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यहां की माटी में है कुछ ऐसी बात कि कुर्बानियां देते रहे हैं इस धरा के वीर

1962 से अब तक 37 जांबाज हो चुके हैं शहीद। ऑपरेशन मेघदूत, रक्षक, पवन में जांबाजों ने दिखाया था पराक्रम।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 02:21 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 02:21 PM (IST)
यहां की माटी में है कुछ ऐसी बात कि कुर्बानियां देते रहे हैं इस धरा के वीर
यहां की माटी में है कुछ ऐसी बात कि कुर्बानियां देते रहे हैं इस धरा के वीर

आगरा, जेएनएन। कभी सरहद की रखवाली करते तो कभी आतंकियों से लोहा लेते अपनी जांबाजी का परचम फहराने वालों में एटा के शूरवीरों की संख्या कम नहीं है। जिले के 37 जांबाज ऐसे हैं जो देश की रक्षा करते हुए कुर्बान हो गए। वर्तमान में भी जिले के तमाम युवा सेना में हैं और तमाम ऐसे हैं जो देश की सेवा के लिए सेना भर्ती की तैयारी कर रहे हैं।

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एटा जनपद का इतिहास शूरवीरों के पराक्रम से भरा पड़ा है। आजादी के बाद से देश के लिए जान न्यौछावर करने वालों की यहां कमी नहीं रही। वर्ष 1962 में भारत-चीन के बीच हुए युद्ध में जिले के गांव नगला पीपल के ज्वाला सिंह शहीद हुए थे, जोकि राजपूत रेजीमेंट में थे। इसके बाद वर्ष 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ। इसमें जलेसर क्षेत्र के गांव रेजुआ निवासी राजकिशोर शहीद हुए। इतना ही नहीं देश के बाहर जाकर भी यहां के जांबाजों ने पराक्रम दिखाया है। सोमालिया में गए भारतीय सैन्य दल में शामिल पिलुआ क्षेत्र के गांव नगला बेल निवासी वीरपाल सिंह शहीद हुए थे। जम्मू कश्मीर में जब आतंकवाद बढ़ा तो एटा के जवानों के शहीद होने का सिलसिला चल पड़ा। आपरेशन मेघदूत, महर, रक्षक, पवन, विजय आदि में बड़ी संख्या में जिले के जवान शहीद हुए। आपरेशन पवन उस समय हुआ जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने श्रीलंका में लिट्टे का खात्मा करने के लिए शांति सेना भेजी थी। आपरेशन विजय कारगिल में दो जवान शहीद हुए। सबसे ज्यादा शहादत आपरेशन मेघदूत और रक्षक के दौरान हुई। इस तरह से शहादत का सिलसिला इस जिले में निरंतर बना रहा। यहां ओवरब्रिज पर बनाए गए शहीद स्तंभ पर इन सभी शहीदों के नाम दर्ज हैं। इन्हें देखकर एटा के लोग खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

शहीदों के नामों की सूची

करन सिंह धौलेश्वर, मुंशीलाल नगला भजा, अनार सिंह नगला गोवल, देवेंद्र प्रसाद खरबा, ज्वाला सिंह नगला पीपल, हरवीर सिंह नगला माखन, श्यौवीर सिंह बहरमपुर, वीरेश कुमार कटरा मुहल्ला एटा, राजकिशोर बलीदादपुर, वीरपाल सिंह नगला बेल, रनवीर सिंह धरौली, कमलेश नगला वाचा, रामप्रसाद नयाबांस, गिरीशपाल नगला सेवा, वीरेंद्र सिंह पूठ, रामकुमार छछैना, माखन सिंह तोमर पृथ्वी राजपुर, वीरेंद्र सिंह जवाहरपुर, ओसपाल नगला सेवा, सुरेश बाबू छछैना, अवधेश सिंह बिजौरी, नरेंद्र कुमार जमालपुर, योगेंद्र सिंह मनिहारी, रामसरन नगला चमन, रामप्रकाश निखतपुर, गंगा सिंह नगला ढाकन, रामनरेश संजय नगर एटा, राजकुमार गढुआ, कुंवरपाल किसरौली, सुनील कुमार कठिगरा, रामस्वरूप रुस्तमगढ़, पुष्पेंद्र घिलौआ, लालाराम खुशालगढ़, मुकेश कुमार नियाजनगर, महेश चंद्र फरीद नगर व एक अन्य शामिल हैं। 

शहीद की पत्नी ने जन्मा लाल, बोली सेना में भेजूंगी 

दो माह पूर्व कश्मीर घाटी में पाकिस्तानी हमले में शहीद हुए जलेसर क्षेत्र के गांव रेजुआ निवासी राजेश यादव बॉबी के आंगन में किलकारी गूंजी तो घर खुशियों से भर गया। शहीद की पत्नी ने बेटे को जन्म दिया है। पत्नी पहले ही कह चुकीं हैं कि बेटा हुआ तो उसे जरूर देश की सेवा के लिए सेना में भेजेंगी।

जम्मू कश्मीर में 5 दिसंबर 2018 को जलेसर क्षेत्र के गांव रेजुआ के रहने वाले राजेश यादव पाकिस्तानी हमले में शहीद हो गए थे। उन्हें चार गोलियां लगी थीं। जिस वक्त वे शहीद हुए उस समय उनकी पत्नी रीना यादव गर्भवती थीं। अब उन्होंने पुत्र को जन्म दिया है। शहीद की पत्नी ने उस समय मीडिया से कहा था कि बेटा हुआ तो सेना में जरूर भेजेंगी। पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद इस गांव में भी शहीद राजेश की यादें ताजा हो गईं हैं। पूरा परिवार शहादत पर जहां गर्व महसूस करता है वहीं राजेश के न होने का दुख भी है। इससे पहले भी जलेसर क्षेत्र के कई जवान विभिन्न मोर्चों पर शहीद हो चुके हैं।


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