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मार्गशीर्ष मेला: त्रिशूल धारी नागा साधुओं का अंदाज खींचता रहा ध्‍यान Agra News

सबसे पहले गजानंद जी महाराज की प्रतिमा को कराया स्नान। हरिपदी गंगा पर गूंजे बम भोले के बोल।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 07:52 PM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 07:52 PM (IST)
मार्गशीर्ष मेला: त्रिशूल धारी नागा साधुओं का अंदाज खींचता रहा ध्‍यान Agra News
मार्गशीर्ष मेला: त्रिशूल धारी नागा साधुओं का अंदाज खींचता रहा ध्‍यान Agra News

आगरा, जेएनएन। त्रिशूलधारी नागा बाबाओं का अंदाज ही ऐसा है कि अपनी ओर ध्‍यान खींचते रहते हैं। सोरों में मंगलवार को शाही सवारी के बाद नागा साधु-संत हरिपदी गंगा घाट पर पहुंचे। यहां पर नागा बाबाओं के आश्रम (नागालैंड) के सामने शाही स्नान शुरू हुआ। सबसे पहले शाही सवारी में प्रमुख डोले पर शामिल गजानंद जी महाराज की प्रतिमा को गंगा में स्नान कराया। इस अवसर पर बम-बम भोले के जयकारों से हरिपदी गंगा घाट भी गूंज उठा।

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करीब साढ़े तीन बजे नागा साधु-संतों की शाही सवारी गंगा घाट पर पहुंची। नागालैंड के सामने डोले से उतार कर गजानंद जी महाराज की प्रतिमा को गंगा में स्नान कराया। इसके बाद में नागा साधुओंं ने स्नान किया। इस दौरान श्रद्धालु एवं सोरोंवासी घाट पर ही खड़े रहे। पुरानी परंपरा है कि जब नागा साधु स्नान करते हैं, उस वक्त गंगा में कोई अन्य स्नान नहीं करता है।

त्रिशूलधारी नागा रहे आकर्षण का केंद्र

शाही सवारी में त्रिशूलधारी नागा आकर्षण का केंद्र रहे। शाही में डोले के आगे रहे यह नागा साधु-संतों के इस दौरान कोई पैर भी नहीं छू सकता था। यह इनकी परंपरा है। जब शाही स्नान हो गया, इसके बाद में ही इनका आशीर्वाद लिया जा सकता है।

चिलम लगाने की निभाई परंपरा

स्नान के बाद नागालैंड पर परंपरागत चिलम भी नागा साधु-संतों ने लगाई। करीब 250 ग्राम की इस चिलम को पहले थान पर चढ़ाया गया। बारी-बारी से नागा साधु-संतों ने लगाया। हर नागा साधु को यह चिलम दी गई। चिलम की परंपरा आधा घंटा चली।

जगह-जगह पर बांटा दूध

नागा साधुओं की शाही सवारी के दौरान लोगों ने जगह-जगह पर कैंप लगा कर दूध का वितरण किया। हालांकि सवारी में शामिल प्रमुख नागा साधु संतों ने किसी भी पदार्थ का सेवन नहीं किया।

जगह-जगह पर हुई पुष्प वर्षा

शाही सवारी पर जगह-जगह पुष्प वर्षा की गई। शहर की हर राह पर इस शाही सवारी का स्वागत किया गया। श्रद्धालु नागा साधुओं का स्वागत करने के लिए बेताब नजर आए।

यह अखाड़े रहे शामिल

जूना अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, अटल अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, पंचायती अखाड़ा मंडल, दिगंबर अखाड़ा सहित अन्य अखाड़े।


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