Shri Krishna Janmashtmi 2020: ब्रज का अनूठा स्थल, जहां लगता है कान्हा को माटी के लड्डू का भाेग
Shri Krishna Janmashtmi 2020 यमुना पार नई गोकुल से करीब चार किलोमीटर दूर महावन इलाके में एक और गोकुल है। इसे पुरानी गोकुल कहा जाता है।
आगरा, तनु गुप्ता। गोकुल के यमुना घाट पर कन्हैया ने माटी खाई। यशोदा मैया ने कान पकड़े तो मुंह खोल अखिल ब्रह्मांड के दर्शन करा दिए। कान्हा की इस बाल लीला ने घाट को ब्रह्मांड घाट की पहचान दे दी। यहां बने मंदिर में आज भी मिट्टी के लड्डू का भोग लगता है। स्थानीय लोगों के लिए भले ही प्रसाद की बिक्री मिट्टी के सोना उगलने जैसा हो, लेकिन श्रद्धालुओं के लिए आस्था और भाव का केंद्र बिंदु है। धर्म ध्वजा का यह मुख्य घाट तो मिट्टी में मिल गया है। लेकिन, आज इस स्थान पर तीन घाट हैं और तीनों की अपनी धर्म कहानी।
यमुना पार नई गोकुल से करीब चार किलोमीटर दूर महावन इलाके में एक और गोकुल है। इसे पुरानी गोकुल कहा जाता है। यहीं पर यमुना किनारे है ब्रह्मांड घाट। ब्रह्मांड घाट की खूब चौड़ी और मजबूत सीढ़ियां इसके पौराणिक होने का पता देती हैं। भीड़ भी ब्रज के किसी भी घाट के मुकाबले कम नहीं। मगर यह पूरा इलाका तीन मंसबदारी में बंटा दिखता है। घाट के एक तरफ ब्रह्मांड बिहारी के नाम से मंदिर है। घाट के ही दूसरी तरफ रास चबूतरा है। हाल में ही ब्रज तीर्थ विकास परिषद से संवारे गए इस स्थान पर महावन के ब्राहमण काबिज हैं। चबूतरे पर वह पेड़ है जिसे कृष्ण टेर कदंब कहते हैं। इसकी डालियों पर श्रद्धालु चीर बांध मनौती मांगते हैं। कुछ दूरी पर ही तीसरा श्री गुरु काष्र्णि स्वर्गाश्रम ब्रह्मांड घाट है।
ये है ऊखल बंधन लीला
माखन चोरी करने पर यशोदा मैया ने कान्थ को ऊखल से बांध दिया। कान्हा ऊखल को खींच कर पास ही खड़े जुड़वा वृक्ष यमलाजरुन के बीच से होकर निकले। कथा है कि यमलाजरुन नलकुबेर के बेटे थे जो मदांध होकर यमुना में नग्न स्नान कर रहे थे। नारद मुनि ने कुपित होकर उन्हें जड़ हो जाने का श्रप दिया। विनती करने पर मुनि ने कहा कि द्वापर में श्रीकृष्ण उनका उद्धार करेंगे। इस लीला से यमलाजरुन का उद्धार हुआ।
यह है ब्रह्मांड घाट की कथा
ब्रह्मांड घाट पर श्रीकृष्ण ने मिट्टी खाने की लीला की। मैया यशोदा को अपने मुख में संपूर्ण ब्रह्मांड के दर्शन कराए। श्रीकृष्ण गाय चराने यहां आया करते थे। चरते-चरते गाय जब यमुना पार चली जातीं तो कदंब की डालियों पर बैठकर बंसी बजाते। गाय वापस आ जाती थी। यहां आज भी एक कदंब का पेड़ है। कहते हैं इसकी जड़ यमुना के अंदर तक है। इस पुरानी गोकुल में आज भी असीम शांति मिलती है। चारों ओर हरियाली है लेकिन गंदगी की मार श्रद्धालुओं को परेशान करती है।आसपास के धार्मिक स्थलचिंताहरण महादेव का मंदिर, गोकुलगांव, ब्रज चौरासी खंभा, नंदकिला, रसखान समाधि स्थल।