Taj Mahal के पास मल्टीलेवल पार्किंग, रिवाइज्ड एस्टीमेट स्वीकृत होने के बाद होगा टेंडर, TATA ने छोड़ा प्रोजेक्ट
न विभाग को पौधों के वेरीफिकेशन के लिए पत्र भेजा जा चुका है। वेरीफिकेशन के बाद शिल्पग्राम में लगे 11 पेड़ों को काटा जाएगा। रिवाइज्ड एस्टीमेट को स्वीकृति मिलने के बाद पार्किंग के काम को टेेंडर किया जाएगा।
आगरा, जागरण संवाददाता। शिल्पग्राम में मल्टीलेवल पार्किंग के निर्माण को रिवाइज्ड एस्टीमेट को स्वीकृति मिलने के बाद टेंडर किया जाएगा। पार्किंग का काम मई, 2017 से बंद है। यहां लगे 11 पेड़ों को काटने के एवज में 330 पौधे लगाए जा चुके हैं। वन विभाग द्वारा वेरीफिकेशन के बाद 11 पेड़ काटे जाएंगे।
शिल्पग्राम में ताज ओरिएंटेशन सेंटर के निर्माण के प्रोजेक्ट का शिलान्यास पांच जनवरी, 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था। वर्ष 2017 में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद इस प्रोजेक्ट को केवल मल्टीलेवल पार्किंग के निर्माण तक सीमित कर दिया गया था। शुरुआत में आर्किटेक्ट ने शिल्पग्राम में लगे पेड़ों को पार्किंग के डिजाइन में शामिल किया था। बाद में उसने 11 पेड़ों को काटने की जरूरत बताई थी। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेड़ काटने को याचिका दायर की। सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी की निरीक्षण रिपोर्ट के बाद यहां 20 मई, 2017 से काम बंद है। इस वर्ष मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने 11 पेड़ काटने की अनुमति प्रदान की थी। 110 पौधे शिल्पग्राम में और 220 पौधे पालीवाल पार्क में राजकीय निर्माण निगम ने लगाए हैं। पेड़ काटने से पूर्व निगम द्वारा लगाए गए पौधों का वेरीफिकेशन वन विभाग द्वारा किया जाएगा। पार्किंग के निर्माण को 75 करोड़ रुपये का रिवाइज्ड एस्टीमेट तैयार कर शासन को भेजा गया है।
राजकीय निर्माण निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर ब्रज बिहारी चाहर ने बताया कि वन विभाग को पौधों के वेरीफिकेशन के लिए पत्र भेजा जा चुका है। वेरीफिकेशन के बाद शिल्पग्राम में लगे 11 पेड़ों को काटा जाएगा। रिवाइज्ड एस्टीमेट को स्वीकृति मिलने के बाद पार्किंग के काम को टेेंडर किया जाएगा।
टाटा प्राेजेक्ट्स छोड़ चुका है प्रोजेक्ट
राजकीय निर्माण निगम ने ताज ओरिएंटेशन सेंटर के निर्माण का 231 करोड़ रुपये से अधिक का प्रोजेक्ट टाटा प्रोजेक्ट्स को सौंपा था। वर्ष 2017 में इसे केवल मल्टीलेवल पार्किग तक सीमित करते हुए करीब 35 करोड़ रुपये का कर दिया गया था। नौ करोड़ रुपये खर्च होने के बाद लंबे समय तक प्रोजेक्ट रुका रहा। टाटा प्रोजेक्ट्स इसके चलते आर्बिट्रेशन में चला गया था। राजकीय निर्माण निगम के पक्ष में फैसला होने पर दो वर्ष पूर्व उसने प्रोजेक्ट छोड़ दिया था।