Taj Mahal: ताजमहल में बुर्जी दिखेगी अब संवरी−संवरी, एएसआइ ने शुरू कराया काम
Taj Mahal पश्चिमी गेट स्थित बुर्जी के बदले जा रहे खराब पत्थर। इनले वर्क के निकले पत्थरों को दोबारा लगाया जाएगा। मुगल काल में स्मारकों में लोहे की रॉड व क्लैंप का प्रयोग किया गया था। जंग लगने से यह फूल जाती हैं जिससे पत्थर चटकने लगते हैं।
आगरा, जागरण संवाददाता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा ताजमहल में बुर्जी को संरक्षित कर संवारा जा रहा है। खराब हो चुके पत्थरों की जगह नए पत्थर लगाए जा रहे हैं। दीवारों से निकले इनले वर्क के पत्थरों को दोबारा लगाया जाएगा। इस काम पर करीब 20 लाख रुपये व्यय होंगे।
ताजमहल के पश्चिमी गेट के नजदीक बुर्जी बनी हुई है। इसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने ताजमहल पर वायु प्रदूषण के स्तर की जांच को उपकरण लगा रखे हैं। बुर्जी के कई पत्थर लोनी लगने की वजह से खराब हो चुके हैं। मसाले की पकड़ कमजोर होने से दीवार पर हो रहे इनले वर्क के पत्थर भी निकल गए हैं। बुर्जी के संरक्षण को एएसआइ ने यहां काम शुरू किया है।
पश्चिमी गेट पर पत्थर बदलने का काम करते मजदूर।
खराब हो चुके पत्थरों की जगह नए पत्थर लगाए जाएंगे। उन्हें तराशने का काम मजदूरों द्वारा किया जा रहा है। दीवार से निकले मार्बल इनले वर्क के पत्थरों को भी दोबारा लगाया जाएगा। इसके साथ ही यहां प्वाइंटिंग (टीप) का काम किया जाएगा, जिससे कि दीवार के अंदर पानी नहीं जाए। बुर्जी के पिनेकल की राड भी चेक की जाएगी, जिससे कि पता चल सके कि उसमें कहीं जंग तो नहीं लग गई है।
मुगल काल में स्मारकों में लोहे की रॉड व क्लैंप का प्रयोग किया गया था। जंग लगने से यह फूल जाती हैं, जिससे पत्थर चटकने लगते हैं। अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. राजकुमार पटेल ने बताया कि बुर्जी के संरक्षण को एक माह से काम किया जा रहा है। इसमें अभी समय लगेगा।