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माता ही निर्माता हैं, जन्म के साथ करतीं हैं संतान के व्यक्तित्व का निर्माण: सुषमा स्वराज

दूसरे दिन गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और प्रदेश की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने किया उद्घाटन।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sun, 09 Dec 2018 01:26 PM (IST)Updated: Sun, 09 Dec 2018 01:26 PM (IST)
माता ही निर्माता हैं, जन्म के साथ करतीं हैं संतान के व्यक्तित्व का निर्माण: सुषमा स्वराज
माता ही निर्माता हैं, जन्म के साथ करतीं हैं संतान के व्यक्तित्व का निर्माण: सुषमा स्वराज

आगरा, जेएनएन। वृंदावन के अक्षयपात्र में आयोजित नारी शक्ति वैचारिक महाकुंभ के दूसरे दिन का उद्घाटन राजनीतिक दिग्गजों ने किया। उद्घाटन सत्र में मंच पर सबसे पहले गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा पहुंची। उनके साथ प्रदेश की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी, ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा थे। इसके कुछ ही देर बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज आयोजन में पहुंचीं। राजनीतिक दिग्गजों ने दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ किया। इस दौरान मंच पर सांसद हेमा मालिनी भी मौजूद थीं। कुछ देर बाद प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक भी आयोजन में पहुंचे।

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उद्घाटन के बाद प्रदेश की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री  रीता बहगुणा जोशी ने कहा कि भारत की नारी विद्वता, ज्ञान, त्याग, स्वाभिमान की मूर्ति है। आदिकाल से नारी की भूमिका हमेशा अग्रणी रही। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि देश में विकृति आई और नारी को अबला व कमजोर समझा गया। जबकि महिलाएं आदिकाल से हर मामले में अव्वल रहीं। भू्रण हत्या पर बोलीं कि बच्चियों के लिए अभिशाप है भू्रण हत्या। जबकि हमारे समाज में वर्ष में दो बार नवरात्र में कन्याओं का पूजन किया जाता है। विडंबना है कि अगले ही दिन अगर पुत्रवधू गर्भ से है तो उसके गर्भ की जांच इसलिए होती है कि गर्भ में कन्या तो नहीं। लिंगानुपात कम हो रहा है। प्रधानमंत्री ने इसका संज्ञान लिया और हरियाणा से इसकी शुरुआत की। हरियाणा में बेटी जन्म पर खुशी नहीं होती थी। अभियान के बाद से अब हरियाणा में भी बेटी का भी कुआं पूजन कर बेटी के जन्मोत्सव मनाया जाता है।

विदेश मंत्री ने कहा कि समाज में विसंगतियों को दूर करने का बीड़ा महिला को उठाना है। भारत मे कुटुंब व्यवस्था मजबूत थी लेकिन अब परिवार टूटते नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि महाभारत का युद्ध भी परिवार में मेरे और तेरे के भाव के कारण हुआ। कुटुंब परंपरा भारत की मजबूत परंपरा है। सुषमा ने आगे कहा कि भारत में सीनियर सिटीजन नहीं दादा- दादी होते हैं। कुटुंब को एक रखने का काम महिला का है। भले परिवार अलग रहे लेकिन कुटुंब बना रहे ये जिम्मेदारी निभाएं महिलाएं। उन्होंने कहा कि माता ही निर्माता हैं। मां बालक को जन्म भी देती है जीवन का निर्माण में भी करती है।

इससे पूर्व शनिवार शाम उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्या, साध्वी ऋतंभरा और कुलपति डॉ. अरङ्क्षवद कुमार दीक्षित ने नारी शक्ति वैचारिक महाकुंभ का आगाज किया था। इस वैचारिक महाकुंभ में मातृ शक्ति से संस्कारित संतान तैयार करने का आह्वान किया गया।

संतान का संस्कारित बनाने पर दिया गया जोर

महाकुंभ का शुभारंभ वीरांगनाओं के जीवन पर आधारित चित्र प्रदर्शनी के साथ हुआ था। डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि और उप्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित महाकुंभ में साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि नारी अपने पाल्यों को दिशा देकर राष्ट्रसेवा में समर्पित करते हुए संस्कृति का भान कराए। माताओं की जिम्मेदारी है कि वे संस्कारित संतान तैयार करें। अपनी संतान को विवेकानंद, भगत ङ्क्षसह जैसा तपस्वी और राष्ट्रभक्त बनने की दिशा दें तो देश विश्व गुरु बन जाएगा।

उत्तराखंड की राज्यपाल बेबीरानी मौर्य ने कहा कि वे युवतियां अपना लक्ष्य तय करें। परिवार, समाज की जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए राष्ट्रसेवा में अपनी भूमिका तय करें। लक्ष्य बनाकर रखें, कठिनाइयां आएंगी, पर सफलता जरूर हाथ लगेगी। डॉ. भीमराव आंबेडकर के कुलपति डॉ. अरङ्क्षवद कुमार दीक्षित ने कहा कि देशभर से आई नारी शक्ति यहां वीरांगनाओं के संदेशों को अपने जीवन में उतारें तो इस नारी शक्ति कुंभ के आयोजन का उद्देश्य पूरा होगा ही।

प्रदर्शनी में राष्ट्र की वीरांगनाओं का हो रहा गुणगान

सशक्त नारी होगी तो राष्ट्र भी सशक्त होगा। इसी भावना के साथ आयोजित हुए नारी शक्ति कुंभ की शुरूआत उन वीरागनाओं के जीवन के पक्ष को रखकर किया गया था। जिन्होंने अपनी प्रतिभा और हौसले की बदौलत दुनिया को अपने सामने नतमस्तक होने को मजबूर कर दिया। प्रदर्शनी में न केवल आधुनिक भारत की वीरांगनाओं का जीवन प्रदर्शित किया गया। बल्कि आदिकाल में शक्ति के रूप में पहचानी गईं नारी शक्ति को भी जगह दी गई है। प्रदर्शनी में भारतीय नारी के तेजोमय स्वरूप का वर्णन ऋग्वेद के उषासूक्त के आधार पर किया है। तो माता सीता को अपने पाल्यों लव और कुश को धनुर्विधा देते हुए दिखाया गया है। अद्र्धनारीश्वर, आदि शक्ति, महिषासुर मर्दिनी से लेकर सावित्री बाई फुले, मां शारदा, लक्ष्मी बाई केलकर मौसी, और आधुनिक भारत की बेटी सुनीता विलियम्स, टेसी थॉमस, किरण मजूमदार शॉ जैसी वीरांगनाओं की गाथा गा रही है प्रदर्शनी।

सांस्कृतिक आयोजनों में लोक नृत्य की धूम

नारीशक्ति कुंभ में शनिवार शाम को प्रदर्शनी के उद्घाटन सत्र के बाद सांस्कृतिक आयोजन शुरू हुए थे। अक्षयपात्र परिसर के सांस्कृतिक मंच पर विभिन्न प्रांतों के लोक नृत्यों का जब प्रदर्शन हुआ तो मौजूद महिलाएं मंत्रमुग्ध हो उठीं। शाम करीब सात बजे शुरू हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम में कलाकारों ने ब्रज के सांस्कृतिक लोक नृत्य की अछ्वुत झांकी प्रस्तुत की।

आरएसएस व विद्यार्थी परिषद ने संभाली व्यवस्था

नारी शक्ति कुंभ में शामिल होने आईं महिलाओं के ठहरने से लेकर भोजन और दर्शन व्यवस्था का भार आरएसएस के स्वयंसेवकों से लेकर विद्यार्थी परिषद कार्यकर्ताओं ने उठा रखा है। शहर के करीब 46 होटल, गेस्ट हाउसों में ठहरीं महिलाओं को लाने-ले जाने के लिए ई-रिक्शा व आटो के अलावा मिनी बस की भी व्यवस्था की गई है।


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