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पर्यटन और संस्कृति का संबंध फूल व हवा के झोंके जैसा

डीईआइ में राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन बुद्धिजीवियों ने रखे विचार, शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम का हुआ आयोजन

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 07:00 AM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 07:00 AM (IST)
पर्यटन और संस्कृति का संबंध फूल व हवा के झोंके जैसा
पर्यटन और संस्कृति का संबंध फूल व हवा के झोंके जैसा

आगरा (जागरण संवाददाता): दयालबाग शिक्षण संस्थान (डीईआइ) में कला संकाय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन यात्रा वृतांत व पर्यटन के विकास में सांस्कृतिक कला रूपों की भूमिका पर चर्चा की गई। शाम को रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।

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डीईआइ के अंतरराष्ट्रीय सभागार में पर्यटन और संस्कृति विषयक कार्यशाला के दूसरे दिन दिल्ली के प्रोफेसर अवधेश त्रिपाठी ने कहा कि दिल्ली में लगने वाले फूल मेले का आयोजन आपसी भाईचारे का संदेश देने वाला है। 1813 में शुरू हुई फूल वालों की सैर मेला में स्थापत्य कला, मौखिक साहित्य, रीति रिवाज, इतिहास, संस्थान आदि कला रूपों और संस्थाओं का समावेश है। आंबेडकर विवि के आइटीएचएम के निदेशक डॉ. लवकुश मिश्रा ने कहा की पर्यटन सोच को विस्तार देता है। आज पर्यटन का व्यापक रूप है। इसमें आकर्षण का एक हिस्सा संस्कृति है। प्रो. उमाकात चौबे ने कहा कि पर्यटन का मतलब कहीं जाना और घूमकर आना नहीं, वहां की जानकारी हासिल करना है। छात्र-छात्राएं भविष्य में यदि पर्यटन के क्षेत्र से जुड़े रहते हैं तो उन्हें पर्यटकों को सही सूचना देनी चाहिए। उन्होंने गाइडों के विभिन्न कला रूपों का प्रशिक्षण लेने पर भी जोर दिया। क्षेत्रीय आयुक्त भविष्य निधि आरके पाल ने कहा कि मुगलों ने साझी संस्कृति का विकास इसलिए किया था ताकि वे इस देश में अपनी जड़ें गहरी बना सकें। कवि अरुण आदित्य ने कहा कि पर्यटन और संस्कृति का वही संबंध है जो फूल और हवा के झोंके में है। किताब पर्यटन के लिए प्रेरित करती है तो कई बार पर्यटन किताब पढ़ने के लिए। रंगकर्मी अनिल शुक्ल ने कहा कि हरियाणा में कोई महत्वपूर्ण स्मारक न होने के बावजूद पर्यटन का अच्छा विकास किया गया है। वहा वीकेंड टूरिज्म और हाइवे टूरिज्म विकसित किया गया। पर्यटन सरकार और आम लोगों के परस्पर सहयोग से ही विकसित होता है मगर दुर्भाग्य से आगरा में ऐसा नहीं हो सका। शाम को विजय गोस्वामी और उनकी टीम ने मयूर नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। कला संकाय के डीन प्रो. जेके वर्मा, संयोजक डॉ. प्रेमशंकर और डॉ. बृजराज आदि उपस्थित रहे।


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