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लेने जा रहे हैं अगर प्रदूषण प्रमाण पत्र तो पहले पढ़ लें सेटिंग गेटिंग का ये खेल Agra News

आरटीओ ऑफिस के बाहर ही करीब एक दर्जन ऑन लाइन प्रदूषण जांच केंद्र हैं खुले। अधिकांश के पास नहीं हैं आधुनिक उपकरण भी।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 05:39 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 08:44 AM (IST)
लेने जा रहे हैं अगर प्रदूषण प्रमाण पत्र तो पहले पढ़ लें सेटिंग गेटिंग का ये खेल Agra News
लेने जा रहे हैं अगर प्रदूषण प्रमाण पत्र तो पहले पढ़ लें सेटिंग गेटिंग का ये खेल Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। वाहन की फिटनेस में ऑन लाइन प्रदूषण प्रमाण पत्र अनिवार्य क्या हुआ, प्रदूषण जांच केंद्र वालों की बल्ले-बल्ले हो गई। नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने के बाद बगैर प्रदूषण प्रमाण पत्र के भारी-भरकम जुर्माने के प्रावधान ने उनकी कमाई में इजाफा कर दिया है।

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आरटीओ ऑफिस के बाहर ही करीब एक दर्जन ऑन लाइन प्रदूषण जांच केंद्र खुले हुए हैं। इनमें से अधिकांश के पास आधुनिक उपकरण भी नहीं हैं, लेकिन सेटिंग-गेटिंग के तहत यह वाहनों की जांच कर उन्हें ऑन लाइन प्रदूषण का प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं। करीब एक साल पहले शासन ने वाहनों की फिटनेस में ऑन लाइन प्रदूषण प्रमाण पत्र अनिवार्य किया है। उससे पहले मैनुअल कागज लगाकर वाहन की फिटनेस हो जाती थी। कुछ ऐसे जांच केंद्र वाले भी हैं जो बाहर से पुरानी मशीनें खरीद लाए हैं और उसी के आधार पर प्रदूषण प्रमाण पत्र बना रहे हैं।

शहर में 30 प्रदूषण जांच केंद्र

उप परिवहन आयुक्त कार्यालय में 30 प्रदूषण जांच केंद्रों का पंजीकरण है। इसमें से 20 के करीब ऑन लाइन हैं, जबकि बाकी प्रदूषण जांच केंद्र की आड़ में आरटीओ के बाहर अपनी दुकान सजाकर बैठे हैं।

नियम और मानक ताक पर

जागरण ने आरटीओ दफ्तर के बाहर बने ऑन लाइन प्रदूषण जांच केंद्रों की पड़ताल की तो पता चला कि यह केंद्र वाहनों को प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण तो जारी कर रहे हैं, लेकिन इसका रिकॉर्ड नहीं रख रहे। जो वाहन ऑन लाइन जांच में फेल हो जाते हैं, उन्हें जुगाड़ करके पास का प्रमाण पत्र दे दिया जाता है। इसकी एवज में 200 से 300 रुपये वसूले जाते हैं। नियमानुसार प्रत्येक माह परिवहन कार्यालय में वाहनों की संख्या का रिकार्ड जमा कराना होता है, लेकिन अधिकांश प्रदूषण जांच केंद्र के प्रबंधकों को इस नियम की परवाह नहीं है। जांच केंद्र के मशीन ऑपरेटर के पास स्मोग और गैस एनालाइजर का सर्टिफिकेट या डिप्लोमा होना चाहिए। यह सर्टिफिकेट प्रदूषण जांच की मशीन बनाने वाली कंपनी ऑपरेटर को प्रशिक्षण देकर जारी करती है। लेकिन यहां प्रदूषण जांच केंद्रों के ज्यादातर ऑपरेटर पर कोई सर्टिफिकेट नहीं है। एक सर्टिफिकेट या डिप्लोमा का प्रयोग दो प्रदूषण जांच केंद्रों के मशीन ऑपरेटर कर रहे हैं। प्रदूषण केंद्र वालों ने जांच प्रमाण पत्र की सूची का बोर्ड भी नहीं लगाया है।

प्रदूषण जांच केंद्रों की जांच कुछ दिन पहले कराई थी। इस दौरान जहां कमी मिलीं, उन्हें नोटिस जारी किए गए। यदि प्रदूषण जांच केंद्र वाले गड़बड़ी कर रहे हैं तो उनकी पुन: जांच कराई जाएगी।

जगदीश कुशवाहा, उप परिवहन आयुक्त (आगरा परिक्षेत्र) 


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