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Community Toilet in Agra: आगरा जिले में सिलाई- कढ़ाई वाले हाथों में सामुदायिक शौचालयों की कमान

Community Toilet in Agra जिले की 407 ग्राम पंचायतों के सामुदायिक शौचालयों के संचालन की जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूहों को दी गई। 690 ग्राम पंचायतों में बनने हैं सामुदायिक शौचालय। 680 ग्राम पंचायतों में बनकर तैयार हुए शौचालय। 407 शौचालय स्वयं सहायता समूहों को दिए गए।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 05:47 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 05:47 PM (IST)
Community Toilet in Agra: आगरा जिले में सिलाई- कढ़ाई वाले हाथों में सामुदायिक शौचालयों की कमान
407 शौचालय स्वयं सहायता समूहों को दिए गए।

आगरा, राजीव शर्मा। मेहंदी वाले हाथ अब सिर्फ सिलाई-कढ़ाई तक ही सीमित नहीं रहे हैं। उनमें आत्मनिर्भरता का विश्वास इतना भर चुका है कि अब कोई काम अपने हाथ में लेने से पीछे नहीं हट रहीं। फिर चाहे वह काम सामुदायिक शौचालयों के संचालन का ही क्यों न हो? यह काम भी अपने हाथों लेकर नारी शक्ति ने न सिर्फ अपने बुलंद हौसलों की मिसाल पेश की है बल्कि स्वच्छ भारत मिशन में भी अपना योगदान दे रही हैं।

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स्वयं सहायता समूहों से जुड़ीं महिलाओं को हाल ही में सामुदायिक शौचालयों के संचालन की जिम्मेदारी दी गई है। घर-घर शौचालय बनाने के बाद स्वच्छ भारत मिशन के तहत हर ग्राम पंचायत में एक सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया है। जिले में अब तक 680 सामुदायिक शौचालय बनकर तैयार हैं। इनमें से 407 सामुदायिक शौचालयों का संचालन स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं करेंगी। कुछ महिलाओं ने इनका संचालन शुरू कर दिया है तो कुछ को शौचालय हेंडओवर करने की तैयारी है। जिले में दस हजार से अधिक स्वयं सहायता समूह संचालित हो रहे हैं।

केस: एक

पिछले एक साल से खेरेवाली मैया स्वयं सहायता समूह से जुड़ी बैरमा खुर्द गांव निवासी नीतू को समूह द्वारा पहली बार काम मिला है। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। डेढ़ बीघा पैतृक जमीन है। अब तक इसी से गुजर-बसर हो रही थी। अब मुश्किल हो रही है। ऐसे में नीतू गांव में ही बने सामुदायिक शौचालय के संचालन का काम अपने हाथ में लिया है। कहती हैं, परिवार के पालन के लिए कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता।

केस: दो

भूतेश्वर नाथ स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हिंगोट खेड़ा निवासी अनीषा देवी को हाल ही में सामुदायिक शौचालय की देखरेख का काम मिला है। अब तक पति के साथ मेहनत-मजबूरी कर गुजर-बसर हो रही थी। तीन बच्चे बड़े होने लगे हैं। ऐसे में जिम्मेदारी बढ़ रही है। कहती हैं, समूह से जुड़ने के बाद यह पहला काम मिला है। परिवार के भरन-पोषण के लिए कुछ आमदनी होगी। किसी काम में बुराई नहीं होती। मुझे मौका मिला है परिवार की जिम्मेदारी उठाने का।

ये होगी आमदनी

प्रत्येक सामुदायिक शौचालय के संचालन के लिए महिलाओं को छह हजार रुपये मानदेय मिलेगा। तीन हजार रुपये इसके रखरखाव की सामग्री के लिए दिए जाएंगे।अब तक ये किया कामस्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं अब तक स्कूल ड्रेस, मास्क, सैनिटाइजर बनाने के साथ ही नर्सरी संचालन, राशन की दुकान आदि का संचालन कर रही हैं।

स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध कराने की दृष्टि से सामुदायिक शौचालयों की देखरेख का भी दिया जा रहा है। अब तक कई समूहों को यह काम दिया जा चुका है।

राजकुमार, उपायुक्त

उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से स्वयं सहायता समूह से जुड़ीजिले में अधिकांश सामुदायिक शौचालयों का निर्माण हो चुका है। शासन के आदेश के अनुसार, इनके संचालन की जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूहों को दी जा रही है। शेष शौचालयों का काम जल्द पूरा होगा।

गौरव शर्मा, जिला समन्वयक, स्वच्छ भारत मिशन


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