छोटे से व्यवसाय से ऐसे तय किया था जगन प्रसाद गर्ग ने विधानसभा तक का सफर
आगरा पूर्वी से पांच बार विधायक रहे। पांच हजार रुपए से शुरु किया था डेयरी का व्यवसाय।
आगरा, संजीव जैन। मेहनत और लगन से छोटे से व्यवसायी से पांच बार विधानसभा तक का सफर तय करने वाले विधायक जगन प्रसाद गर्ग का सफर आसान नहीं था। बुधवार को हार्ट अटैक के कारण उनका निधन हो गया। मृदु भाषी और सरल व्यक्तित्व के जगन प्रसाद के अचानक निधन से शहरवासी अवाक हैं। विशेष्कर वैश्य वर्ग में गहरा शोक व्याप्त हो गया है। लोग सहज विश्वास नहीं कर पा रहे कि उनके विधायक जो सदैव ही सहज सुलभ रहते थे। उनके हर दुख सुख में उनके साथ खड़े रहते थे, वो विधायक आज गोलोकवासी हो गए। लगातार पांच बार शहर की जनता का विशवास जीतने वाले विधायक जगन प्रसाद गर्ग का जीवन इतना आसान नहीं था। राजनीति के फलक पर अपनी पहचान बनाने वाले जगन प्रसाद गर्ग का जीवन युवाओं के लिए नजीर की तरह रहा।
जगन प्रसाद के जन्म के महज एक साल बाद पिताजी स्वर्ग सिधार गए। बड़े भाइयो ने पाल पोसकर बड़ा किया, पढ़ाया। आगरा कॉलेज से बीए करने के साथ उन्होने तोता का ताल स्थित बड़े भाई की घी की दुकान पर कई साल काम सीखा और फिर 1975 मे मदिया कटरा तिराहा पर नीरज डेरी की शुरुआत की।
खुद बनाकर बेचते थे सामान
शुरुआत मे व्यापार के लिए पूंजी कम थी, इसलिए अकेले काम शुरु करना शुरु किया। खर्च बचाने के लिए उन्होंने किसी को नहीं रखा। खुद अपने हाथों से दूध से पनीर, मक्खन, घी और दही बनाते थे। रोजाना सुबह इन सामानों को बनाना शुरु करते थे और दोपहर से शाम तक बिना रुके उनका वितरण करते थे। सुबह छह बजे से लेकर रात 10 बजे तक वह अकेले ही बिना खाए पिए लगे रहते थे। बीमार भी हुए लेकिन काम के कारण उस तरफ ध्यान नहीं दिया। जी तोड़ मेहनत के बाद नीरज डेरी और होटल वैभव पैलेस को ब्रांड बनाया।
महज पांच हजार की थी पूंजी
नीरज डेरी की शुरुआत करने के वक्त विधायक स्वर्गीय जगन प्रसाद गर्ग के पास महज पांच हजार रुपये की पूंजी थी, जो उनके बड़े भाइयो ने जुटाकर दी थी। उससे उन्होने कारोबार शुरु किया। एडीए से 150 रुपये महीने पर दो दुकान किराए पर लेकर नीरज डेरी की शुरुआत की।
जुगाड़ से बनाई चरन
विधायक स्वर्गीय जगन प्रसाद गर्ग ने मक्खन बनाने की प्रक्रिया समझने वह शुरुआत में पराग डेरी गए। वहां देखा कि किस प्रकार चरन (एक प्रकार की मशीन) से मक्खन बनाया जाता था। उस मशीन की कीमत 25 हजार थी, इतने रुपए न होने पर उन्होंने ट्रासंपोर्ट नगर से पुराने ट्रक का इंजन खरीद कर लकड़ी से जुगाड़ का चरन बनवाया, जो आज भी उनके परिजनों के पास सुरक्षित है ।
बेटे संभाल रहे हैं कारोबार
1998 मे पहली बार विधायक बनने से पहले तक वह खुद ही कारोबार संभालते थे। इस दौरान उन्होंने अपनी दो बड़ी बेटियों श्वेता और नमिता के साथ दोनों छोटे बेटों वैभव और सौरभ गर्ग को पढ़ा लिखाकर सक्षम बनाया। चारों बच्चो की धूमधाम से शादी की। अब उनके दोनों बेटे ही नीरज डेरी के साथ उनके होटल वैभव पैलेस को संभाल रहे हैं। हालांकि पांच बार के विधायक होने के बाद आज भी उनका निर्देशन कारोबार पर रहता था।