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    Sri Lanka: बहुत कुछ मिलता जुलता है भारत से, हिंदी बोलते और भारतीय गीत गुनगुनाते हैं श्रीलंकाई

    By Nirlosh Kumar Edited By: Prateek Gupta
    Updated: Tue, 02 Dec 2025 08:39 PM (IST)

    श्रीलंका और भारत में कई सांस्कृतिक समानताएं हैं। यहां लोग हिंदी बोलते हैं और भारतीय गाने गाते हैं। दोनों देशों के त्योहार भी मिलते-जुलते हैं। श्रीलंका ...और पढ़ें

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    डा. बीआर आंबेडकर यूनिवर्सिटी में सेमिनार में भाग लेते लोग।

    जागरण संवाददाता, आगरा। भारत, हमेशा से हमारा गुरु देश रहा है। भारत के प्रति श्रीलंका का जो अपनापन है, वह अलग है। दोनों देशों का इतिहास जितना पुराना है, उतना ही घनिष्ठ संबंध भी रहा है। बहुत सारे श्रीलंकाई हिंदी बोलते हैं और हिंदी गीत गुनगुनाते हैं।

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    भारतीय भोजन भी श्रीलंका में पसंद किए जाते हैं। महिलाएं भारतीय साड़ी में सजी दिखेंगी और मेहंदी लगाने के लिए भी उनमें बहुत आकर्षण है। बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल भरत में होने से श्रीलंका से पर्यटक आते हैं।

    रामायण से संबंधित 18 स्थान श्रीलंका में हैं। यह संबंध ऐतिहासिक है और अनंत तक चलेगा। डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिंदी तथा भाषा विज्ञान विद्यापीठ (केएमआइ) में मंगलवार को हिंदी संस्थान श्रीलंका की निदेशक अतिला कोतलावत ने यह बात कही।

    वह भारत एवं श्रीलंका के सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ पर हुई गोष्ठी को संबोधित कर रही थीं। सुहृदभूमि हिंदी निकेतन संस्थान की निदेशक के. कंचनमाला ने रेडियो सीलोन की परंपरा पर प्रकाश डाला।

    उन्होंने कहा कि रेडियो सीलोन भारत के साथ श्रीलंका के सांस्कृतिक संबंधों का सेतु बन गया है। वहां आज भी 1930 से 1955 के बीच के गाने बजाए जाते हैं। रेडियो सीलोन के प्रभाव से श्रीलंका में हिंदी प्रेमी बढ़ गए थे। आज भी भारतीय कार्यक्रमों के विशेष प्रसारण किए जाते हैं।

    भारत में बनी फिल्मों के ओरिजिनल रिकार्ड श्रीलंका के रेडियो सीलोन में हैं। भारत-श्रीलंका संबंध यदि एक नदी है, तो रेडियो सीलोन उस नदी का सबसे सुंदर तट है। अतिथियों का स्वागत केएमआइ के निदेशक प्रो. श्रीधर ने किया।

    धन्यवाद ज्ञापन डा. वर्षारानी ने और संचालन डा. रमा रश्मि ने किया। डा. केशव शर्मा, पल्लवी आर्य, डा. राजकुमार, डा. अमित कुमार सिंह, डा. प्रदीप वर्मा, डा. आदित्य प्रकाश, डा. मोहिनी दयाल, डा. शालिनी श्रीवास्तव आदि मौजूद रहीं।

     

    भाषाओं के आदान-प्रदान से बना सकते हैं सांस्कृतिक सेतु

    कुलपति प्रो. आशु रानी ने कहा कि श्रीलंका ऐसा देश है, जिसे भारत में रावण की भूमि कहते हैं। रावण संस्कृत का प्रकांड विद्वान था। यही कारण है कि श्रीलंका में बोली जाने वाली सिंहली भाषा पर संस्कृत का गहरा प्रभाव है।

    सिंहली, हिंदी भाषा के अधिक निकट है और सीखने में आसान भी है। भाषाओं के आदान-प्रदान से हम दो देशों के बीच सांस्कृतिक सेतु बना सकते हैं।

    यह सेतु भविष्य में शोध परियोजनाओं, शैक्षिक आदान-प्रदान के साथ सहयोगात्मक शिक्षण व अन्य क्रियाकलापों के माध्यम से और मजबूत किया जा सकता है।