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व्‍यास गद्दी से अली- मौला की पुकार पर बिफरे संत, Lockdown के बाद सड़क पर आ सकता है विरोध

सोशल मीडिया में छिड़ी जंग के बाद झुके कथावाचक।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 05:12 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 05:12 PM (IST)
व्‍यास गद्दी से अली- मौला की पुकार पर बिफरे संत, Lockdown के बाद सड़क पर आ सकता है विरोध
व्‍यास गद्दी से अली- मौला की पुकार पर बिफरे संत, Lockdown के बाद सड़क पर आ सकता है विरोध

आगरा, जेएनएन। रामकथा और भागवत के जरिए दुनियाभर के सनातनधर्मियों पर अपना जादू चलाने वाले कथावाचक जब व्यासगद्दी से अल्लाह को पुकारने लगे तो सनातनधर्मी विरोध में उतर आए। कथित कथावाचकों के खिलाफ न केवल संत, साधकों ने मोर्चा खोला बल्कि सोशल मीडिया पर कड़ी बहस भी शुरू हो चुकी है। ऐसे में साधक, संत और खुद कथावाचक भी अल्लाह को पुकारने वाले कथावाचकों के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं। लॉकडाउन में सोशल मीडिया पर जंग छिड़ी है तो संभव है लॉकडाउन के बाद ये जंग सड़क पर आ जाए।

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दरअसल, भागवत विदूषी चित्रलेखा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इसके साथ ही राष्ट्रसंत मोरारीबापू द्वारा भी अल्लाह- मौला का गायन करते हुए वीडियो वायरल होना शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर हो रहे वीडियो वायरल का संज्ञान लेते हुए सनातनधर्मियों में खलबली मच गई और आनन-फानन में संत व साधकों ने मामले को लेकर बैठकों का दौर शुरू कर दिया। संत, साधकों का कहना है राष्ट्रीय संत की उपाधि धारक भी व्यासपीठ को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं कुरान और अल्लाह का पाठ व्यासपीठ से पढ़ा रहे हैं जो सर्वथा सनातन धर्म के विपरीत है। लॉकडाउन के चलते अब तक मामला बैठकों के दौर तक ही सीमित है, लेकिन लॉकडाउन के बाद मामले में गर्माहट आने की पूरी संभावना संतों की नाराजगी से जाहिर हो रही है।

काशी विद्धत परिषद पहुंचा मुद्दा

काशी विद्वत परिषद पश्चिमांचल भारत के प्रभारी कार्ष्णि नागेंद्र महाराज ने बताया उनकी इस मुद्दे को लेकर काशी में राष्ट्रीय पदाधिकारियों से वार्ता हुई है। श्रीकाशी विद्वत परिषद इस मुद्दे को लेकर जल्द ही बैठक करेगा। ताकि इस तरह की बयानबाजी व्यासगद्दी पर बैठकर न हो सके।

अदालत का दरवाजा खटखटाने का एलान

पिछले दिनों परिक्रमा मार्ग स्थित चैतन्य कुटी में संत, महंत, महामंडलेश्वर व कथावाचकों की बैठक में निर्णय लिया गया कि तथाकथित सनातन धर्म विरोधी व्यासों के खिलाफ एक याचिका न्यायालय में दायर की जाए। इसके अलावा प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को पत्राचार करके विधि सम्मत कार्यवाही के लिए आग्रह किया जाएगा। 


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