घर में खुशियां बिखेरेगा चांदी का तुलसी का पौधा, 5 ग्राम का भी है सिक्का
चांदी के बढ़े दाम के कारण घट गया सिक्कों का वजन। 100 करोड़ की हो चुकी है आपूर्ति। चांदी महंगी होने के कारण इन आइटम का वजन जरूर घटा है। यहां बने सिक्के व इस पौधे की आसपास के जिलों में ही नहीं पूरे देश मेें आपूर्ति हो रही है।
आगरा, जागरण संवाददाता। आपके घरों में खुशियां बिखेरने के लिए चांदी के लक्ष्मी-गणेश, सिक्का, कल्पवृक्ष और तुलसी का पौधा तैयार है। बस आपको इसके लिए शहर के सराफा बाजार जाना होगा। जहां ज्वैलर्स ने इस बार कोरोना के बाद आए सीजन को भुनाने के लिए एक से एक चांदी के आइटम तैयार किए हैं। चांदी महंगी होने के कारण इन आइटम का वजन जरूर घटा है। यहां बने सिक्के व इस पौधे की आसपास के जिलों में ही नहीं पूरे देश मेें आपूर्ति हो रही हैं। अब तक करीब 100 करोड़ के आर्डर के सापेक्ष आपूर्ति हो चुकी है।
देश के बड़े सराफा कारोबारियों में शुमार स्थानीय कारोबारी आनंद अग्रवाल बताते हैं कि 30 सितंबर, 2021 को प्रति किलो चांदी 63 हजार रुपये थी, जो रविवार को 5900 रुपये बढ़कर 68900 रुपये प्रति किलो हो गई। ढाई फीसद ड्यूटी बढ़ी है। इसका असर यह हुआ कि लक्ष्मी-गणेश के सिक्कों का वजन घट गया है। 365 रुपये वाले पांच ग्राम के सिक्के की सर्वाधिक मांग है। वैसे 10 ग्राम, 20 ग्राम, 50 ग्राम का सिक्का भी मौजूद है। आगरा सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष नितेश अग्रवाल ने बताया कि अब चांदी के सिक्कों का कारोबार 100 करोड़ का हो चुका है। धनतेरस पर इसके बढ़कर 150 करोड़ का होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि लक्ष्मी-गणेश के सिक्कों के अलावा आजकल ‘चांदी का डॉलर’ भी लोकप्रिय हो रहा है, जिसे लोग उपहार में देने के लिए खरीदते हैं। दीपावली पर हटरी का पूजन करने के लिए चांदी की हटरी, चांदी के धन कुबेर, चांदी का झूला, चांदी के लक्ष्मी-गणेश, 100 ग्राम के चांदी के बिस्किट में एक कलरफुल लक्ष्मी-गणेश की फोटो भी लगाई गई है। लक्ष्मी मां के चांदी के चरण तो प्रभू श्रीराम की चांदी की खड़ाऊ भी यहां बेची जा रही हैं। राम भक्त हनुमान की चांदी की गदा, चांदी की क्राकरी, लोटे और अन्य कई तरह के गिफ्ट आइटम मिल रहे हैं। उन्होेंने बताया कि आगरा में बन रहे चांदी के सिक्कों में 91.60 फीसद चांदी होती है, इसलिए इनकी मांग रहती है। तुलसी का पौधा भी 50 ग्राम से 100 ग्राम तक व उससे भी अधिक वजन में उपलब्ध है।
चांदी की ढलाई और आपूर्ति का बड़ा केंद्र है आगरा
पिछले दो दशक में आगरा चांदी के कारोबार का बड़ा गढ़ बनकर उभरा है। इसके पीछे यहां रह रहे कारीगरों का हाथ है। करीब 200 गांवों के पांच लाख लोग इस कारोबार से जुड़े हैं। त्योहारी सीजन में चांदी के सिक्के भी बड़े पैमाने पर तैयार किए जाते हैं। आगरा-मथुरा से प्रतिदिन पांच से सात टन चांदी का कारोबार होता है। बोदला, मोती नगर, धाकरान, बलदेव आदि में घर-घर चांदी के आभूषण बनाने का काम होता है। लक्ष्मी-गणेश के अलावा राम दरबार, क्वीन विक्टोरिया और जार्ज पंचम की छवि वाले सिक्कों की भी ढलाई यहां होती है। कुछ वर्षों से लक्ष्मी-गणेश के सिक्कों की बढ़ती मांग के बीच अन्य छाप वाले सिक्के बाजार से लगभग हट गए। यहां चांदी की पायलें बड़े पैमाने पर बनाई जाती हैं। कोई भी आभूषण बनाने के लिए सबसे पहले बंधेल (तार) बनता है। यह काम यहां मुगल काल से चल रहा है। सराफा कारोबारियों के मुताबिक लक्ष्मी जी के अंकनयुक्त सिक्कों का प्रचलन सैकड़ों वर्ष पुराना है।