दानघाटी मंदिर प्रबंधक पद पर फंस सकता है कानूनी पेंच, ये बन रही है वजह
न्यायालय ने पांच नामों का मांगा है आपराधिक इतिहास।
आगरा, जेएनएन। गोवर्धन में दानघाटी मंदिर की व्यवस्था के लिए न्यायालय प्रबंधक पद पर किसी व्यक्ति की नियुक्ति करना चाहता है। इसके लिए न्यायालय ने एसएसपी से पांच व्यक्तियों छवि और आपराधिक इतिहास की रिपोर्ट मांगी है। परंतु गिर्राज सेवा समिति के मंत्री ने उक्त प्रक्रिया को असंवैधानिक बताया है। उन्होंने बताया कि बिना वादी प्रतिवादी का पक्ष सुने इस पर फैसला नहीं हो सकता।
प्रसिद्ध दानघाटी मंदिर की प्रबंध व्यवस्था सहायक प्रबंधक डालचंद चौधरी द्वारा की जा रही थी। गिर्राज सेवा समिति के मंत्री रमाकांत कौशिक की शिकायत पर डालचंद चौधरी के जेल जाने के बाद मंदिर प्रबंधन की व्यवस्था चरमरा गई। न्यायालय ने मंदिर व्यवस्था को प्रबंधक नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। न्यायालय मंदिर व्यवस्थाओं के कारण जल्द प्रबंधक नियुक्त करना चाहता है।जिन पांच नामों पर न्यायालय विचार कर रहा है, उनमें कोई भी नाम मंदिर से जुड़े व्यक्ति का नहीं है। इस बात को लेकर मंदिर सेवायतों में हलचल मच गई और प्रबंधक पद के लिए किलेबंदी शुरू कर दी। गिर्राज सेवा समिति के मंत्री रमाकांत कौशिक ने बताया कि न्यायालय में मंदिर से सम्बंधित मुकदमा विचाराधीन है। पक्षकारों को सुने बिना मंदिर से जुड़ा कोई भी फैसला नहीं लिया जा सकता है। अधिवक्ता महेश चतुर्वेदी ने कहाकि फिलहाल सिविल न्यायालय में अवकाश चल रहा है। ऐसे मामलों में पक्षकारों को सुनकर ही फैसला लिया जाता है। दानघाटी मंदिर से जुड़े मामले में प्रबंधक पद पर नियुक्ति वैधानिक प्रक्रिया से ही संभव है।
सेवायत समाज ने की दावेदारी
प्रबंधक पद पर पांच बाहरी नाम देख सेवायतों में हड़कंप मच गया। गुधैनिया समाज के भगवान दास कौशिक (लंबरदार) ने अपने समाज के तमाम लोगों लोगों का हस्ताक्षर युक्त प्रार्थना पत्र न्यायालय में सौंपा है। जिसमें उन्होंने प्रबंधक पद पर अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है। भगवान दास ने इस संदर्भ में बरसाना का लाडि़ली मंदिर और बलदेव के दाऊजी मंदिर का हवाला भी दिया है, जिसमें सेवायत समाज का व्यक्ति रिसीवर पद पर तैनात है। तथा दानघाटी मंदिर पर भी पूर्व में सेवायत समाज का व्यक्ति प्रबंधक पद पर रह चुका है।
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