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कैशलेस इलाज पर बंदी की 'तलवार'

एनबीएच सर्टिफिकेट के बिना अस्पतालो में नहीं मिल सकेगी सुविधा, 12 जुलाई तक मिली है रियायत।

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Jul 2018 05:30 PM (IST)Updated: Wed, 04 Jul 2018 05:30 PM (IST)
कैशलेस इलाज पर बंदी की 'तलवार'
कैशलेस इलाज पर बंदी की 'तलवार'

आगरा(कुलदीप सिंह): हेल्थ बीमा कराने के बाद आगरा के अस्पतालों में कैशलेस इलाज को लेकर बेफिक्र हैं तो फिक्रमंद हो जाइए। 13 जुलाई से शायद आगरा के ज्यादातर अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी ही नहीं। वजह, आइआरडीए की गाइडलाइन के मुताबिक यहां के अस्पतालों ने अब तक एनएबीएच सर्टिफिकेट प्राप्त नहीं किया है। इससे 13 जुलाई से वह अपने अस्पताल में मरीजों को कैशलेस इलाज की सुविधा नहीं दे सकेंगे।

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दरअसल, इंश्योरेंस रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (आइआरडीए) ने 12 जुलाई 2016 को एक नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके तहत नोटिफिकेशन जारी करने की तिथि से दो साल के अंदर देश भर के अस्पतालों को नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स (एनएबीएच) से मान्यता लेनी जरूरी थी। नोटिफिकेशन के तहत जो अस्पताल तय अवधि में एनएबीएच सर्टिफिकेट नहीं ले पाएंगे वह अपने अस्पताल में कैशलेश इलाज की सुविधा नहीं दे सकेंगे। इससे स्वास्थ्य बीमा कराने वाले लोगों को कैशलेश इलाज के लिए भटकना पड़ेगा।

मात्र एक हजार ने ली मान्यता:

देश के ज्यादातर अस्पतालों ने इस आदेश पर गौर नहीं किया। इसी का नतीजा है कि अब तक देश के करीब 30 हजार छोटे-बड़े अस्पतालों में से लगभग एक हजार ने ही एनएबीएच से मान्यता ली है।

इसलिए कतराते हैं अस्पताल:

एनएबीएच से मान्यता लेने में अस्पताल कतराते हैं। इसकी वजह यह है कि इस संस्था के मानकों के हिसाब से अस्पताल को जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टाफ और अन्य सुविधाओं का इंतजाम करना होता है। सभी आवश्यक रिकॉर्ड रखने होते हैं। इस पर होने वाले खर्च के कारण ज्यादातर मध्यम श्रेणी और छोटे अस्पताल एनएबीएच से सर्टिफिकेशन नहीं कराते हैं।

आयुष्मान भारत योजना में भी होना है कैशलेस इलाज:

केंद्र सरकार ने हाल में ही देश के 10 करोड़ गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये का हेल्थ कवर देने की योजना को मंजूरी दी है। इसे इस साल 15 अगस्त को लांच किए जाने की योजना है। सरकार ने इसके तहत कैशलेस इलाज की सुविधा देने का वादा किया है। लेकिन अगर इस योजना के पैनल में शामिल अस्पतालों के पास एनएबीएच की मान्यता नहीं होगी तो वहा बिना पैसा दिए इलाज नहीं हो पाएगा। इससे देश की गरीब आबादी को मुफ्त हेल्थ कवर देने की योजना अपना मकसद खो देगी।

देश में 526 अस्पतालों के पास है यह सर्टिफिकेट:

देशभर में अभी तक सिर्फ 526 अस्पतालों के पास एनएबीएच सर्टिफिकेट मौजूद है। इनमें से 36 अस्पताल उत्तर प्रदेश में हैं। तमिलनाडु यह सर्टिफिकेट हासिल करने के मामले में पहले नंबर पर है। यहां 60 से अधिक अस्पतालों के पास एनएबीएच सर्टिफिकेट मौजूद है। उप्र में गौतमबुद्ध नगर जिले के 14 अस्पतालों के पास यह सर्टिफिकेट मौजूद है। आगरा में दो अस्पतालों के पास है सर्टिफिकेट:

शहर के किसी भी अस्पताल के पास फुल कैटेगरी सर्टिफिकेट मौजूद नहीं है। लेडी लॉयल हॉस्पीटल के अलावा एक निजी क्षेत्र के अस्पताल के पास प्री लेवल सर्टिफिकेट मौजूद है। देश भर में 467 अस्पतालों के पास मौजूद प्री लेवल सर्टिफिकेट में उप्र के 33 अस्पताल हैं।

यह है मामला

- आइआरडीए ने दो साल पहले अस्पतालों को जारी की थी गाइडलाइन

- कैशलेस इलाज कराने वाले अस्पतालों के लिए अनिवार्य है एनएबीएच का सर्टिफिकेट

- 12 जुलाई को खत्म हो रही है समय सीमा

- देश में मौजूद कुल 526 एनएबीएच अस्पतालों में 36 उप्र के

- 467 प्री लेवल सर्टिफिकेट में 33 उप्र में, इनमें भी आगरा में केवल दो

आइआरडीए के जो भी निर्देश होते हैं उन्हें सभी बीमा कंपनियों को मानना होता है। नोटिफिकेशन की जानकारी है। इस संबंध में जल्द स्थिति साफ हो पाएगी।

विजय सोलंकी, सीनियर मैनेजर, एचडीएफसी अर्गो

मसला दो वर्ष पुराना है। अभी तक आगरा के अस्पतालों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया है। आइएमए की अगली बैठक में इस बिंदु पर विचार-विमर्श किया जाएगा। ताकि मरीजों को कैशलेस इलाज की सुविधा मिलती रहे।

डा. ओपी यादव, सचिव आइएमए


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