परिषदीय विद्यालय में चल रही पढ़ाई और साथ में लग रही हुनर की पाठशाला Agra News
वेस्ट मैटेरियल से पेंटिंग बना निकालते हैं पढाई खर्चा गीता स्मारक परिषदीय स्कूल में हर शनिवार लगती है शिल्पकला की कक्षा।
आगरा, जागरण संवाददाता। परिषदीय विद्यालय में अक्सर शिक्षकों के देर से आने और बच्चों के पढ़ने में ध्यान न देने की खबर ही आती हैं। मगर, अब ये तस्वीर बदल रही है। यमुना पार के सीतानगर स्थित गीता स्मारक परिषदीय विद्यालय में बच्चों की पढ़ाई के साथ हुनर की शिक्षा दी जाती है। बच्चे हुनर से अपनी पढ़ाई का खर्चा भी निकाल रहे हैं। रामबाग से एत्माद्दौला वाली रोड पर सड़क किनारे टिनशेड के नीचे बच्चे पढ़ते हुए दिखाई देते हैं। पहली नजर में ये स्कूल आम परिषदीय स्कूल जैसा लगता है। मगर, जब स्कूल में जाकर देखते हैं तो यहां का नजारा बदला बदला से नजर आता है।
यहां पढ़ाई के साथ-साथ हुनर भी सिखाया जाता है। हर शनिवार शिल्पकला की कक्षा लगती है। विद्यालय की प्रधानाचार्या रीना रानी ने बताया कि जब उनका विद्यालय में ट्रांसफर हुआ था तो बच्चे मिड-डे मील खाने के बाद घर चले जाते थे। स्कूल में बाउंड्री न होने के कारण उन्हें रोक पाना मुश्किल होता था। ऐसे में उन्होंने साथी शिक्षिकाओं के साथ मिलकर शिल्पकला की कक्षा लगाना शुरू किया। इसमें बच्चों को वेस्ट मैटेरियल से घर के काम में आने वाली वस्तुएं बनाने की ट्रेनिंग देनी शुरू की। शुरुआत में तो कम बच्चों ने इसमें रुचि ली। धीरे-धीरे बच्चों को इसमें मजा आने लगा। सब बच्चे अब घर नहीं जाते बल्कि शिल्पकला की क्लास का इंतजार करते हैं। हुनर से निकाल रहे पढ़ाई खर्च प्रधानाध्यापिका ने बताया कि अब वो हर शनिवार को शिल्पकला की कक्षा लगाती हैं। इसमें बच्चे एक-दो रुपये जोड़कर सामान लाते हैं। वो बच्चों से घर में प्रयोग होने वाली सीनरी और पेंटिंग बनवाती हैं। इसमें ज्यादातर वेस्ट मैटेरियल का इस्तेमाल कराया जाता है। इन सीनरी और पेंटिंग को लोग अच्छे दाम पर खरीद लेते हैं। इनसे मिलने वाले रुपये से बच्चों की कॉपी, पेन और दूसरे चीजों का खर्चा निकल जाता है। शायद यही वजह है कि विद्यालय में बच्चों की संख्या 105 हो गई है। नहीं करते हैं छुट्टी हुनर के साथ-साथ स्कूल में बच्चों की पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया जाता है। विद्यालय में प्रधानाध्यापिका रीना रानी व प्रकीर्णा शर्मा बच्चों की पढ़ाते हैं। बच्चे भी स्कूल से छुट्टी नहीं करते हैं।