बदल रहा समय, वक्त काटने का बुजुर्गों ने निकाला ये टेक्नोफ्रेंडी तरीका
बच्चों की बेरुखी से परेशान बुजुर्गों ने सेवानिवृत जिंदगी को किया सोशल मीडिया पर व्यस्त।
आगरा, जागरण संवाददाता: हमारे बुजुर्ग टेक्नोफ्रेंडी होते जा रहे हैं। वाट्स एप हो या फेस बुक, उनकी सक्रियता युवाओं को भी पीछे छोड़ रही है। क्या हमने उनके इस बदलते परिवेश के पीछे के कारणों को जाने की कोशिश की है?
बेटे को सुबह आफिस जाना है। बेटे की बहू को बच्चों को स्कूल छोडऩे जाना है। सरकारी सेवा से निवृत्त बुजुर्ग पिता घर में अकेले रह जाते हैं। नीरस होकर फेसबुक और वाट्स एप पर पुराने दोस्तों से चैटिंग करना शुरू कर देते हैं। यह कहानी शहर के किसी एक बुजुर्ग की नहीं बल्कि कई की है। नीरसता के कारण सोशल मीडिया से जुडऩे वाले बुजुर्ग अब इन मंचों पर इतने सक्रिय हो गए हैं कि वह इससे रोज नई-नई जानकारी जुटा रहे हैं। अपने स्तर पर लोगों की मदद के लिए भी इस मंच का इस्तेमाल कर रहे हैं।
बच्चों की अनसुनी से भी खफा
हमारे बुजुर्गों के टेक्नोफ्रेंडी होने के पीछे एक यह भी कारण है कि आज की हमारी युवा पीढ़ी उन्हें अनसुना करने लगी है। हम उनकी सहज सरल बातों से सहमत नहीं हो पाते। वह इन्हीं विचारों को सोशल मंच पर खुले दिल से रख रहे हैं। यहां अपनी ही सोच के लोगों से रूबरू होने पर इन्हें खुशी मिलती है।
क्या कहते हैं सीनियर सिटीजन
सोशल मीडिया से जब से जुड़ा हूं समय का पता ही नहीं चलता। रोज नई जानकारी से आमना-सामना होता रहता है।
- डॉ. गिरीश चंद्र गुप्ता
खाली बैठे-बैठे नीरसता आती है। सोशल मंच पर ऐसा लगता है कि नौकरी के समय वाले दोस्त आज भी साथ हैं।
- दीपक गोयल