लक्ष्य, सतत मेहनत और स्मार्ट-हार्ड वर्क से मिलेगी सफलता
जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल में हुआ दैनिक जागरण यूथ कनेक्ट कार्यक्रम सीडीओ ए. मनिकंडन ने विद्यार्थियों से किया संवाद बताए सफलता के गुर
आगरा, जागरण संवाददाता । सफलता पाने के सिर्फ तीन रास्ते हैं। पहला लक्ष्य निर्धारित करें, दूसरा सफलता मिलने तक लगातार मेहनत करें और तीसरा स्मार्टनेस के साथ हार्डवर्क करें। इन्हें अपनाकर सिर्फ भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) ही नहीं, किसी भी क्षेत्र में सफलता पा सकते हैं।
यह बातें बुधवार को जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल में दैनिक जागरण के यूथ कनेक्ट कार्यक्रम में मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) और 2017 बैच के आइएएस ए. मनिकंडन ने कहीं।
उन्होंने विद्यार्थियों से खुलकर संवाद किया। कहा कि कुछ लोगों को आइएएस बनना असंभव लगता है, लेकिन उन्हीं के बीच से निकले लोग प्रशासनिक अधिकारी बनते हैं। फर्क सिर्फ नजरिए का है। मैं छोटे से संसाधनहीन गांव से निकलकर आइएएस बना। शुरुआत में पिता चाहते थे कि 12वीं के बाद मैं कोई सरकारी नौकरी करूं, लेकिन मेरा लक्ष्य बड़ा था, इसलिए ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन तक की। आइएएस का इंटरव्यू देने तक परिवार को जानकारी नहीं थी, बाद में उन्हें बताया तो पिता ने भी सराहा।
इस दौरान जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अक्षत अग्रवाल, प्रधानाचार्य पुनीत वशिष्ठ, दैनिक जागरण के पीएसएम हेड धीरेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे। सवाल-जवाब
सवाल : आइएएस के इंटरव्यू के लिए कैसे तैयारी करें?
कनिष्का अग्रवाल, छात्रा।
जवाब : आइएएस प्री और मेन की तुलना में इंटरव्यू ज्यादा आसान है। प्री में 12-13 लाख, मेन में 10 हजार और इंटरव्यू में तीन हजार अभ्यर्थी शामिल होते हैं। इंटरव्यू में आपके प्रोफाइल और पर्सनल डाटा में से 50 फीसद प्रश्न, जबकि 50 फीसद प्रश्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों से पूछे जाते हैं। सवाल : स्मार्ट और हार्ड वर्क करने वाले विद्यार्थी बेहतर हैं या सामान्य?
नियति सामा, छात्रा।
जवाब : मेरे एक मित्र को किन्हीं कारणों से छठवीं के बाद स्कूल ने निकाल दिया। 10वीं, 12वीं और ग्रेजुएशन उन्होंने प्राइवेट की। प्रयास और लगन से आइआरएस बने। स्मार्ट और हार्ड वर्क से ज्यादा आपकी सही अप्रोच सफलता तय करती है। सवाल: आइएएस-आइपीएस में भविष्य पावरफुल और सुरक्षित है, लेकिन इसके लिए क्या माइंडसेट चाहिए?
आशी वाष्र्णेय, छात्रा।
जवाब: दिमाग को लगातार ट्रेंड करके समय के साथ सोचने-समझने की क्षमता बढ़ जाती है। सवाल : क्या स्वजन की मर्जी से अपना करियर चुनना चाहिए?
उमंग जैन, छात्र
जवाब : मैंने अपना करियर परिवार नहीं, अपनी मर्जी से चुना। मेरे जिले में सड़क और आधारभूत सुविधाएं नहीं थीं। मैंने उसे बदलने के बारे में सोचा था। सवाल : आइएएस बनने में स्वजन का क्या रोल होना चाहिए?
शिखर अग्रवाल, छात्र।
जवाब: मेरे पिता चाहते थे कि मैं 12वीं के बाद सरकारी नौकरी करूं, लेकिन मेरा लक्ष्य आइएएस था। इसलिए मैंने उनकी सुने बिना प्रयास जारी रखा। सवाल : हार्ड-वर्क के साथ सफलता पाने के लिए क्या करें?
अविरल सिंह, छात्र।
जवाब: हार्ड के साथ स्मार्ट-वर्क जरूरी है। स्मार्ट-वर्क यानि पेपर के ब्लू प्रिट का खाका खींचें कि उसमें किस अध्याय या भाग से अधिक सवाल आएंगे। फिर उसी हिसाब से तैयारी करें। सवाल : आइएएस होकर कैसा लगता है?
गुंजन शर्मा, अभिभावक
जवाब : मैं शुरुआती दिनों में सोनभद्र जिले में तैनात था। वहां महज 40 फीसद विद्यार्थी स्कूल आते थे। यह जानकारी हुई तो मैंने अभियान चलाकर उन्हें स्कूल बुलाया। असर यह हुआ कि 10 दिन में उपस्थिति 85 फीसद तक पहुंच गई और 70 हजार से ज्यादा आउट-आफ स्कूल विद्यार्थी स्कूल आने लगे। सवाल: सफलता के लिए कौन सी किताबें पढ़ें।
अजय प्रताप सिंह, छात्र।
जवाब: आइएएस की तैयारी की शुरुआत एनसीईआरटी से करें। इससे आपकी 50 फीसद तैयारी हो जाएगी। साथ में अंग्रेजी का एक अखबार, एक मैग्जीन और एक क्षेत्रीय अखबार अनिवार्य रूप से पढ़ें। इससे सामान्य ज्ञान की नियमित तैयारी होगी। सवाल: अपने पेशे में ईमानदार कैसे रहें?
शिवी कुलश्रेष्ठ, छात्रा।
जवाब : यदि आप किसी काम को दिल से करते हैं तो आप उसमें ईमानदार रहेंगे। जो काम मिले, उसे समय पर, मानकों का ध्यान रखते हुए, सबसे बेहतर तरीके से करें।