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ShriKrishna Janambhoomi Cases: श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में आठ वादों पर मथुरा की सिविल डिवीजन बेंच में आज नहीं हो सकी सुनवाई, अगली तारीख तय

ShriKrishna Janambhoomi Cases In Mathura मथुरा की अदालत में शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्मस्थान से संबंधित आठ वादाें पर सिविल डिवीजन बेंच को सुनवाई करनी थी इस मामले पर देशभर की निगाहें लगी हैं। लेकिन आज शाेकावकाश हो गया है।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 12:32 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2022 12:32 PM (IST)
ShriKrishna Janambhoomi Cases: श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में आठ वादों पर मथुरा की सिविल डिवीजन बेंच में आज नहीं हो सकी सुनवाई, अगली तारीख तय
श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में शुक्रवार को भी सुनवाई नहीं हो सकी है।

आगरा, जागरण टीम। श्री कृष्ण जन्मस्थान मामले में शुक्रवार को आठ वादों पर सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में सुनवाई होनी थी। लेकिन शोकावकाश के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। अदालत ने मनीष यादव और महेंद्र प्रताप सिंह के मामले में सुनवाई के लिए पांच जुलाई की तारीख तय की है। जबकि शेष शैलेंद्र सिंह, दिनेश शर्मा, अनिल त्रिपाठी, पंकज, पवन शास्त्री और रंजना अग्निहोत्री के मामले में सुनवाई के लिए 15 जुलाई की तिथि तय की है।

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श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में शुक्रवार को आठ वादों पर सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में सुनवाई होनी थी। इन वादों में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही मस्जिद ईदगाह हटाकर पूरी जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपने की मांग की गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी पिछले दिनों श्रीकृष्ण जन्मस्थान से जुड़े मामलों की एक साथ सुनवाई कर जल्द निस्तारण के निर्देश दिए थे।

अब तक इस मामले में दस वाद अदालत में दायर हो चुके हैं। श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही मस्जिद ईदगाह हटाने की मांग को लेकर सबसे पहला वाद 26 सितंबर 2020 को दायर किया गया था। तब से अब तक इस मामले में 10 वाद अलग-अलग लोगों ने दायर किए हैं। सभी की सुनवाई इसमें सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में होनी है।

इससे जुड़े लखनऊ निवासी अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री, मनीष यादव, महेंद्र प्रताप सिंह, दिनेश चंद्र शर्मा, शैलेंद्र सिंह, पंकज, पवन कुमार शास्त्री, अनिल कुमार त्रिपाठी के वादों पर शुक्रवार को सुनवाई होनी थी।

दायर वादों में कई याची ने शाही मस्जिद ईदगाह का आर्कोलाजिकल सर्वे कराने के साथ ही खोदाई कराने तथा कमिश्नर नियुक्त करने की मांग की है। इन प्रार्थना पत्रों पर भी एक जुलाई को सुनवाई की जानी थी। जून में सिविल अदालतें बंद होने के कारण एक माह तक इस मामले में सुनवाई नहीं हो सकी थी। 


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