कालीघटा में विराजे ठाकुरजी, प्राकृतिक झांकी ने मनमोहा
श्रीकृष्ण जन्मस्थान और द्वारिकाधीश मंदिर में हुआ काली घटा का आयोजन
आगरा(जेएनएन): सावन माह में विशेष महत्व लिये कृष्ण की नगरी मथुरा में हर ओर आस्था और भक्ति से परिपूर्ण दृश्य दिखाई देता है। ऐसा ही दृश्य सोमवार को भी देखने को मिला। श्रीकृष्ण का जन्मस्थान और द्वारिकाधीश मंदिर में काली घटा के दर्शन करने को श्रद्धालु ललायित थे। मंदिर में प्रवेश करते ही चमकती- कड़कती बिजली, घरजते- बरसते मेघ, उपवन में नृत्य करते मोर की आवाज घटा को मनोहारी बना रही थी। श्रद्धालु काली घटा में ठाकुरजी के दर्शन करने को ललायित रहे।
जन्मभूमि के केशवदेव मंदिर में सजी कालीघटा की मनोहारी झांकी ने भक्तों का मन मोह लिया। कालीघटा के मध्य विराजे ठाकुर श्रीकेशव देव महाराज के श्रीविग्रह की एक झलक पाने को श्रद्धालु आतुर थे। यह सिलसिला शाम चार बजे से मंदिर के पट बंद होने तक चलता रहा। कालीघटा के लिए केशवदेव मंदिर परिसर को श्याम वस्त्र, लता-पता, पुष्प, प्राकृतिक वृक्षावली से सजाया गया। संस्थान के संयुक्त मुख्य अधिशासी राजीव श्रीवास्तव, सदस्य गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी, अनुराग पाठक उपस्थित थे।
द्वारिकाधीश मंदिर में कालीघटा का आयोजन किया। साउंड सिस्टम से मंदिर परिसर में बादलों की गड़गड़ाहट और बिजली की कड़कड़ाहट की आवाज प्राकृतिक सौंदर्य में चार-चांद लगा रही थी। मोर की आवाज झांकी को मनोहारी बना दिया। काली घटा में विराजे ठाकुरजी के दर्शन कर श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। मीडिया प्रभारी एड. राकेश चतुर्वेदी, श्रीधर चतुर्वेदी, ब्रजेश कुमार, सुधीर, दीनानाथ शर्मा, राजीव चतुर्वेदी, सुरेश, अजय भट्ट उपस्थित थे
आधा घंटा ज्यादा खुले पट: कालीघटा के लिए मंदिर के पट आधा घंटा ज्यादा खोले गए। आम दिनों में श्रद्धालु मंदिर के दर्शन शाम चार बजे से रात साढ़े नौ बजे तक करते हैं, लेकिन कालीघटा पर जन्मभूमि के दर्शन रात 10 बजे तक श्रद्धालुओं ने किए।