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Salute to Teacher: दिव्यांग छात्रा पढ़ाने को खुद सीखी साइन लैंग्वेज Agra

बोलने-सुनने में अक्षम बेटी का दाखिला करा गया था मजदूर। शिक्षिका ने यूट्यूब चैनल पर सीखी उसी की भाषा दो महीने किया अभ्यास।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 21 Jan 2020 08:30 AM (IST)Updated: Tue, 21 Jan 2020 08:30 AM (IST)
Salute to Teacher: दिव्यांग छात्रा पढ़ाने को खुद सीखी साइन लैंग्वेज Agra
Salute to Teacher: दिव्यांग छात्रा पढ़ाने को खुद सीखी साइन लैंग्वेज Agra

आगरा, दिलीप शर्मा। बेटी पढ़ाने की ये तमन्ना ही थी कि एक मजदूर बोलने-सुनने में अक्षम अपनी बिटिया को गांव के परिषदीय स्कूल में दाखिला कराने पहुंचा। शिक्षक के लिए ये फर्ज की परीक्षा थी कि वो दाखिला देने के साथ ही बेटी को उसी की भाषा में शिक्षा भी दे। पढऩे को लेकर बालिका में ललक दिखी तो, उत्साहित शिक्षक ने भी होमवर्क किया। यूटयूब चैनल से संकेत की भाषा(साइन लैंग्वेज) सीखी, कक्षा में अभ्यास किया। ये बालिका अब कक्षा चार की छात्रा है।

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दिव्यांग बच्चों के लिए बेसिक शिक्षा विभाग में प्रशिक्षित शिक्षक हैं, व्यवस्था के तहत शिक्षक को अपने-अपने निर्धारित क्षेत्र में जाकर सप्ताह में एक दिन दिव्यांग छात्रों को पढ़ाना होता है। सिस्टम को आईना दिखाती ये कहानी मैनपुरी विकास खंड के प्राथमिक पाठशाला बदनपुर की है। वर्ष 2016 में गांव का एक मजदूर अपनी बेटी तान्या का दाखिला कराने आया। बोलने-सुनने में दिव्यांग तान्या को लेकर हेडमास्टर प्रज्ञा श्रीवास्तव एकबारगी हिचकीं मगर इसे पढ़ाना चुनौती के रूप में लेते हुए कक्षा एक में दाखिला दे दिया।

प्रज्ञा बताती हैं कि कई दिनों तक यही सोचती रहीं कि इस बच्ची को कैसे पढ़ाएं। एक दिन यूट्यूब चैनल का सहारा लिया। साइन लैंग्वेज के अमेरिकन और ब्रिटिश फॉरमेट के ट्यूटोरियल खंगालने के बाद ब्रिटिश फॉरमेट में टू हैंडेड लैग्वेज का अभ्यास शुरू कर दिया। सांकेतिक भाषा का एक चार्ट लाकर कक्षा में लगा दिया। तान्या से संकेतों की भाषा में संवाद होने लगा। बताती हैं कि दो महीने तक पढ़ाने में बहुत मुश्किल आई, परंतु धीरे-धीरे तान्या भी इस भाषा को समझने लगी। इस सत्र में तान्या कक्षा चार में पढ़ रही है। प्रज्ञा बताती हैं कि तान्या सामान्य बच्चों जितनी होशियार तो नहीं। परंतु वह एबीसीडी, गिनती, हिंदी के लेखन-अध्ययन के साथ गणित के सवाल भी हल कर लेती है।

अपने संसाधानों से कर रहीं नवाचार

प्रज्ञा श्रीवास्तव हर शनिवार प्रोजेक्टर के जरिए बच्चों का ज्ञानवर्धन करती हैं। नवाचार के लिए विभिन्न मंचों पर सम्मानित किया जा चुका है। विद्यालय में उनके अलावा तीन शिक्षामित्र और एक सहायक अध्यापिका भी हैं। प्रज्ञा श्रीवास्तव कहती हैं कि सबसे बड़ी मुश्किल स्कूल में पेयजल, शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी है। 


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