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Janmashtmi 2020: Corona ने घटाया ब्रज का ये कारोबार, विदेशों तक में जाती हैं लड्डू गोपाल की पोशक

Shri Krishna Janmashtmi 2020 Corona काल में पोशाक कारोबार बुरी तरह प्रभावित। पूरे वर्ष में महज बीस फीसद ही कारोबार हो सका।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 05:43 PM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 05:43 PM (IST)
Janmashtmi 2020: Corona ने घटाया ब्रज का ये कारोबार, विदेशों तक में जाती हैं लड्डू गोपाल की पोशक
Janmashtmi 2020: Corona ने घटाया ब्रज का ये कारोबार, विदेशों तक में जाती हैं लड्डू गोपाल की पोशक

आगरा, जेएनएन। कोरोना काल ने आस्था और धर्म की नगरी में ऐसा सन्नाटा किया है कि लड्डू गोपाल की पोशाक भी अब संवर नहीं पा रही है। श्रद्धालुओं का आवागमन थम गया है, तो पोशाक का कारोबार ठप हो गया। जन्माष्टमी पर ही 80 फीसद कारोबार हो जाता है, लेकिन इस बार न श्रद्धालु आ सके और न ही पोशाक कारोबार संवर सका है। कारोबारी बेहाल हैं। 

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ब्रजवासियों के लिए आराध्य श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी खास है। भगवान कृष्ण की हर छवि निराली है, फिर भी लड्डू गोपाल स्वरूप की बात ही कुछ और है। इस दिन श्रीकृष्ण जन्मस्थान का दृश्य अद्भुत होता है। यहां लाखों की संख्या में देश-विदेश से भक्त भगवान के बालरूप के दर्शन को आते हैं। श्रद्धालु अपने साथ ठाकुर जी की पोशाक ले जाते हैं। ठाकुर जी को सजाने के लिए तरह-तरह की पोशाक हैं। ब्रज में होली से ही पोशाक की आभा दमकने लगती है। मई से कारोबार परवान चढऩे लगता है। व्यापारी इन चार माह में ही साल भर की कमाई करते हैं, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते मंदिरों के पट मार्च से बंद हैं। ऐसे में पोशाक कारोबार पूरी तरह ठप है। पोशाक कारोबारी अजय गोयल बताते हैं कि इस बार पोशाक कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पूरे वर्ष में महज बीस फीसद ही कारोबार हो सका है।

यहां तक जाती हैं पोशाक

जिले से ये पोशाक देश के साथ लंदन, न्यूयॉर्क, मलेशिया, इंडोनेशिया, रूस, इटली और अमेरिका सहित अन्य देशों में भी जाती हैं, जिसके निर्यातक दिल्ली में बैठे होते हैं और ऑर्डर मिलने पर मथुरा से पोशाक खरीदते हैं, लेकिन इस बार कोरोना काल है। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश नहीं है, तो वहीं भक्त वृंदावन के बांके बिहारीजी के दर्शन से भी वंचित रहेंगे। इधर, पोशाक से जुड़े कारोबारियों ने इस बार चीन से कोई सामग्री नहीं मंगाई है। हालांकि पहले कई तरह की मालाएं और डिजाइनर श्रंगार की चीजें चाइना से आती थीं। वहीं जन्माष्टमी के पर्व पर चाइना करीब दो से ढाई करोड़ का व्यापार करता था।

एक नजर 

- 5 से 8 करोड़ रुपये का हर साल कारोबार

- 50 होलसेलर जिले में

- 600 रिटेलर

- 2500 हजार कारीगर  


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