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Agra News: छह साल बाद मिला मानसिक रूप से अस्वस्थ किशोरी को न्याय, गंदा काम करने वाले को 15 वर्ष का कठोर कारावास

वर्ष 2016 में कागारौल थाना क्षेत्र की घटना। खेत पर गई किशोरी से आरोपित शीलू ने किया था दुष्कर्म। मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से पीड़िता और वादी समेत छह गवाह अदालत में पेश किए गए।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 18 May 2022 04:16 PM (IST)Updated: Wed, 18 May 2022 04:16 PM (IST)
Agra News: छह साल बाद मिला मानसिक रूप से अस्वस्थ किशोरी को न्याय, गंदा काम करने वाले को 15 वर्ष का कठोर कारावास
वर्ष 2016 में कागारौल थाना क्षेत्र में हुइ थी दुष्कर्म की वारदात।

आगरा, जागरण संवाददाता। मानसिक रूप से अस्वस्थ किशोरी के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोपित को अदालत ने दोषी पाया। विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सर्वजीत कुमार सिंह ने दोषी शीलू को 15 वर्ष के कठोर कारावास के साथ ही 80 हजार रुपये के अर्थ दंड से दंडित किया।

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घटना 30 सितंबर 2016 की है। कागारौल थाने में किशोरी के पिता ने शीलू निवासी नगला परमाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। पिता के अनुसार उनकी 14 वर्षीय बेटी मानसिक रूप से अस्वस्थ चल रही है। उसका मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में इलाज चल रहा था। वादी की पुत्री 30 सितंबर की रात को शौच के लिए खेत पर गई थी। वहां पर आरोपित शीलू ने उसे जबरन अपने साथ खींचकर अपने खेतों की ओर ले गया। पुत्री के साथ दुष्कर्म किया।

काफी देर तक पुत्री के घर नहीं आने पर स्वजन उसकी तलाश में निकल पड़े। खेतों की ओर पहुंचकर लोगों ने आवाज लगाई, पीड़िता के शोर मचाने पर वहां जुटे लोगों ने आरोपित को मौके से दबोच लिया था। उसे पुलिस के सुपुर्द कर दिया था। पुलिस ने आरोपित को जेल भेजने के बाद मुकदमे में चार्जशीट लगा दी।

मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से पीड़िता और वादी समेत छह गवाह अदालत में पेश किए गए। विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सर्वजीत कुमार सिंह ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य एवं सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता नाहर सिंह तोमर, विमलेश आनंद के तर्क पर आरोपित शीलू को मानसिक रूप से अस्वस्थ किशोरी के साथ दुष्कर्म का दोषी पाया। शीलू को 15 वर्ष कठोर कारावास एवं 80 हजार रुपये के अर्थ दंड से दंडित किया।

ऐसे अपराधियों का समाज में स्वच्छंद रहना घात्क

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आरोपित का कृत्य अत्यंत घृणित है। ऐसे अपराधियों का समाज में स्वच्छंद रहना समाज के लिए घातक है। 


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