स्मारक का सच: सरकार ने 60 लाख में खरीदे थे 30 के हाथी, जानिये माया सरकार की कलाकारी
लखनऊ की फर्म ने सीकरी के ठेकेदार से बनवाया था विशेष हाथी। भुगतान के लिए ठेकेदार ने लखनऊ में लिखाया था मुकदमा।
आगरा, यशपाल चौहान। मायावती के शासनकाल में लखनऊ और नोएडा में लगाए गए पत्थर के हाथियों पर सरकार ने खुले हाथों से धन लुटाया था। लखनऊ की फर्म ने आगरा के ठेकेदार से पत्थर का एक हाथी बनवाया। सरकार से मिलने वाले 60 लाख रुपये में से दस फीसद कमीशन काट कर भुगतान का वादा किया था। इस हाथी पर हालांकि 30 लाख की लागत आई थी। इसी फर्म ने मजदूरी पर ठेकेदार से छह और हाथी भी बनवाए थे।
फतेहपुर सीकरी के दूरा गांव निवासी मदनलाल(52) पत्थर के कारीगर हैं। वे ठेकेदारी पर मूर्ति भी बनवाते हैं। बकौल मदनलाल, वर्ष 2007 में बयाना (राजस्थान) निवासी धर्म सिंह ने लखनऊ की फर्म 'लखनऊ मार्बल्स' के मालिक आदित्य अग्रवाल से उसे लखनऊ में मिलवाया। आदित्य ने उनसे मजदूरी पर 18 फुट ऊंचे और 22 फुट लंबे पत्थर के छह हाथी बनाने को कहा। पत्थर और अन्य खर्च आदित्य को वहन करना तय हुआ। इसके लिए मिर्जापुर से खरीदे गए पत्थर को बयाना (राजस्थान) में काटने के लिए लाया गया। बयाना में ही मदनलाल ने कारीगरों के जरिए तीन हाथी बनवाए। जबकि तीन हाथी उन्होंने लखनऊ में जाकर बनवाए। इस काम के एवज में मदनलाल को 87 लाख रुपये दिए गए थे। इन हाथियों के बनवाने की दर अलग-अलग थी।
मदनलाल ने बताया कि इसके बाद आदित्य अग्रवाल ने उनसे एक हाथी खुद पत्थर खरीदकर तैयार करने को कहा। बताया कि सरकार से एक हाथी का 60 लाख रुपये मिलेगा, जिसमें से दस फीसद कमीशन उसका(आदित्य) का होगा। आदित्य ने एक लाख रुपये एडवांस दे दिए। कुछ दिन बाद छह लाख 56 हजार रुपये और दिए गए। मदनलाल ने राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से पत्थर खरीदकर अपने गांव में कारीगरों के जरिए यह हाथी तैयार कराया।
मदनलाल का कहना है कि इसकी लागत 30 लाख रुपये आई थी। इसमें 10 लाख रुपये का पत्थर और 20 लाख रुपये बनवाने पर खर्च हो गए। पत्थर का यह हाथी 10 फुट ऊंचा, 5.5 फुट चौड़ा और 14 फुट लंबा था। यह हाथी लखनऊ भेजा गया। यहां से नोएडा में लगाया गया। मदनलाल कहते हैं कि काम होने के बाद भी आदित्य ने शेष भुगतान नहीं किया। उल्टा फोन पर धमकी देने लगे।
मई 2012 में मदनलाल ने लखनऊ में आदित्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया। पुलिस ने आदित्य को जेल भेज दिया। तब उसके परिजनों ने 26 लाख रुपये और दिए। इस तरह मदनलाल को कुल 33.56 लाख रुपये मिले। सौदे की बची हुई रकम मदनलाल को अब तक नहीं मिल पाई है। अब मदनलाल का कहना है कि फर्मों और सरकार में शामिल लोगों ने मोटा कमीशन खाया, लेकिन मजदूरों का हक मार लिया। मुकदमे के बाद वे कोर्ट में अपने कलमबंद बयान भी दे चुके हैं।
वर्ष 1995 में बनवाए थे आठ हाथी
मदनलाल ने वर्ष 1995 में स्मारक के लिए पत्थर के आठ हाथी अपने गांव दूरा में ही बनवाए थे। राजस्थान, बिहार, ओडिशा और अपने गांव के कारीगरों समेत 80 कारीगर लगाए थे। दो शिफ्टों में 24 घंटे काम करने के बाद पांच माह में ये मूर्तियां बनकर तैयार हो गईं। इसके लिए पत्थर लखनऊ की फर्म गायत्री मार्बल्स द्वारा बंसी पहाड़पुर से दूरा में भिजवाए थे।