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लंबी दूरी तय कर रही शिवांगी और कैट की यह दोस्ती

पुणे से हवाई यात्र कर आया था बिलौटा, इंसान-जानवर के प्रेम की अनूठी मिसाल

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Aug 2018 02:46 PM (IST)Updated: Fri, 24 Aug 2018 02:46 PM (IST)
लंबी दूरी तय कर रही शिवांगी और कैट की यह दोस्ती
लंबी दूरी तय कर रही शिवांगी और कैट की यह दोस्ती

आगरा(तनु गुप्ता): दुनिया में कितने वतन और कितनी ही जुबानें बोली जाती हैं मगर प्यार की सिर्फ एक ही जुबा है। इसे कैट और शिवागी के प्यार ने साबित भी कर दिया। चौंकिये नहीं, कैट शिवागी का बिलौटा है, जिसको अपने साथ पुणे से आगरा लाने के लिए शिवागी ने पैसे को पानी की तरह बहा दिया तो अब उसे अपने साथ अमेरिका ले जाने की तैयारी कर रही हैं।

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यूं तो दोनों का रिश्ता महज दो वर्ष ही पुराना है लेकिन लगता है जैसे पूरा एक जमाना गुजरा हो। दिन रात का साथ। दोनों को एक दूसरे की आदत। एक को चोट लगे तो दूसरा परेशान हो जाता तो एक दूसरे के बगैर निवाला गले से नहीं उतरता। इंसान और जानवर के बीच का ये रिश्ता पशु प्रेम की बानगी तो है ही साथ ही दोस्ती की अनूठी मिसाल भी है।

ईशान कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के निदेशक डॉ. घनश्याम श्रीवास्तव की बेटी शिवागी का बचपन से पशुओं के प्रति लगाव था। मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद शिवागी पुणो में जॉब कर रही थीं। फरवरी 2016 में सोशल मीडिया के माध्यम से शिवागी ने 40 दिन के एक बिलौटे को गोद ले लिया। बस फिर क्या था जानवर और इंसान की दोस्ती ऐसी हुई कि दोनों जैसे एक दूसरे के पूरक हो गए। पुणे में अकेले रहते हुए भी शिवागी अपने बिलौटे का पूरा ध्यान रखतीं हैं।

ऑन लाइन आता है बिलौटे का फूड: बिलौटे के लिए शिवागी ऑन लाइन फूड ही मंगवाती है। खाने के मामले में थोड़ा संकोची बिलौटा सिर्फ अपने ब्राडेड फूड को ही खाता है। बिलौटे के रखरखाव में सफाई और सेहत का विशेष ध्यान दिया जाता है। सात समंदर पार जाएगा बिलौटा: शिवागी आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चली गई हैं। शिवागी के अनुसार बिलौटे की बहुत याद आएगी। अमेरिका में बिलौटे को साथ रखने की प्रक्रिया पता कर ली है। पढ़ाई के दौरान उसे साथ रखना संभव नहीं हो पाएगा लेकिन जॉब लगते ही वे बिलौटे को अमेरिका बुला लेंगी।

फ्लैट में एक कमरा बिलौटे का भी: भावना एस्टेट में डॉ. घनश्याम का तीन कमरों का एक फ्लैट है, जिसमें से एक कमरा और बालकनी को बिलौटे के लिए तैयार किया गया है। शिवागी के साथ उसके पिता और मा प्रीति बिलौटे की देखरेख करते हैं। आसान नहीं था पुणो से आगरा तक का सफर: कुछ दिन पूर्व महाराष्ट्र के पुणे में जॉब करने वाली शिवागी जब भावना एस्टेट स्थित अपने घर आईं तो बिलौटे को लाने में कई मुश्किलों का सामना उन्हें करना पड़ा। जंगली जानवर में शुमार बिलौटा रेल या बस के माध्यम से आगरा तक नहीं आ सकता था। ऐसे में एक प्राइवेट एयर सर्विस से बात की गई। चिकित्सक ने इंजेक्शन लगाकर बिलौटे को सुप्त किया। पिंजड़े में रखकर कागरे में उसे पुणो से दिल्ली लाया गया। शिवागी भी उसी प्लेन में सफर कर रही थीं। दिल्ली से इनोवा द्वारा शिवागी और बिलौटा आगरा तक आए। यहा डॉक्टर ने शारीरिक मुआयना कर उसे इंजेक्शन लगाकर सक्रिय किया।


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