छोटे दुकानदारों के लिए बड़े काम की ये नई तकनीक, छह रुपये के पान का होता अब ऐसे भुगतान
ई-वॉलेट की ओर तेजी से बढ़ रहे छोटे दुकानदार, पान विक्रेता से लेकर रेहड़ी वाले भी अपना रहे कैशलेस।
आगरा, कुलदीप सिंह। छह रुपये के पान के लिए जब ग्र्राहक दस का नोट देता था, तो चार रुपये वापस करने को पान विक्रेता धारा सिंह परेशान होते थे। इन्होंने इसका तोड़ निकाला। फिर क्या था पेटीएम से भुगतान लेने लगे। न धारा सिंह को परेशानी और न ही ग्र्राहक को।
धारा सिंह तो महज उदाहरण हैं। ताजनगरी में गो-कैशलेस ने दुकानदारों से लेकर ग्र्राहकों की जिंदगी आसान बना दी है। शहर में धीरे-धीरे डिजिटल इकोनॉमी का हिस्सा अब छोटे दुकानदार भी बन रहे हैं। इसके तहत ई वॉलेट से ग्र्राहकों को भुगतान करने का विकल्प दूध, सब्जी, मोची और किराना जैसे पेशों से जुड़े दुकानदार भी दे रहे हैं। बड़े शो रूम' और शॉपिंग मॉल में कैशलेस भुगतान, (ज्यादातर प्वाइंट ऑफ सेल मशीन से) पहले से ही उपलब्ध है। नोटबंदी के बाद से नकदी लेनदेन के बीच व्यापारी और ग्र्राहक दोनों के पास कैशलेस विकल्प के बजाए कोई रास्ता नहीं बचा है। ऐसे में छोटे- छोटे दुकानदार भी भविष्य को देखते हुए ई वॉलेट सहित हर तरह के कैशलेस भुगतान को तेजी से अपना रहे हैं।
एमएसएमई सेक्टर 70 फीसद तक कैशलेस
नेशनल चैंबर ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स ने कहा कि नोटबंदी के बाद से लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्योग तेजी से कैशलेस की तरफ बढ़ा है। 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक के इस सेक्टर का 70 फीसद कारोबार कैशलेस पर पहुंच चुका है।
36 बैंक हैं आगरा में
508 ब्रांच काम कर रही हैं जिले में
4.28 लाख टोरंट उपभोक्ता हैं ताजनगरी में
1.10 लाख टोरंट उपभोक्ता करते हैं ऑनलाइन बिल भुगतान
ई-वॉलेट की छूट का लाभ ले रहे उपभोक्ता
ई-वॉलेट से ट्रांजेक्शन पर विभिन्न कंपनियां अलग-अलग ऑफर दे रही है। पेट्रोल से लेकर मोबाइल और बिजली के बिल जमा करने में छूट दी जा रही है। ई-वॉलेट के कैशबैक ऑफर उपभोक्ताओं को आकर्षित कर रहे हैं।
कैशलेस की राह में ये हैं रोड़े
स्मार्टफोन यूजर्स की कमी
स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या काफी कम है। मोबाइल कंपनियां कई तरह के फीचर्स के साथ स्मार्टफोन डिजाइन करती हैं, और उसकी कीमत भी फीचर्स पर आधारित होती हैं, लिहाजा स्मार्टफोन खरीद पाना बहुत लोगों के लिए आज भी एक सपना है।
साइबर सुरक्षा
एटीएम कार्ड की क्लोनिंग के अलावा, बैंक अकाउंट का हैक हो जाना, आपका डेटा और गोपनीय जानकारी हैकर्स तक पहुंच जाने की अकसर ही शिकायतें सुनने को मिलती हैं। ऐसे में लोग उपभोक्ता कैशलेस की तरफ बढऩे से हिचकिचाते हैं।
नेटवर्क कनेक्टिविटी
स्टेट ऑफ द इंटरनेट के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, औसतन इंटरनेट स्पीड की ग्लोबल रैंकिग में भारत का स्थान 113वां है। भारत में औसतन इंटरनेट स्पीड 3.5 एमबीपीएस है, जो कि दुनिया अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है. ऐसे में बार-बार नेटवर्क कनेक्टिविटी फेल हो जाना या फिर कार्ड इस्तेमाल करने पर सर्वर का ठप हो जाना उपभोक्ताओं के लिए दिक्कत पैदा करता है।
ऑनलाइन पेमेंट पर एक्स्ट्रा चार्ज
दुकानदार से लेकर खरीदार दोनों को ही इसका खर्च उठाना पड़ता है। दुकानदार को पीओएस मशीन के लिए 500 रुपये महीने किराया देना होता है। वहीं अगर ट्रांजेक्शन डेबिट कार्ड से होता है, तो उस पर 0.75 फीसद चार्ज लगता है, लेकिन दो हजार से ज्यादा के ट्रांजेक्शन पर चार्जेज की छूट है. वहीं क्रेडिट कार्ड से ट्रांजेक्शन पर ये 1.4 से 2 फीसद तक चार्ज होता है।
तकनीकी अज्ञानता
तकनीक के इस दौर में भी कई ऐसे लोग हैं, जो डिजिटल ट्रांजेक्शन से अनजान होते हैं। बेसिक मोबाइल रखने वाले ऐसे लोगों को स्मार्टफोन के फीचर्स भी समझ नहीं आते। तो वहीं बुजुर्गों के लिए मोबाइल या इंटरनेट के जरिये पेमेंट करना भी काफी मुश्किल है।
बैंकों में अब लगती है भीड़ कम
कैशलेस इकोनॉमी के बाद बैंकों में कैश की किल्लत खत्म हो चुकी है। ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के कारण बैंकों में भीड़ भी अब पहले की अपेक्षा कम रहती है। इसका लाभ सामान्य उपभोक्ताओं को मिल रहा है।
- सुरेश राम, एलडीएम