रही आस अधूरी, ताज रात्रि दर्शन की शर्तों में नहीं होगा बदलाव
सुप्रीम कोर्ट ने एएसआइ का तीन साल पुराना आवेदन खारिज किया। टिकटिंग व्यवस्था, दर्शन समय सहित कई पहलू थे शामिल।
जासं, (आगरा): उस सफेद संगमरमरी इमारत का हुस्न ही ऐसा है। जिसे देखने की चाहत में सात समुंदर पार से भी सैलानी खिंचे चले आते हैं। खास बात यह है कि सुबह सूरज की पहली किरण से शाम ढलने तक हर पल ताजमहल की आभा अलग सौंदर्य धारण किए रहती है। उससे भी खास नजारा तब होता है, जब पूर्णिमा का चांद इसकी सुंदरता में चार चांद लगाता है। पूर्णिमा पर ताज के रात्रि दीदार की व्यवस्था है पर तमाम बंदिशों के साथ। बंदिशों में रियायत को सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया था, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया है। इससे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के प्रयासों को झटका लगा है।
ताजमहल में रात्रि दर्शन की शर्तों में बदलाव के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण(एएसआइ) का प्रार्थनापत्र सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। एएसआइ ने ये इंटरलोकेटरी एप्लीकेशन (आइए) एक सितंबर 2015 को दाखिल की थी। ताज के रात्रि दर्शन की व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के तहत चल रही है। इस दौरान निगरानी के लिए बाकायदा एक मजिस्ट्रेट की मौजूदगी रहती है। एएसआइ ने टिकटिंग व्यवस्था से लेकर दर्शन समय सीमा बढ़ाने सहित अन्य बिंदुओं पर बदलाव का प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 25 सितम्बर 2018 को इसे खारिज कर दिया। अधीक्षण पुरातत्वविद बसंत कुमार ने बताया कि हमारे द्वारा जो मांगें रखी गई थीं, उन्हें सुप्रीम कोर्ट में खारिज कर दिया गया है। इस फैसले को लेकर हम उच्चाधिकारियों से चर्चा करेंगे।
रात्रि दर्शन को ये चाहे थे बदलाव
-24 घंटे पहले टिकट बुकिंग के बजाए उसी दिन टिकट की सुविधा उपलब्ध हो।
-ई-टिकिटिंग की सुविधा हो।
-50 व्यक्तियों के ग्रुप के स्थान पर 75 व्यक्तियों की अनुमति मिले।
-दर्शन का निर्धारित समय 30 मिनट के स्थान पर 45 मिनट तक हो।
-पर्यटकों का प्रवेश पूर्वी गेट के स्थान पर पश्चिमी गेट से हो।