Move to Jagran APP

जागरण विमर्श: दुष्कर्म पर अंकुश के लिए समाज को होना होगा जागरूक Agra News

पुलिस दिखाए सक्रियता! फास्ट ट्रैक कोर्ट भी बनाएं जाएं।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 12:29 PM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 12:29 PM (IST)
जागरण विमर्श: दुष्कर्म पर अंकुश के लिए समाज को होना होगा जागरूक Agra News
जागरण विमर्श: दुष्कर्म पर अंकुश के लिए समाज को होना होगा जागरूक Agra News

आगरा, पंकज कुलश्रेष्ठ। जब भी दुष्कर्म की कोई बड़ी वारदात होती है यह बहस छिड़ना लाजिमी है कि दुष्कर्म पर अंकुश कैसे लगे। हाल में हैदराबाद में दुष्कर्म और हत्या के बाद जिस तरह से पुलिस ने सक्रियता दिखाई और आरोपितों को मारकर सजा दी, उसे लोगों ने प्रोत्साहित जरूर किया। कुछ मामलों में पुलिस की सक्रियता और त्वरित न्याय ने भी लोगों में विश्वास जगाया है लेकिन मुद्दा वहीं है कि इस तरह की घटनाओं पर अंकुश कैसे लगे। इस मुद्दे पर सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में वरिष्ठ अधिवक्ता हरिदत्त शर्मा जागरण विमर्श कार्यक्रम में मौजूद रहे।

loksabha election banner

अधिवक्ता हरिदत्त शर्मा ने कहा कि किसी भी अपराध पर दो तरह से लगाम लग सकती है। एक सामाजिक व्यवस्था और दूसरी कानूनन। कानून अपना काम कर रहा है और समय-समय पर दुष्कर्म और छेड़छाड़ से संबंधित कानून में आवश्यकतानुसार बदलाव भी किया गया। हकीकत ये है कि जैसे-जैसे कानून कड़ा हुआ अपराध भी बढ़ता गया। कई बार न्याय मिलने में देरी से पीड़ित निराश होता है और दोषी के हौसले बुलंद हो जाते हैं। जरूरत इस बात की है कि फास्ट ट्रैक कोर्ट में दुष्कर्म के मामलों में जल्द से जल्द सुनवाई हो।

कानूनी प्रक्रिया में पुलिस इंवेस्टीगेशन भी एक बाधा है। वैज्ञानिक तरीके से इंवेस्टीगेशन का न होना कई बार अपराधियों को बचने का मौका देता है। इंवेस्टीगेशन को सशक्त बनाने के लिए अलग से पुलिस अधिकारी नियुक्त होने चाहिए जिससे अपराधियों को बचने का मौका न मिले। तत्काल कार्रवाई और सजा मिलने पर अपराधियों में डर बैठेगा। यह सिर्फ दुष्कर्म ही नहीं, अन्य जघन्य अपराधों पर लगाम के लिए भी जरूरी है।

दुष्कर्म पर अंकुश का सबसे महत्वपूर्ण तरीका सामाजिक व्यवस्था हो सकती है। यह स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं कि आज मोरल वैल्यू गिर रही है। समाज को जागरूक करना जरूरी है। सामाजिक मूल्य ही लोगों को हद में रहना सिखा सकते हैं। पुराने समय में बुजुर्गो की कुछ बंदिशें भले ही खराब लगती थीं लेकिन वह सामाजिक व्यवस्था के लिए बहुत जरूरी थीं। यह व्यवस्थाएं आज भी कारगर हो सकती हैं। लेकिन सामाजिक ताना-बाना पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। यही वजह है कि महिलाएं और लड़कियां सिर्फ बाहर नहीं, घर में भी असुरक्षित हैं। रिश्ते कलंकित हो रहे हैं। बेटी के साथ दुष्कर्म में पिता आरोपित है तो समझ लो समाज कहां जा रहा है।

पूरे सिस्टम को दुरुस्त करना होगा

- महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए पूरा सिस्टम ही दुरुस्त करना होगा। पुलिस को इंवेस्टीगेशन प्रक्रिया न सिर्फ समय पर पूरी करनी होगी, साथ ही वैज्ञानिक प्रक्रिया का भी इस्तेमाल करना होगा।

- इस तरह के मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की जाए, जिससे अपराधियों में खौफ बढ़े।

- सामाजिक ताना-बाना जब तक नहीं सुधरेगा यह मानसिक विकृति रुकने वाली नहीं है। हमें बच्चों को रिश्तों का महत्व समझाना होगा।

खुले नहीं घूमने चाहिए ‘मानसिक रोगी’

कुछ लोग कहते हैं कि महिलाओं से छेड़छाड़ करने वाले अधिकांश लोग मानसिक रूप से विकृत होते हैं। यह सही है और इस तरह के मानसिक रोगियों को खुले में घूमने की छूट नहीं दी जा सकती। ऐसे लोगों को मानसिक स्वास्थ्य केंद्र भेज देना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.