Move to Jagran APP

Shardiya Navratri 2022: कल है शक्ति आराधना का चौथा दिन, पढ़ें कैसा है देवी कूष्मांडा का स्वरूप और पूजन विधि के संग बीज मंत्र

Shardiya Navratri 2022 दुर्गा पूजा के चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा सच्चे मन से करना चाहिए। फिर मन को अनहत चक्र में स्थापित करने हेतु मां का आशीर्वाद लेना चाहिए। सबसे पहले सभी कलश में विराजमान देवी- देवता की पूजा करें। फिर मां कुष्मांडा की पूजा करें।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 28 Sep 2022 03:37 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 03:37 PM (IST)
Shardiya Navratri 2022: कल है शक्ति आराधना का चौथा दिन, पढ़ें कैसा है देवी कूष्मांडा का स्वरूप और पूजन विधि के संग बीज मंत्र
कल है शारदीय नवरात्र में चतुर्थ माता कुष्मांडा की पूजा का दिन।

आगरा, जागरण संवाददाता। शारदीय नवरात्र में कल चौथा दिन है। माता का चतुर्थ स्वरूप देवी कूष्मांडा का है। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार देवी भागवत में बताया गया है कि सृष्टि की उत्पत्ति से पहले जब चारों ओर अंधकार ही अंधकार था और सृष्टि बिल्कुल शून्य थी तब आदिशक्ति मां दुर्गा ने अंड रूप में ब्रह्मांड की रचना की। इसी कारण देवी का चौिा स्वरूप कूष्मांडा कहलाया गया।

loksabha election banner

कूष्मांडा देवी सृष्टि की उत्पत्ति करने वाली होने के कारण आदिशक्ति नाम से भी जानी जाती है। एेसी भी मान्यता है कि इनके तेज के कारण ही साधक की सभी व्याधियां यानी बीमारियां भी नष्ट हो जाती हैं और मनुष्य को बल और आरोग्य की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा में मिष्ठान का भाेग विशेषरूप से लगाना चाहिए। नवरात्र के चौथे दिन भूलकर भी किसी से अपशब्द नहीं कहने चाहिए। साथ ही छल, कपट और प्रपंच से दूर रहना चाहिए।

कौन है माता कुष्मांडा

माता को कुम्हड़े की बलि बहुत प्रिय है। मां कुष्मांडा की आठ भुजाएं होने के कारण इन्हें अष्टभुजा वाली भी कहा जाता है। इनके सात हाथाें में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा नजर आता है जबकि आठवें हाथ में जब की माला रहती है। माता का वाहन सिंह है और इनका निवास स्थान सूर्यमंडल के भीतर माना जाता है। कहा जाता है कि सूर्य लोक में निवास करने की क्षमता अगर किसी में है तो वक केवल मां कुष्म्ांडा में ही है। साथ ही मान्यता है कि देवी कुष्मांडा सूर्य देव को दिशा और उर्जा प्रदान करती हैं। परिवार में खुशहाली के लिए, अच्छे स्वास्थ्य के लिए और यश,बल, बुद्धि, आयु वृद्धि के लिए नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा का ध्यान करके उनके इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

मां कुष्मांडा का मंत्र

'ऊं ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडायै नम:'

ऐसे करें पूजा

दुर्गा पूजा के चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा सच्चे मन से करना चाहिए। फिर मन को अनहत चक्र में स्थापित करने हेतु मां का आशीर्वाद लेना चाहिए। सबसे पहले सभी कलश में विराजमान देवी- देवता की पूजा करें। फिर मां कुष्मांडा की पूजा करें। इसके बाद हाथों में फूल लेकर मां को प्रणाम कर इस मंत्र का ध्यान करें।

सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु।

फिर मां कुष्मांडा के इस मंत्र का जाप करें

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां की पूजा के बाद महादेव और परमपिता ब्रह्मा जी की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद मां लक्ष्मी और विष्णु भगवान की पूजा करें।

ध्यान

वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥

भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।

कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥

पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।

मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्।

कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

स्‍त्रोत पाठ

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।

जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।

चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहिदुःख शोक निवारिणीम्।

परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाभ्यहम्॥  

धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.