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Janmashtmi 2020: ब्रज के इस मंदिर में मनेगी एक माह बाद श्री कृष्ण जन्माष्टमी, ये है वजह

Janmashtmi 2020 रंग जी मंदिर में एक महीने बाद मनेगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी। दक्षिण भारतीय परंपरा से रंगजी मंदिर में 11 सितंबर को मनाएंगे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 06:22 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 06:22 PM (IST)
Janmashtmi 2020: ब्रज के इस मंदिर में मनेगी एक माह बाद श्री कृष्ण जन्माष्टमी, ये है वजह
Janmashtmi 2020: ब्रज के इस मंदिर में मनेगी एक माह बाद श्री कृष्ण जन्माष्टमी, ये है वजह

आगरा, जेएनएन। ब्रज सहित उत्तर भारत के हर मंदिर, मठ और देवालय में भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी 11 व 12 अगस्त को मनाई जा रही है, लेकिन वृंदावन के रंगजी मंदिर में एक महीने बाद 11 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाएगा। इसके पीछे तर्क है कि दक्षिण भारतीय मंदिरों में तिथि और नक्षत्र दोनों एकसाथ हों तभी पर्व-उत्सव मनाए जाते हैं, जबकि उत्तर भारत में तिथि के अनुसार उत्सव मनाए जाते हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र 11 सितंबर को पड़ रहे हैं। इसलिए यहां श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भी 11 सितंबर को मनाई जाएगी।

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दक्षिण भारतीय परंपरा के रंगजी मंदिर की सीईओ अनघा श्रीनिवासन ने बताया कि उत्तर भारत के मंदिर, देवालयों में जो भी पर्व-उत्सव मनाए जाते हैं, वह तिथि के अनुसार ही मनाए जाते हैं, लेकिन दक्षिण भारत में तिथि के अनुसार ही पर्व मनाया जाए ऐसा नहीं है। दक्षिण भारतीय पंचांग में उत्सव मनाने के लिए तिथि और नक्षत्र दोनों एकसाथ होने चाहिए। तभी उत्सव और पर्व मनाया जाता है। इस साल 11 और 12 अगस्त दो दिन अष्टमी तो है, लेकिन अष्टमी तिथि में रोहिणी नक्षत्र नहीं है, जबकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि के रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। यही कारण है कि दक्षिण भारतीय पंचांग में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र 11 सितंबर को होने के कारण श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 11 सितंबर को ही मनाई जाएगी। रंगजी मंदिर में पूजा पद्धति पूरी तरह दक्षिण भारतीय पंचांग पर आधारित है। ऐसा संयोग हमेशा नहीं आता। लेकिन तीन या चार साल बाद ऐसा संयोग आता है कि उत्तर भारत और दक्षिण भारत में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का एक महीने का अंतर रहता है।

लट्ठा के मेला के रूप में मनाते हैं दधिकांधा

रंगजी मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दूसरे दिन लट्ठा का मेला 12 सितंबर को मनाया जाएगा। इसके पीछे तर्क है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव हुआ तो दूसरे दिन दधिकांधा होता है। जिसमें भगवान के जन्म की खुशी में भक्तों को उपहार लुटाए जाते हैं। इसी तरह रंगजी मंदिर में जन्माष्टमी के दूसरे दिन लट्ठा का मेला दधिकांधा के रूप में मनाया जाता है। इसमें विजेता और उपविजेता टीम को उपहार भेंट किए जाते हैं।  


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