रो¨हग्या मुस्लिमों से बेखबर रहा ताजनगरी का खुफिया विभाग
दो वर्ष से डेरा डाले परिवार की जांच एजेंसियों को नहीं लगी भनक, कोलकाता में रेलवे स्टेशन पर पकड़े जाने पर हुई थी पूछताछ
आगरा (जेएनएन): रो¨हग्या मामले में खुफिया एजेंसियों की लापरवाही एक बार फिर सामने आई है। रुनकता क्षेत्र में दो वर्ष से रो¨हग्या परिवार रह रहा था। एजेंसियां इससे बेखबर रहीं। शनिवार रात को ताजनगरी में रो¨हग्या का मामला सामने आने पर खुफिया एजेंसियों में हलचल मची। दो दिन पहले वह कोलकाता में रेलवे स्टेशन पर पकड़े गए थे। पूछताछ के बाद उन्हें रवाना कर दिया गया।
रुनकता में रहने वाले रो¨हग्या मोहम्मद युनूस का कहना था कि वह पत्नी हाजरा और पांच बच्चों के साथ दो वर्ष पहले यहां आया था। कबाड़ बीनने वाले लोगों के बराबर में झोपड़ी बना उनके साथ कबाड़ बीनने लगा। रो¨हग्या ने पूछताछ में एजेंसियों को बताया कि अराकान में हुई ¨हसा के चलते वह तीन वर्ष पहले पलायन करके भारत में आए थे। कुला मियां और सलीम ने बताया कि उन्हें हैदराबाद से आगरा की ट्रेन पकड़नी थी। धोखे से दूसरी ट्रेन में सवार होने पर वह कोलकाता पहुंच गए। वहां रेलवे स्टेशन पर पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। रिफ्यूजी कार्ड देखने के बाद उन्हें आगरा की ट्रेन में बैठा दिया। शहर में आने वाले संदिग्ध लोगों पर नजर रखने में खुफिया एजेंसियां पूर्व में भी विफल रही हैं। तीन साल पहले आइएम आतंकी बालूगंज के होटल में ठहरे थे। वह ताज की रेकी करके चले गए। राजस्थान में उनके पकड़े जाने के बाद इसका पता चला। इसी तरह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ का एजेंट भी यहां कई बार आया।
दिल्ली, हैदराबाद आदि शहरों में डेरा
रो¨हग्या दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता हरियाणा और जम्मू समेत कई शहरों में डेरा डालकर रह रहे हैं। यहां पकड़े गए लोगों को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा दिल्ली में रिफ्यूजी कार्ड दिया गया है। जो वर्ष 2019 तक मान्य है।
15 हजार से अधिक रो¨हग्या
संयुक्त राष्ट्र संघ की शरणार्थी एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में रो¨हग्या की पंजीकृत संख्या 14 हजार से अधिक है। जानकार लोगों का कहना है वास्तविक आंकड़ा करीब 40 हजार है।
आंखों के सामने परिजनों की हत्या कर जला दिए घर
यहां आए सभी रो¨हग्या के परिवार का कोई न कोई सदस्य म्यांमार में हुई ¨हसा की भेंट चढ़ा है। युनूस के पिता युसूफ और मां की हत्या करके मकान में आग लगा दी थी। कुला मियां के भांजे जाकिर अहमद को मार दिया गया। सलीम के पिता सुल्तान, माता गुलशेर को उसकी आंखों के सामने मार डाला। बाबुल और अब्दुल करीम के भी पिता की भी हत्या कर दी गई थी। वह जान बचाने के लिए पलायन को मजबूर हुए।
कौन हैं रो¨हग्या
रो¨हग्या म्यामांर केअराकान (जो राखिन के नाम से भी प्रसिद्ध है) प्रांत में बसने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग हैं। वहां इनकी आबादी करीब आठ लाख है। वर्ष 1430 में अराकान पर शासन करने वाले पहले बौद्ध राजा नारामीखल के दरबार में नौकर थे। अराकान प्रांत बांग्लादेश की सीमा से लगा है। रो¨हग्या के भारत में आने का सिलसिला वर्ष 1980 से शुरू हुआ।