।
- बिना जांच के साफ्टवेयर इंस्टाल न करें।